बच्चों को क्या बनाना चाहते हैं?
एक जेनुइन सवाल है आपके सामने। इसलिए कि आपका बच्चा जो आज पांच से पन्द्रह साल का है, उसके सामने यह सवाल आने वाला है। और जो बीस साल से ज्यादा के हैं, उनके सामने तो यह मुंह बाए खड़ा है,
जवाब नही है।
दुनिया तेजी से बदल रही है। हमारी सोच, योजना और पीढ़ी के पैटर्न बदलने की स्पीड से ज्यादा। पिछली बार जब बदली थी, तब हमारे पास विकल्प था। इस बार नही।
तो मानव के विकास क्रम में, समाज के विकास क्रम में ..सम्पत्त्ति का उद्भव , स्थिर जीवन की शुरुआत के साथ होता है। शिकारी जीवन छोड़ जब हमने नदी घाटियों में अपनी सभ्यता स्थापित की, तब से अब तक, दो ही तरह से जीवन यापन औऱ व्यापार होता आया है।
उत्पादन और सेवा। तीसरी कोई चीज नही।
तो उत्पादन खाद्य का हो, वस्त्रों का या जरूरी चीजों का। इस प्रकिया में लोगो की जरूरत होती, नौकरियां निकलती।
दूसरी तरफ सेवा, याने नाई, धोबी, बढई, ट्रांसपोर्ट, वकालत, एकाउंट, डॉक्टर, होटल, रेस्टोरेंट्स और तमाम सेवाएं, इनको कंट्रोल करने वाली सरकार की नौकरी। सभी सर्विस हैं।
आपका, आपके पूर्व की पीढ़ियों का जीवन इनमे से ही उत्पादन या सेवा को करते हुए कट गया।
औद्योगिक क्रांति आई। हजार हाथ का काम एक मशीन करने लगी। सस्ती, न थकने वाली, हड़ताल न करने वाली। मशीनों की क्षमता बढ़ी, और उत्पादन के लिए कम लोगो की जरूरत पड़ने लगी।
औद्योगिक तकनीक का विकास धीमे हुआ। रिस्पॉन्स टाइम लम्बा था। फिर जीवन शैली बदलने से नए क्षेत्र खुले। उनमें सेवा क्षेत्र ने बचा लिया। टुरिज्म, ट्रान्सपोर्ट, सॉफ्टवेयर..
तो उत्पादन क्षेत्र में घटे रोजगार, सेवा क्षेत्र से पूरे हुए। सीए, लॉयर, डॉक्टर, टीचर, एकाउंटेंट, इंजीनियर, आर्किटेक्ट, डिजाइनर, डेवलपर… व्हाइट कॉलर श्रम हमारी पीढ़ी को चला ले गयी।
वो बदलाव जरा धीमे हुए। बच्चों की शिक्षा दीक्षा के ढर्रे को बदलने, एडजस्ट करने का वक्त मिला।लेकिन डिजिटल क्रांति आपको इतना “रिस्पॉस टाइम” नही दे रही। एक ही पीढ़ी में तकनीक कई पीढ़ियों की छलांग लगा गयी है। आज सीखी स्किल, चार साल बाद बेकार है। आज का प्रतिभाशाली, कल की स्पर्धा में अतिशेष है।
ऑटोमेशन ने सेवा क्षेत्र में इंसान का अतिक्रमण किया है।
एप और मोबाइल के दौर में हर सेवा मानवहीन होती जा रही है। एक वेदांतू का टीचर 30 हजार बच्चो को पढ़ा रहा है। एक बैंकिंग सॉफ्टवेयर कुछ हजार बैंक कर्मचारी की नौकरी निगल रहा है।
जीएसटी ऑनलाइन हो गया, इनकमटैक्स भी, मनरेगा भी। इन सरकारी विभागों की कितनी नियुक्तियां अब अतिशेष हुईं, क्या इस पर सोचा आपने??
निजी व्यापार, छोटे व्यापारी इस बर्न को फील कर रहे हैं। मध्यवर्ग पूरा महसूस नही कर रहा। पर सचाई यह है इस पोस्ट को पढ़ते तक एक नई टेक्निक कहीं बन गयी होगी, जो बीस रोजगार चट करने वाली है। हर एक नई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का डेवलपमेंट मनुष्य की जरूरत को कम कर रहा है।
ड्रायवर इस वक्त ड्राइव कर रहा है। मैं पीछे बैठा टाइप कर रहा हूँ। दस साल में ड्राइवरलेस कार आ जाएगी। तब ये लड़का 40 साल का होगा।
खिड़की के बाहर, जोमैटो का डिलीवरी बॉय हड़बड़ी में निकला है। ड्रोन से डिलीवरी कुछ सालों में होने लगेगी। आप जीपीएस लोकेशन डालकर ऑर्डर करेंगे। उसका ये रोजगार भी खत्म हो जाएगा।
बैंक से लौट रहा हूँ। मैनेजर के पास कोई पावर नही, उसे बस पेपर स्कैन करके भेजना है। स्टेट हेड डिसीजन करता है। पर असल मे वह भी नही करता, फैसला सिबिल डेटा करता है।
एक जिले में दूसरे बैंक का जितना स्टाफ होता है, इस वाले बैंक का पूरे स्टेट में है। पर पोर्टफोलियो दूसरे बैंक के बराबर हैंडल कर रहा है। अब दूसरे बैंक भी इसे कॉपी कर रहे हैं। बैंक पीओ की वार्षिक वैकेंसी आधी हो चुकी।
तो अपने 10 साल, 15 साल के बेटे को कौन सी स्किल, कौन सा सेक्टर, किस सब्जेक्ट की सलाह देंगे। जिस किसी चीज के लिए वो तैयार होकर, दस-बारह साल बाद मार्किट में आएगा, वह सेक्टर तब तक बचा भी होगा या नही??
हिंदुस्तान की आधी आबादी 28 साल से नीचे की है। अगले दस साल में इतनी बड़ी संख्या जॉब चाहेगी, जितनी दुनिया के किसी देश मे इतिहास के किसी दौर में नहीं रही।
एक मौका था। जिस तरह चीन दुनिया के गुड्स का हब बना, हम सर्विस में आगे बढ़ रहे थे। फिर हमने दिशा ही बदल ली। अब वो मौका हाथ से निकल चुका। अब आगे बीस करोड़ लोगों के लिए 20 हजार रोजगार होंगे। बच्चा अतीव प्रतिभाशाली है, आप कनेक्टेड हैं, पावरफुल है, तो कहीं सेट कर लेंगे।
और इसके हजारों गुना जो बचेंगे, वे इन सेट और कमाते खाते लोगो को लूटेंगे, चोरी करेंगे। डाके डालेंगे। पर इस पर न तो आपका ध्यान है, न आपके बेटे का। फिलहाल तो आप दोनों भगवा पटका लपेटकर, मियां टाइट करने की जुगत में हैं।
मन्दिर में अस्मिता खोज रहे हैं। सँस्कृति के नाम पर लट्ठ भांज रहे हैं।
देश बचा रहे हैं। लेकिन आपने बच्चे का भविष्य नही सोचा है। बच्चा भी मोबाइल पर देश का इतिहास सोच रहा है।
लेकिन सरकार ने सोचा है।
जब गरीबी,बदहाली, बेरोजगारी होगी, डकैती, लूटपाट बढ़ेगी। शराब, स्मैक,धर्म, डिजिटल गेम्स, मोबाइल डेटा, आपके बच्चे को इस जंजाल से दूर ले जाएंगे। एक वर्चुअल दुनिया में..
भरपूर तैयारियां हो रही हैं। मन्दिर बन रहा है। डेटा रद्दी के भाव है। तीन हजार टन अफीम स्पेशल पोर्ट पर उतर चुका है। पोर्ट से जुड़ी रेलगाड़ियां और कंटेनर भी आपके शहर बगैर जांच के पहुचेंगे।आपकी रामजादी सरकार ने आपसे पहले तय कर रखा है जनाब..
कि वो आपके बेटे को क्या बनाना चाहती हैं।
मनीष सिंह