केजरीवाल सरकार कश्मीरी विस्थापित अध्यापकों की नौकरी कर रही थी पक्की, भाजपा के एलजी और गृह मंत्रालय ने किया विरोध- आतिशी

दैनिक समाचार
  • दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने कश्मीरी विस्थापित टीचरों को रेगुलराइज करने का फैसला लिया था- आतिशी
  • भाजपा के उपराज्यपाल ने आदेश दिया कि यह सर्विस मैटर है, इस पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार के निर्णय का कोई भी अधिकार नहीं है- आतिशी
  • सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गई एसएलपी पर पक्की नौकरी देना का विरोध करने भाजपा की प्रवक्ता पिंकी आनंद पेश हुईं- आतिशी

केजरीवाल सरकार ने भाजपा के हर रोड़े को हटाकर कश्मीरी विस्थापित शिक्षकों को पक्की नौकरी दी – आतिशी

  • पिछले 8 साल में जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है तब से भाजपा ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का विरोध किया है- आतिशी
  • कश्मीरी विस्थापितों की समस्या को दिल्ली की चुनी हुई सरकार ने सुलझाया और इनको नियमित किया- सौरभ भारद्वाज
  • भाजपा ने गवर्नमेंट टीचर्स एसोसिएशन की फेक प्रेस विज्ञप्ति दिलीप भान के नाम से जारी की, असली एसोसिएशन कह रही है कि जो प्रेस रिलीज भाजपा वाले घुमा रहे हैं वह नकली है, हमारी एसोसिएशन में दिलीप भान नाम का कोई व्यक्ति नहीं है- सौरभ भारद्वाज
  • केजरीवाल सरकार ने 2017 में हाई कोर्ट में अंडरटेकिंग दी कि हम कश्मीरी विस्थापित अध्यापकों को रेगुलराइज करने के लिए पॉलिसी ला रहे हैं, इसका भाजपा के एलजी ने विरोध किया- सौरभ भारद्वाज
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भाजपा शासित एमसीडी ने अपने कश्मीरी विस्थापित अध्यापकों को आज तक एरियर नहीं दिया है- सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली, 29 मार्च, 2022

आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने कहा कि केजरीवाल सरकार कश्मीरी विस्थापित अध्यापकों की नौकरी पक्की कर रही थी। भाजपा के एलजी और गृह मंत्रालय ने इसका विरोध किया। दिल्ली की कैबिनेट ने कश्मीरी विस्थापित अध्यापकों को रेगुलराइज करने का फैसला लिया था। इसके बाद भाजपा के उपराज्यपाल ने आदेश दिया कि यह सर्विस मैटर है, इस पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का कोई भी अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गई एसएलपी पर पक्ष रखने के लिए भाजपा की प्रवक्ता पिंकी आनंद पेश हुईं, जिन्होंने कश्मीरी विस्थापित अध्यापकों को पक्का करने का विरोध किया। पिछले 8 साल में जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है तब से भाजपा ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का विरोध किया है। आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कश्मीरी विस्थापितों की समस्या को दिल्ली की चुनी हुई सरकार ने सुलझाया और इनको नियमित किया। भाजपा ने गवर्नमेंट टीचर्स एसोसिएशन की फेक प्रेस विज्ञप्ति दिलीप भान के नाम से जारी की। असली एसोसिएशन कह रही है कि जो प्रेस रिलीज भाजपा वाले घुमा रहे हैं वह नकली है। हमारी एसोसिएशन में दिलीप भान नाम का कोई व्यक्ति नहीं है। केजरीवाल सरकार ने 2017 में हाई कोर्ट में अंडरटेकिंग दी कि हम कश्मीरी विस्थापित अध्यापकों को रेगुलराइज करने के लिए पॉलिसी ला रहे हैं, इसका भाजपा के एलजी ने विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद भाजपा शासित एमसीडी ने अपने कश्मीरी विस्थापित अध्यापकों को आज तक एरियर नहीं दिया है।

आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने आज दिल्ली विधानसभा में महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया। आतिशी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कश्मीरी माइग्रेंट टीचर कओ लेकर बहुत राजनीति चल रही है। भाजपा वाले कह रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल की सरकार ने कश्मीरी अध्यापकों के लिए कुछ नहीं किया। लेकिन आज हम भाजपा की सच्चाई का पर्दाफाश करने आए हैं। भाजपा के उपराज्यपाल अनिल बैजल जो कि दिल्ली के उपराज्यपाल हैं। जिनके हाथ में अध्यापकों की भर्ती, प्रमोशन और रेगुलराइजेशन सहित सभी सर्विसेज मैटर हैं। उन्होंने ना सिर्फ कश्मीरी माइग्रेंट टीचर का साथ नहीं दिया, बल्कि खुलकर उनके रेगुलराइजेशन का विरोध किया।

आतिशी ने कागजात पेश करते हुए कहा कि जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी जो कश्मीरी माइग्रेंट टीचर है, वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के पास आए। दिल्ली की चुनी हुई सरकार ने बार-बार इस पर निर्णय लिया कि कश्मीरी माइग्रेंट टीचर को रेगुलराइज करना चाहिए। लेकिन जब दिल्ली सरकार यह निर्णय लेती है कि अध्यापकों को रेगुलराइज करना चाहिए। दिल्ली सरकार हाईकोर्ट में बताती है कि दिल्ली की कैबिनेट ने कश्मीरी माइग्रेंट टीचर को रेगुलराइज करने का फैसला लिया है। उसके बाद उपराज्यपाल फाइल में एक नोट लिखते हैं कि यह सर्विस मैटर है। इसको सर्विस मैटर के तहत ट्रीट किया जाए। इस पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार का कोई भी अधिकार नहीं है। आम आदमी पार्टी की अरविंद केजरीवाल सरकार कैबिनेट में फैसला लेती है और कोर्ट में बताती है कि हमने इनको रेगुलराइज करने का फैसला ले लिया है। उपराज्यपाल उस कैबिनेट के फैसले के बाद कहते हैं इस पर दिल्ली की चुनी हुई सरकार और अरविंद केजरीवाल का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा, जो भी निर्णय होगा वह एलजी कार्यालय द्वारा लिया जाएगा।

उसके बाद एलजी फाइल पर एक नोट लिख कर भेजते हैं और जिसमें एलजी का साइन भी है। एलजी ने खुद लिखा है कि गृह मंत्रालय के अधिकारियों से चर्चा की जो कि जम्मू कश्मीर के विस्थापितों के लिए पुनर्वास के लिए काम करते हैं। ऐसा सूचित किया गया कि कोई भी विशेष प्रावधान कश्मीरी माइग्रेंट टीचर के रेगुलराइजेशन का नहीं है। जब हाईकोर्ट की डबल बेंच नए फिर से यह निर्णय दे दिया कि आपको रेगुलराइज करना है। इसके बाद फिर एलजी को यह फाइल भेजी जाती है कि हम सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी फाइल करेंगे। जब एसएलपी फाइल होती है तो पिंकी आनंद प्रस्तुत होती हैं, जो कि भाजपा की लीगल सेल की अध्यक्ष और प्रवक्ता हैं।

हम कल तक कह रहे थे कि भाजपा की केंद्र सरकार ने कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन अब हम यह कह रहे हैं कि पिछले 8 साल में जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है तब से भाजपा ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का विरोध किया है। उसके खिलाफ काम किया है। उनकी नौकरियां पक्की होने में हर अड़चन डाली है। भाजपा ने पिछले 8 साल में कोई कसर नहीं छोड़ी। सिर्फ 233 कश्मीरी टीचर को पक्का करने का अवसर था, उनकी रेगुलराइजेशन का बीजेपी ने विरोध किया। ऐसा नहीं है कि भाजपा और उनके एलजी ने कुछ नहीं किया। भाजपा ने कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास, उनके पक्के होने और उनकी जिंदगी सामान्य करने का विरोध किया।

आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कश्मीरी विस्थापितों की समस्या को दिल्ली की चुनी हुई सरकार ने सुलझाया और इनको नियमित किया। सीएम अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने इसका कभी ढिंढोरा नहीं पीटा कि हमने कश्मीरी माइग्रेंट्स के लिए यह किया। एक साधारण सी बात थी और यह सरकार का काम था। कश्मीरी माइग्रेंट्स की चर्चा करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने 25 साल से भटकते हुए कश्मीरी माइग्रेंट्स की समस्या का समाधान हमने किया। इसके एवज में भाजपा ने एक झूठी प्रेस विज्ञप्ति दिलीप भान के नाम से जारी की। गवर्नमेंट टीचर्स एसोसिएशन की फेक प्रे‌स विज्ञप्ति को इनके मेंबर ऑफ पार्लियामेंट और इनके आईटी सेल ने प्रचारित करना शुरू किया। आज गवर्नमेंट टीचर्स एसोसिएशन असली की प्रेस विज्ञप्ति आपके सामने रख रहे हैं। जिसमें वह कह रहे हैं कि जो प्रेस रिलीज कल से भाजपा वाले घुमा रहे हैं और कई टीवी चैनलों पर बहस चला दी वह नकली है। जिस आदमी ने प्रेस जारी की वह नकली है। वह पूरा का पूरा लेटर हेड भी नकली है। सब कुछ नकली है।

उन्होंने कहा कि भाजपा का दूसरा आरोप है कि आसानी से उनको यह नौकरी नहीं मिली है। नीचे से लेकर ऊपर तक कोर्ट में जाकर उनको हक मिला है, यह सच्चाई है। लेकिन कोर्ट में जाना क्यों पड़ा इसके बारे में कोई चर्चा नहीं हुई। हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में इसलिए जाना पड़ा क्योंकि अरविंद केजरीवाल की सरकार ने 2017 में हाई कोर्ट के अंदर यह अंडरटेकिंग दे दी कि हम कश्मीरी पंडितों को दोबारा से यहां पर रेगुलराइज करने के लिए पॉलिसी ला रहे हैं। यह हाईकोर्ट के आदेशों के अंदर है। हमारे वकील संजय घोष और संतोष त्रिपाठी ने यह अंडरटेकिंग दी। जिसके बाद एलजी हाउस में खलबली मची। उन्होंने हमारे वकीलों को हटाकर अपने वकील लगाए। यह नोट लिखा कि यह मामला सर्विसेज का है इसलिए एलजी ऑफिस इसको देखेगा। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बाकायदा चिट्ठी लिखकर कहा कि इसके अंदर कोई कोर्ट कचहरी नहीं करनी चाहिए। सरकार ने फैसला ले ले लिया कि आप इन को नौकरी दे दीजिए। इसके बावजूद भाजपा के उपराज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट के अंदर इसको चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट के अंदर उनकी अपनी पिंकी आनंद प्रस्तुत हुईं और कश्मीरी पंडितों के कश्मीरी माइग्रेंट्स के हक के खिलाफ यह लोग खड़े हुए। यह भाजपा का असली और सच्चा चेहरा है। यह लोग इतवे विश्वास के साथ झूठ बोलते हैं कि कोई भी आदमी इनको देख कर हैरान हो जाएगा कि कहीं सच ही तो नहीं बोल रहे हैं। यह खुशी की बात है कि आज भी देश फाइलों से चल चल रहा है व्हाट्सएप से नहीं चल रहा है। यह फाइलों में दर्ज है कि इनके क्या काम थे और क्या-क्या कश्मीरी माइग्रेंट्स के बारे में लिखा। यहां तक कि एलजी ने यह लिखा कि कश्मीरियों के लिए ऐसा कोई प्रावधान जब केंद्र सरकार में नहीं है तो दिल्ली सरकार में कैसे हो सकता है। लिहाजा इसके खिलाफ हमें सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुंह की खाई। इसके बाद दिल्ली सरकार ने इनको लाखों रुपए के एरियर के बैक डेट में दिए।

सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर आने के बावजूद भाजपा शासित एमसीडी ने अपने कश्मीरी अध्यापकों को आज तक एरियर नहीं दिया है। जबकि यह आदेश दिल्ली सरकार और एमसीडी दोनों के अध्यापकों के लिए था। सिर्फ दिल्ली सरकार ने एरियर दिया है। भाजपा ने कश्मीरी पंडितों के लिए कुछ नहीं किया है। कश्मीरी पंडित तो छोड़िए इन्होंने पंडितों के लिए कुछ नहीं किया है। इन्होंने सिर्फ और सिर्फ उनके खिलाफ साजिशें की हैं। यूपी में उनके एनकाउंटर किए हैं। जहां इनको पता चल जाता है कि यह ब्राह्मण हैं, उनके एनकाउंटर कराने के लिए पूरी सरकार पीछे पड़ जाती है।

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