ट्रेड यूनियनों संगठनों द्वारा 28 और 29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल के आह्वान तहत देश भर के मज़दूरों ने जगह-जगह पर इकठ्ठा होकर अपने माँग-मसलों के लिए आवाज़ उठाई व प्रदर्शन किए हैं। इसी आह्वान के तहत लुधियाना के मज़दूर संगठनों ने अपनी माँगों को लेकर समराला चौक पर रोष-प्रदर्शन और पैदल मार्च किया। इस अवसर पर टेक्सटाइल हौज़री कामगार युनियन के अध्यक्ष राजविंदर सिंह, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह, इंकलाबी मज़दूर केंद्र के नेता सुरिंदर सिंह, कारखाना मज़दूर युनियन के अध्यक्ष लखविंदर सिंह और रमेश, लोक एकता संगठन के नेता गल्लर चौहान ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की फासीवादी मोदी सरकार ने चार नए श्रम कोड लाकर मज़दूरों को उनके नामात्र के अधिकारों से भी वंचित कर दिया है। केंद्र व राज्य सरकारों की देशी-विदेशी पूँजीपतियों के पक्ष नीतियों से लोगों की ज़िंदगी बेहाल हो गई है। महँगाई लगातार बढ़ रही है। लोगों के रोज़गार छिन रहे हैं। सरकार ने निजीकरण, उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों के तहत सरकारी सुविधाओं को खत्म करने का अभियान शुरू किया हुआ है। केंद्र की मोदी सरकार लोगों के हक-अधिकारों की आवाज को दबाने के लिए धर्म और जाति की राजनीति कर रही है।विभिन्न जनविरोधी दमनकारी कानून बनाकर जायज आवाजों को दबाया जा रहा है। पंजाब की आप सरकार जो बदलाव के नारे से लोगों को गुमराह कर रही है, भी अन्य पार्टियों से अलग नहीं है, बल्कि पूँजीवादी और जनविरोधी नीतियों के पक्ष में है। वक्ताओं ने कहा कि भगवंत मान सरकार ने अभी तक मज़दूरों के हकों के लिए एक भी शब्द नहीं बोला है, बल्कि अपनी जायज माँगों के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया है। इसलिए लोगों को इकठ्ठा होकर आवाज बुलंद करनी चाहिए।
उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से मज़दूरों का न्यूनतम वेतन पच्चीस हज़ार करने, चार नए श्रम कानून (कोड) रद्द करने, स्त्रियों को समान काम का समान वेतन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली मज़बूत करने, महँगाई पर काबू पाने, देशी-विदेशी कार्पोरेटों और अन्य पूँजीपतियों के पक्ष की वैश्वीकरण, उदारीकरण, निजीकरण की नीतियाँ रद्द करने, निजीकरण बंद करके लोगों की सभी जरूरतों की पूर्ति के लिए सरकारी संस्थानों-उद्योग का प्रसार करने, बेरोजगारी खत्म करने, बेरोजगारी भत्ता देने, मज़दूरों, गरीब किसानों और अन्य मेहनतकशों का सारा सरकारी-गैरसरकारी कर्जा रद्द करने, अप्रत्यक्ष टेक्स रद्द करने, धार्मिक अल्पसंख्यकों, राष्ट्रीयताओं, औरतों, दलितों का लूट-दमन बंद करने, भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड में से पंजाब की नुमाइंदगी खत्म करने का फैसला रद्द करने, जनवादी अधिकार कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों, पत्रकारों का रिहा करने, सारे दमनकारी कानून रद्द करने की माँग की।
प्रदर्शनकारियों ने लंबी में नरमा ख़राबी के मुआवजे के लिए संघर्ष कर रहे मज़दूरों और किसानों पर भगवंत मान सरकार की पुलिस द्वारा किए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।
मज़दूर हड़ताल के समर्थन में पहुँचे संगठनों नौजवान भारत सभा से कृष्ण, भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) के जिलाध्यक्ष चरण सिंह नूरपुरा, मेडिकल प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन पंजाब के नेता डॉ. सुरजीत ने भी संबोधित किया। रोष-प्रदर्शन के बाद इलाके में पैदल मार्च निकाला गया। इस अवसर पर नईं सवेर पाठशाला की छात्राओं, साथी रामलखन और हरचरण ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुति किए।