द्वारा : आर. पी. दास
पंडित जी के पास जाकर पूछो कि मेरी नौकरी नहीं लग रही है तो पंडित जी कहते हैं कि कुंडली में दोष है, मंगल भारी, शनि टेड़ी चाल चल रहा, गृह दोष अलग से, राहु का भी प्रकोप है, ब्रहस्पति और शुक्र में भी समस्या है, किस्मत रूठी पड़ी है, यज्ञ, हवन, पूजा, दान ध्यान की सख्त जरूरत बताते है।
पंडित जी से पूछो आपके बेटे को नौकरी नहीं मिली आखिर क्यों? पंडित जी कहते हैं वजह आरक्षण है, इसे आर्थिक आधार पर करना होगा, गरीब तो कोई भी हो सकता है, वे कई अमीर, सक्षम दलितों के उदाहरण देंगे, आज तो कोई भी जातपात नहीं मानता फिर भी आरक्षण जाति आधारित है, यह हमारे बच्चों के साथ बहुत बड़ा अन्याय हो रहा है।
पंडित जी से पूछो आप अपने बच्चों की शादी अपनी जाति से बाहर करेंगे? तब पंडित जी कहते हैं कि ऐसे कैसे हो सकता है? संस्कृति, परंपरा भी कोई चीज़ है? पहले दलितों को सक्षम, काबिल बताने वाले पंडित जी अब उन्हीं में गंदगी से लेकर असभ्य होने तक के सौ कमियां निकालेंगे। बच्चों में स्वतंत्र फैसलों की वकालत करने वाले पंडित जी जाति से बाहर सम्बंध के सख़्त खिलाफ हैं।
पंडित जी समान गोत्र के पक्षधर नहीं है, उसके वैज्ञानिक कारण, गुणसूत्र, जीन, डीएनए की वकालत करेंगे लेकिन जाति की बात आते ही अपनी धारणाओं, विचारों, बातों के ख़िलाफ़ हो जाते हैं। पंडित जी अपनी पुश्तैनी पंडिताई को सामाजिक आरक्षण नहीं मानते और न इसे सभी जातियों के लिए खुला करने के पक्षधर हैं पर संवैधानिक आरक्षण के खिलाफ हैं।
पंडित जी जाति नहीं मानते ऐसा कहते हैं पर आजतक एक गिलास पानी किसी दलित के हाथ का नहीं पीया अन्यथा धर्म भ्रष्ट होगा, अपनी पंडिताई पर किसी अन्य जाति का अधिकार नहीं चाहते, पंडित होने के लिए कोई योग्यता की वकालत करे उन्हें बुरा लगता है, पंडित जी किसी गरीब पंडित के लिए भी अपनी जगह छोड़ने को राजी नहीं।
अपनी कमाई का आधा हिस्सा मन्दिर के भिखारियों पर खर्च करने की वकालत करने वालों पर पंडित जी तिलमिला जाते हैं। इसपर वह कोई बहस ही नहीं चाहते, वह दान, दक्षिणा से घर चलाएंगे, बच्चे पढ़ाएंगे फिर बच्चे पढ़ लिखकर संवैधानिक आरक्षण को भीख कहते हैं। मूल विषय पर पंडित जी विमर्श नहीं चाहते अन्यथा इसे अधर्मीयों, विधर्मियों द्वारा हिन्दू-सनातन धर्म पर हमला घोषित कर देंगे। #आरपीविशाल।