हत्यारा

दैनिक समाचार

बहुत दूर से आया है हत्यारा
उसे पार करने पड़े हैं
दुर्गम डरावने जंगल
मौसम की मार झेलनी पड़ी है
बीहड़ रास्तों पर
भूखे बिताये हैं उसने कई दिन
सेनाओं ने सही हैं मुसीबतें
हत्यारे के लिए

सेनाएं कट मरेंगी हत्यारा जीतेगा
हर बार जीतने के बाद
लाशों के बीच अकेला खड़ा
हत्यारा कहेगा
अब मैं जाता हूं बुद्ध की शरण ।

                       - मंगलेश डबराल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *