भोपाल। शिक्षक वर्ग तीन की परीक्षा के पेपर लीक होने की घटना की अभी स्याही भी नहीं सूखी है कि पुलिस आरक्षकों की भर्ती का घोटाला सामने आ गया है। घोटालों में पारंगत हो चुकी भाजपा सरकार अब प्रदेश के युवाओं का भविष्य ही अंधकार में डुबोने में लगी हुई है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा हैं कि यह पहली बार हुआ है कि 6000 आरक्षकों की भर्ती में सरकार की ओर से अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग आदि के लिए न तो आवंटित सीटों की घोषणा की गई है और न ही अंकों की कट ऑफ़ घोषित हुई है और परीक्षा परिणाम घोषित कर दिए गए हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि परिणाम यह हुआ है कि ज्यादा अंकों वाले परीक्षार्थी सिलेक्ट नहीं हुए और कम अंकों वाले परीक्षार्थी सिलेक्ट कर दिए गए हैं।
माकपा नेता जसविंदर सिंह ने कहा है कि यह सिर्फ भ्रष्टाचार कर योग्य युवाओं के भविष्य क़ो चौपट करने की साजिश नहीं है बल्कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों का आरक्षण खत्म कर भाजपा और संघ परिवार के मनुवादी एजेंडे क़ो भी आगे बढ़ाने की साजिश है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि इस घटना से साफ है कि नाम बदलने से आचरण नहीं बदलता. भाजपा की शिवराज सरकार ने भी भ्र्ष्टाचार और युवाओं के भविष्य क़ो चौपट करने वाले व्यापम का नाम बदल कर पीईबी कर दिया था, मगर अब यह भ्रष्टाचार व्यापम तीन के नाम से जाना जा रहा है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने शिक्षक वर्ग 3 की परीक्षा फिर से करवाने और पुलिस के आरक्षकों की भर्ती में विभिन्न समुदायों के आरक्षण कोटे और कट ऑफ तुरंत घोषित करने की मांग की है।