2008 में जब विश्व में आर्थिक सुनामी आयी थी तब भारत के लोगों का बाल बांका नहीं हुआ था क्योंकि उस समय भारत का प्रधानमंत्री एक मक्कार नहीं अपितु एक जिम्मेदार तथा अर्थशास्त्र का पंडित था और वो पूरी तन्मयता से देश को आर्थिक रूप से संभालने में लगा हुआ था तथा देश के किसी भी व्यक्ति की जेब में फर्क नहीं आया था एवं सारे उद्योग, धंधे व बैंक सलामत थे।
बाद मे जब कोरोना आया तब वर्तमान देश का प्रधानमंत्री मवाली ट्रंप की आवाभगत मे बेखबर लाखों की भीड़ जुटाकर तमाशा कर रहा था और फिर आपदा में अवसर बोलकर कोरोना के नाम पर चोरी का पूरा इंतजाम कर रहा था।
दूसरे दौर में जब गंगा लाशों से भरी थी तब वो बंगाल में दीदी ओ दीदी का मखौल कर रहा था।
इससे पहले नोटबंदी करके देश के उद्योग धंधों को मार चुका था जो कोरोना की दूसरी मार न झेल सके।