केवल नारे लगाने मात्र से ही काम नहीं चलता है। नागरिकों को यह भी चिंतन और अध्ययन करना होगा कि पूर्व पीएम स्व० इंदिरा गांधी के बाद से देश में किस पार्टी ने कितने बिजली उत्पादन गृहो का निर्माण कराया?
जबकि इंदिरा गांधी जी के उस दौर की बात करें तो 80% प्रतिशत गांव ऐसे थे, जिनमें बिजली के खड़े तक भी नहीं पहुंचे थे, बिजली तो बड़ी बात होगी!
परन्तु वर्तमान में संभवत: कोई भी ऐसा गांव नहीं होगा, जिसमें बिजली न पहुँची हो, बल्कि कोई भी घर ऐसा नहीं होगा, जिसका लोड डेढ़ किलो वाट से कम हो! फ्रिज, कूलर, मिक्सी और पंखे तथा वाशिंग मशीन भी लगभग हर तीसरे घर पर औसतन अनुमान होगा।
शहरों में जो लोग उस समय कूलर भी नहीं रखते थे, आज एसी से कम पर बात नहीं करते हैं।
तमाम वैकंटहाल, मैरिज हाल तथा होटल व इंडस्ट्रीज में भी काफी उन्नति हुई।
लेकिन पावर हाउस वही गिनती भर के।
यूपी की बात करें तो ?
यदि एनटीपीसी और प्राइवेट सेक्टर से बिजली न ली जाए तो कटौती ही नहीं, बल्कि बिजली मिलनी मुश्किल हो जाएगी।
मायावती का ध्यान इस समस्या पर दिलाया गया अथवा गया होगा तो पांच पावर हाउस में अधिक बिजली पैदा करने हेतु दो दो यूनिट का विस्तारीकरण किया गया। जिसमें राजनैतिक द्वेष के चलते बीच बीच में बदलती सरकारों के कारण पावर हाउस बनने के लिए तय फंड को रोक दिया गया। इस कारण इन पावर यूनिटों का भी समय से विस्तारीकरण, यानि अभी तक भी पूरा नहीं हो पाया है।
ऐसे में बिजली कटौती नहीं होगी तो क्या भगवान जी बिजली का प्रबंध करेंगे?
ऊपर से हर शहर में बिछी अति पुरानी और जर्जरित तारों वालों लाईनें, जिसमें अभी पचास प्रतिशत भी इन्सयूलेटिड केबल ही बदले जा सके हैं। उद्योगपतियों और अन्य लोगों द्वारा बिजली चोरी की घटनाओं में कमी जरूर आयी है, परन्तु पूरी तरह बंद नहीं हुई है। जिसमें बिजली विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों तथा बिजली चोरी करने वाले देशद्रोही नागरिकों का भी अहम योगदान है, क्योंकि वर्तमान में अधिकांश नागरिक शिक्षित हैं और समझ चुके हैं, बिजली भगवान की देन नहीं, बल्कि तकनीकी द्वारा उद्योगों की तरह दिनरात लगातार काम करते हुए हजारों कर्मचारियों एवं अधिकारियों के अथक परिश्रम के पश्चात बिजली का उत्पादन करके आप के पास तक पहुंचाया जाना संभव हो पाता है।
इसलिए राष्ट्र हित में बिजली बचाएं, चोरी करने वालों पर कड़ी नजर रखे तथा विद्युत विभाग के अधिकारियों को ऐसे लोगों के बारे में जरुर बताएं।
बिना बिजली के देश और मानव सभ्यता का विकास असंभव है। इसलिए धरना प्रदर्शन जरूर करिए, किन्तु कटौती कऱने के लिए नहीं, बल्कि बिजली उत्पादन बढाने के लिए। नये पावर हाउस बनवाने तथा जर्जर हो चुकी लाईनों के तार व इंसूलेटर तथा ट्रांसफार्मर बदलवाने के लिए! क्योंकि लोड से कम का ट्रांसफार्मर होगा तो अधिक समय तक नहीं चल पाएगा। विशेषकर गर्मी के दिनों में, जब तापमान 45°C से भी अधिक हो तो जाहिर सी बात है कि विद्युत आप तक पहुंचाने में व्यवधान भी जरूर आएंगे।
अपने अपने क्षेत्र की जानकारियां स्वयं एकत्रित करके उचित कार्यवाही करने की कोशिश करें।
तथा रिश्वत किसी को भी न दें और यदि कोई रिश्वत मांगने की बात करता है, ऐसे लोगों की वीडियो बनाकर अथवा उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाकर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों/कर्मचारियों पर कार्यवाही जरूर करानी चाहिए।
(साभार)