“सपा सरकार में सिर्फ यादवों को नौकरी मिल रही थी तो भाजपा सरकार में कितने गैरयादवों को मिली?”
भाजपा व आरएसएस के आनुषांगिक संगठनों ने झूठ की खेती कर पिछड़ों,दलितों में नफरत की भावना पैदा कर इनकी ताकत को कमजोर कर दिया।आरएसएस का काम ही भाई से भाई को लड़ाकर अपनी रोटियाँ सेंकना रहा है।आरएसएस तो ऐसा संगठन है जो पत्नी-पति को एक चारपाई से दो चारपाई पर कर देगा।भाजपा हो या आरएसएस कभी पिछड़े-दलितों के हितैषी हो ही नहीं सकते।इनके अंदर उन्हीं का डीएनए है जिनके पूर्वजों ने शम्बूक ऋषि की गर्दन कटवाया,एकलव्य का अंगूठा काटा,पिछड़ों,दलितों,वंचितों को पढ़ने नहीं दिया।अंग्रेज तो शूद्रों के भगवान बनकर आये कि ज्योतिबा फूले, सावित्रीबाई फुले आदि संघर्षों के सम्मान करते हुए सभी के लिए शिक्षा का दरवाजा खोला,अन्यथा 1848 से पहले अहीर,कुर्मी,काछी, केवट,किसान,लोधी,बिन्द, बियार, कुम्हार,गड़ेरिया,राजभर,नोनिया,जाट,गूजर, मल्लाह,चमार,पासी,कोरी,धानुक,कोल, मुसहर,वाल्मीकि आदि के साथ साथ ब्राह्मण,राजपूत,भूमिहार की भी लड़कियों,बहन-बेटियों को मनुविधान के अनुसार लिखने पढ़ने का अधिकार नहीं था यानी "नारी शूद्रो न धीयतां" का काला कानून हिन्दू वर्णव्यवस्था के अनुसार नहीं था।यहीं नहीं,70,80 के दशक में पिछड़ों,दलितों को राजपूत,ब्राह्मण,भूमिहार के सामने खटिया,चौकी तो दूर जमीन पर भी बैठने का अधिकार नहीं था।जो कोई भी हमारी उम्र या 50 वर्ष से अधिक उम्र का होगा,उसे सवर्णों की पिछडो,दलितों के अत्याचार,सामंती उत्पीड़न का पता होगा।हमने सुना ही नहीं,जातिवाद की घृणित व्यवस्था को अच्छी तरह देखा है,महसूस किया है।
यादव पिछड़ों,दलितों का हकमार व दुश्मन नहीं,बड़ा भाई की भूमिका में रह है-
सवर्ण व्यवस्था की समर्थक भाजपा को अच्छी तरह पता है कि यादव ही वह जाति है,जो उन्हें मुहतोड़ जवाब दे सकता है।यादव पिछड़ों,दलितों का हकमर व दुश्मन नहीं,बड़ा भाई व पहरेदार है।पिछड़ों,दलितों पर सवर्णीय व सामंती अत्याचार का मुकाबला यादव ही किया व कमजोर वर्ग को संरक्षण दिया।भाजपा ने यादव समाज के विरुद्ध गैरयादव जातियों में ऐसी नफरत भर दी कि उन्हें ऐसा लगा कि यादव ही उनका हक छीन रहा है।यादव के खिलाफ झूठा प्रचार कर उसे नायक से खलनायक बना दिया।अतीपिछड़ी जातियाँ असली दुश्मन के झांसे व झूठे प्रचार में आकर यादव को दुश्मन मां बैठी और यादव को हटाने के लिए असली दुश्मन के साथ खड़ी हो गईं,भाजपा व आरएसएस फूट डालो व शासन करो वाली नीति में सफल हो गए।मण्डल कमीशन जब 1990 में लागू हुआ तो इन पिछड़ी जातियों को यह पता नहीं था कि मण्डल कमीशन पिछड़ी जातियों की ही भलाई के लिए है।हमने अपनी आंखों से देखा कि चोचकपुर तिराहे पर लक्ष्मणपुर,महरौली,सबुआ के ठाकुरों के साथ चोचकपुर,नरायनपुर,महरौली,लक्ष्मणपुर के मल्लाह,कुम्हार,अहीर,तेली,कलवार,लोहार आदि भी चक्काजाम कर “मण्डल कमीशन मुर्दाबाद”,”वी पी सिंह मुर्दाबाद”,”लालू प्रसाद यादव मुर्दाबाद” के नारे लगा रहे थे और यादव मण्डल कमीशन,वीपी सिंह जिंदाबाद,शरद यादव,लालू प्रसाद, रामबिलास पासवान जिन्दावाद का नारा लगा रहा था।
अनपढ़ व गंवार ही आरोप लगाते हैं कि यादव ने उनका हक छीन लिया-
निषाद,बिन्द, राजभर,चौहान,कुशवाहा,पाल,प्रजापति,विश्वकर्मा, साहू,जायसवाल आदि जातियों के वे ही यह आरोप लगाते हैं कि यादवों ने उनका हिस्सा हड़प लिया,अधिकार छीन लिया,जो खुद गँवार, अनपढ़ व नासमझ हैं और जिनके बच्चों होशियार नहीं बल्कि जाहिल-जपाड हैं।यह उनका दोष नहीं बल्कि उनकी ना समझी का दोष है।सवर्णों ने उनके दिमाग मे जो नफरत भर दिया उसे ही वे रट्टू तोता की तरह रटते रहते हैं।
यादव की मेहनत व लग्न को देखकर नकल करते तो अक्ल खुल जाती-
निषाद,मल्लाह,केवट,बिन्द, राजभर,चौहान की मैं अच्छी तरह पहचान कर लेता हूं।जिस गाँव, मोहल्ले में जाइये,मन्दिर परिसर या किसी पेड़ के नीचे ताश खेलते लोग दिख जाए तो समझिए ये मल्लाह,बिन्द, केवट,राजभर,चौहान ही होंगे।लोकसभा चुनाव के दौरान हम सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का चुनाव प्रचार करने आज़मगढ़ जिले के मुबारकपुर क्षेत्रान्तर्गत ओझौली,पाही, पियरोपुर, मोहम्मदपुर गया,तो सभी जगह गांव में प्रवेश से पहले मन्दिर व पेड़ के नीचे ताश खेलने वालों का झुंड दिखाई दिया।हमने साथ वालों से कहा-यह गाँव निषादो या चैहान राजभरों का होगा।जब हम लोग उनके पास गए तो वे बदतमीजी पूर्ण तरीके से कहा कि हमलोग अखिलेश को हराएंगे,भाजपा को जिताएंगे।हमने विनम्रतापूर्वक पूछा- भाजपा को क्यों वोट देंगे? उनका कहना था कि अखिलेश यादव ने पुलिस की भर्ती में हमारे लड़कों को छातकर यादवों को बुलाकर नौकरी दे दिया।हमने पूछा-आपके गाँव के कितने लड़कों को छाट दिया गया तो उनका कहना था कि बहुत से लड़कों को।बस वे बहुत से बहुत से की रट लगाए थे।तब हमने कहा -भैया,बहुत की बात छोड़ो,सिर्फ दो तीन ऐसे लड़कों को लाओ,जिन्हें छाटा गया है।तब उनकी बोलती बंद हो गयी।तब उसमें से 2,3 लोगों ने कहा कि संजय निषाद आये थे,वही बता रहे थे।हमने कहा कि-भाई जी,आभी आप लोग अपने गांव की बात कह रहे थे,याब कह रहे हैं कि संजय कह रहा था।कोई कहे कि-गणेश तेरा कान कउआ ले गया तो अपना कान देखोगे कि पेड़ की दाल पर कउआ को देखोगे।लोगों ने कहा-आपने कान को।
थोड़ी दूरी पर 50,60 की संख्या में एक मैदान में जांघिया, बनियान पहनकर लड़के रेस लगा रहे थे,कुछ सपाटा व दण्ड बैठक कर रहे थे।हमने ताश पत्ता खेल रहे लोगों से पूछा कि वे लड़के किस जाति के हैं? तो उनका जवाब था कि अहिर जाति के।पुनः हमने पूछा-निषाद, राजभर,चौहान के कितने लड़के दौड़ते व उठक बैठक,सपाटा का कम्पटीशन करते हैं तो जवाब मिला कि कोई नहीं।
यादव से कम्पटीशन करो,आगे बढ़ो-
केवल यह कहने से समाज आगे नहीं बढ़ेगा कि हमारा हक हिस्सा यादव छीन रहे हैं,बल्कि आगे बढ़ने के लिए यादव से कम्पटीशन करना होगा,उनसे आगे जाने की हुनर व काबिलियत पैदा करना होगा।जो पढ़ेगा,वही आगे बढ़ेगा,ताश पत्ता खेलने वाले पीछे रह जाएंगे।यादव का लड़का पढ़ता है,नङ्गे पाव 3-4 किलोमीटर सुबह शाम दौड़ता है,दंड बैठक व सपाटा का कम्पटीशन करता है,भर्ती के लिए बनारस,इलाहाबाद,लखनऊ, आगरा,दिल्ली,नासिक जाता है,धक्के खाता है,परिश्रम करता है।अखिलेश यादव पुलिस,पीएसी में यादवों की भर्ती कर दिए तो आर्मी,एयरफोर्स, सीएसएफ,बीएसएफ,आरपीएफ,सीआरपीएफ,सीआईएसएफ आदि में यादव मेजर,सूबेदार,कर्नल,लेफ्टिनेंट, सैनिक कैसे बन गए और आज भी जो भर्ती हो रही है,उसमे पिछड़ी जातियों में यादव ही सबसे अधिक भर्ती हो रहे हैं।कारण कि वे मेहनत करते हैं,कम्प्टीशन देते हैं,फालतू में समय नहीं गँवाते हैं।इसलिए यादवों,चमारों की अच्छाई की नकल करो,उनसे प्रतिस्पर्धा करो आगे निकलने की,अन्यथा यही कहते रहोगे कि यादवों ने हमारा हिस्सा हड़प लिया तो पीछे ही रह जाओगे।
अखिलेश, मुलायम ने हिस्सा छीनकर यादवों को दिया तो अब भाजपा क्या दे रही?
मां लिया कि अखिलेश यादव,मुलायम सिंह यादव ने यादवों को नौकरी बुलाकर दिया तो अब योगी,मोदी कुर्मी,काछी, केवट,मल्लाह,माली,कोयरी,गड़ेरिया,भर,नोनिया,पासी,दुसाध,खटीक,लोधी,गुजर, तेली को नौकरी क्यों नहीं दे रहे?अब आप लोग भाजपा वालों से पूछो कि सपा सरकार में यादवों को नौकरी मिल रही थी तो अब किसको मिल रही है?भाजपा पिछड़ों,दलितों की सबसे बड़ी दुश्मन है,मगरमच्छ है।ये मारेंगे भी और रोने भी नहीं देंगे।जिनके बाप दादा तुम्हारे बाप दादा को जमीन पर नहीं बैठने दिए,वे तुम्हे नौकरी,रोजगार,मान-सम्मान,अधिकार देंगे।
86 में 56 यादव एसडीएम का प्रचार झूठा था-
भाजपा ने मीडिया ट्रायल कराकर झूठा प्रचार किया कि लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव ने 86 में 56 यादव एसडीएम बना दिये।जब यह झूठा आरोप लगाया गया उस समय 30 मे 5 यादव एसडीएम बने थे।जब 2012 से 12016 तक कभी एसडीएम का 86 पद विज्ञापित ही नहीं हुआ तो 86 में 56 यादव एसडीएम कैसे बन गए?अनिल यादव के पूरे कार्यकाल में कुल 97 एसडीएम बने जिसमे 14 यादव,18 एससी व 3 मल्लाह,केवट सहित 29 गैरयादव अतिपिछड़े कुर्मी,काछी, लोधी,पाल,चौरसिया,साहू,विश्वकर्मा,प्रजापति आदि बने।
शासन-प्रशासन के यादवीकरण का आरोप-
भाजपा व गोदी मीडिया ने तिल का ताड़ बनाकर यह प्रचारित किया कराया कि शासन प्रशासन में सब यादव ही हैं।जबकि उस समय सिर्फ 5 डीएम व 7-8 एसपी,एसएसपी यादव थे।योगी की सरकार में 46 जिले के एसपी,एसएसपी,डीएम ठाकुर व आधा से अधिक जिलों के डीआईओएस, बीएसए,सीएमओ आदि ठाकुर,ब्राह्मण,भूमिहार रहे तो यह जातिवाद व ठाकुरवाद,ब्राह्मणवाद नहीं रामराज है।आज अदिकांश थानों,चौकियों,तहसीलों के थानेदार,चौकी इंचार्ज, कोतवाल व एसडीएम ठाकुर,ब्राह्मण ही हैं,कितने थानाध्यक्ष, चौकी इंचार्ज, कोतवाल,एसडीएम निषाद, चौहान,चमार,पासी,कोयरी,कुर्मी,पाल,प्रजापति……जाति के हैं और मोदी,योगी ने इन जातियों को कितनी नौकरी दे दिया?खुलेआम आरक्षण की हकमारी हो रही है,हमारे बच्चों को पढ़ने से रोका जा रहा है,सरकारी संस्थानों,उपक्रमों,बैंकों, कल कारखानों,रेल,गेल, भेल,सेल,बीएचईएल, एनटीपीसी, एयरपोर्ट,पोर्ट ट्रस्ट,कोल माइंस,ओएनजीसी, स्कूटर इंडिया आदि को अडानी,अम्बानी के हाथों नीलाम कर नौकरियां छीनी जा रही है,रोजगार धंधा बन्द किया जा रहा और आप 5 किलो गेहूँ, चावल पर इतरा रहे हो,यह आपको जाहिल,निठल्ला व भूखा नँगा बनाने का षडयंत्र किया जा रहा है।मोदी देश को बेचने में जुटे हुए हैं और तुम 5 किलो राशन के इंतजार में बैठे हुए हो।तुम्हे कमतोड़ मंहगाई,खाद,बीज,तेल,गैस,दाल आदि की बेतहासा मूल्यवृद्धि नहीं दिखाई दे रही है।
लौटनराम निषाद