द्वारा: सबतिनी चटर्जी और सात्यकी पॉल
हिंदी अनुवादक : प्रतीक जे. चौरसिया
1 जुलाई, 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को 101वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से लागू किया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली थे। 1 जुलाई, 2021 की तारीख को अब केंद्र सरकार ने “जीएसटी दिवस” के रूप में नामित किया है, जो हर साल ऐतिहासिक कर सुधार के रोल-आउट को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है।
जीएसटी के कुछ गुण:
- पिछले चार वर्षों में भारत का कर आधार 66.25 लाख से लगभग दोगुना होकर 1.28 करोड़ हो गया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, भारत में जीएसटी राजस्व संग्रह लगातार आठ महीनों में 1,00,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा है, जबकि अकेले मई, 2021 में 1,02,702 करोड़ रुपये का संग्रह किया गया है। यह COVID19 की चल रही दूसरी लहर के मद्देनजर है;
- जीएसटी परिषद ने करदाताओं और नागरिकों की वैध चिंताओं को दूर करने के लिए जब भी आवश्यक हो, सुधार करके दूरदर्शिता और समझदारी दिखाई है। यह न केवल करदाताओं, विशेष रूप से एमएसएमई पर अनुपालन बोझ को कम करने के उपायों में प्रकट होता है, बल्कि आम आदमी पर कर के बोझ को कम करने के लिए भी होता है;
- आत्म निर्भर भारत पैकेज 1.0 और हाल ही में आत्मनिर्भर पैकेज 2.0 को कुछ अधिस्थगन के साथ शुरू किया गया था। ये जमीनी स्तर पर आर्थिक स्थिति को कम कर सकते हैं; तथा
- इसके अलावा, आरईएपी परियोजना ने करदाताओं पर अनुपालन बोझ को काफी हद तक कम कर दिया है, जिससे उनका जीवन सरल और बेहतर हो गया है।
बहरहाल, व्यवसाइयों द्वारा सामना किए जाने वाले लगातार मुद्दों से जीएसटी के लाभों को अस्पष्ट किया गया है। इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट में, जीएसटी शासन में कर दरों की बहुलता, जीएसटी पूर्वानुमान के संबंध में जीएसटी संग्रह में कमी, जीएसटी संग्रह में उच्च अस्थिरता, रिटर्न दाखिल करने में असंगति से संबंधित चिंता के कई क्षेत्रों पर भी जोर दिया है। केंद्र से मुआवजे पर राज्यों की निर्भरता आदि। यह स्थिति COVID19 लॉकडाउन प्रेरित आर्थिक संकुचन से और अधिक बढ़ गई है। इस प्रकार यह ध्यान रखना अनिवार्य है कि जीएसटी कानून में कुछ संरचनात्मक स्तर के बदलाव व्यापार और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए: अखिल भारतीय संदर्भ में तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, इसको जीएसटी स्लैब के भीतर (पेट्रोलियम और संबंधित उत्पादों को) शामिल करने पर विचार करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, मुकदमों की बाढ़ (पीआईएल) तय होने के लिए लंबित है और बड़ी मात्रा में रिफंड के दावे विवादित हैं, अंततः जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन करना महत्वपूर्ण है; क्योंकि यह स्पष्ट है कि सभी करदाताओं के पास वित्त या साधन नहीं है। हर व्यावहारिक कठिनाई के लिए उच्च न्यायालय का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे मुद्दों का मुकाबला करने के लिए, भ्रष्टाचार विरोधी उपायों का पुनर्गठन करना बहुत महत्वपूर्ण है और अनुपालन प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर भी फिर से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि लागत दक्षता और जीएसटी के तहत परिकल्पित कीमतों में कमी आम आदमी तक पहुंचे।
निष्कर्ष रूप में, हम कह सकते हैं कि जीएसटी ने “एक राष्ट्र, एक कर” की नीति की कल्पना की थी, लेकिन इसके लागू होने के चार साल बाद भी इसके चार स्लैब हैं, यानी 5%, 12%, 18% और 28%। यद्यपि यह एक ऐसा कानून है, जो प्रगति पर है, फिर भी चीजों को सरल और जनता के लिए अधिक पारदर्शी बनाया जाना चाहिए; ताकि आम आदमी के खिलाफ टैक्स टेररिज्म की श्रेणी में डालने के बजाय, हम इसे गुड एंड सिंपल टैक्स कह सकें।
लेखक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार के तहत सांस्कृतिक अनुसंधान संस्थान, कोलकाता में अनुसंधान सहायक के रूप में एवं सह-लेखक पीएच.डी. के रूप में कार्यरत है। मानव विज्ञान विभाग, कलकत्ता विश्वविद्यालय में रिसर्च स्कॉलर।