शब्दों को शब्दों से कुचल कर, जनता की रोज की जरूरतो को महंगा किया जा रहा है….
जनता की आस्थाओं को अलग अलग समूहों में बाटकर, अलग अलग समूहों को भिन्न भिन्न जख्म दिया जा रहा है…
भिन्न भिन्न जख्मों पर भिन्न भिन्न शब्दों के मरहम से भिन्न भिन्न शब्दों का मरहम लगाया जा रहा है..
शब्दों के मरहम से जख्म तो ठीक हो जाता है, लेकिन वो दर्द ठीक नहीं हो रहा है…
दर्द की उस पीड़ा को फिर से संगीत शब्दों के मरहम से कुछ क्षण के लिए शान्त किया जा रहा है….
भिन्न भिन्न जगह नजर घुमाने से नजरिया तो बदलता है लेकिन पीड़ा का वो दर्द नहीं बदल रहा है…
किसी की पीड़ा को किसी का मरहम बताकर पीड़ा को मरहम का नाम दिया जा रहा है..
जिन्दगी को शब्दों में उलझाकर वर्तमान में बुलडोजर को समाधान का नाम दिया जा रहा है……
किसी एक गरीब का आशियाना उजाड़कर अन्य गरीबों को खुशकर… पूजीपतियों के लिया एक नया रास्ता बनाया जा रहा है
वर्तमान में गरीब बच्चों के भविष्यों को दफनाकर, मेरे भारत को तरक्की के रास्ते पर लाया जा रहा है
Reeta bhuiyar जिला बिजनौर उत्तर प्रदेश भारत