एक हमारी शिष्या है . बेटी के समान है . 25 या 26 साल की . सुन्दर पढी लिखी अच्छे परिवार की . नौकरी करती है मगर कविता और साहित्य के प्रति बहुत लगाव है उसका . कविता लिखती है .बहुत अच्छी संवेदनशील कवियत्री है . कभी कभी हमारे घर भी आ जाती है कविता की बारिकियां सीखने के लिये . एक दिन हमारे घर आई थोड़ा उदास थी . हमारी मेमसाब से बात करती रही . थोड़ी देर बाद मेमसाब ने हमे आवाज दी . मै पास गया तो मेमसाब बोली – बच्ची किसी बात को लेकर असमंजस मे है उदास है कृपया आप इसे कुछ मार्गदर्शन दे .
हमने पूछा – बोलो बेटा क्या बात है ?
उसने कहा – मेरी शादी एक बहुत अमीर परिवार में होने जा रही है। लेकिन मेरे भावी पति इस शादी से खुश नहीं हैं। उन्होंने मुझे शादी तोड़ने के लिए 5,00,000 रुपये ऑफर की है। अब आप ही बताएं, मैं क्या करूं? पिता का सम्मान या पैसा, मुझे किसे चुनना चाहिए?
मैंने कुछ देर सोचा . मै बच्ची की आंखो मे देखा जहाँ गहरी पीडा थी .
मैंने कहा – अपने पिता की चिन्ता मत करो उन्हे मै समझा दूंगा . तुम एक काम करो .
तुम उससे पाँच लाख रुपये अपने बैंक अकाउंट में ले लो .
फिर उसमें अपनी तरफ से एक रुपया और मिला कर उसे उसी अकाउंट में वापस कर दे जिससे वो आया है ।
और रिमार्क में लिखे की मुझे तुमसे विवाह नहीं करना ।
इससे उसकी बुद्धि सही हो जाएगी ।
बच्ची के चेहरे की मुस्कराहट देखकर मै समझ गया उसे मेरा सुझाव पसन्द आ गया . बच्ची की उदासी जा चुकी थी . उसका खिलखिलाता चेहरा बहुत अच्छा लग रहा था .
आर रवि विद्रोही
२९ मार्च , २०२२