यह लड़का कोई अपराधी नहीं है और न ही किसी मंत्री का बेटा है, तो फिर इतनी सुरक्षा किसलिए?
सुनिए, लड़का सिरसा शहर के शाहपुरिया गांव का रहने वाला है और कक्षा दसवीं का छात्र है । कुछ दिन पहले गांव के स्कूल में शिक्षा अधिकारी आए और विद्यार्थियों की एक रेंडमली 20 अंकों की परीक्षा ली जिसमें इस होनहार लड़के ने टॉप किया और पूरे 20 अंक प्राप्त किए। इसके लिए इस बच्चे को स्कूल में सम्मानित किया गया।
लेकिन इसी बीच इसकी जाति बाल्मीकि आड़े आ गई।
इसीके कुछ उच्च जाति के सहपाठी इससे चिढ़ गए और मुख्य परीक्षा में न बैठने की धमकी दे डाली।
शाहपुरिया गांव के लगभग सभी उच्च जाति के लोगों ने इसके पिता विजय सिंह को *”घर पर आकर धमकी दी कि अगर तेरा बेटा परीक्षा में पहुंचा तो ठीक नहीं होगा.”, जिससे घबराकर विजय सिंह अपने पूरे परिवार के साथ रातोंरात सिरसा कोर्ट में पहुंचा और न्याय की गुहार लगाई।
वैसे तो ये कानून सोया रहता है, लेकिन गनीमत है, इस बार कानून जगा हुआ था और इस बच्चे की पूरी सहायता की गई।
सुबह बच्चे को परीक्षा देने के लिए पुलिस सुरक्षा दी गई और जब तक परीक्षा चली, तब तक पुलिस मौजूद रही। इस जांबाज होनहार बच्चे ने जातिवादियों की छाती पर पैर रखकर अपनी परीक्षा दी।
सिर्फ दसवीं कक्षा की एक छोटी-सी परीक्षा देने के लिए जिस समुदाय को पुलिस की सुरक्षा लेनी पड़ती है, उसके जीवन के संघर्ष को महसूस करना तो दूर की बात। सभी समझ भी नहीं सकते!