द्वारा : रीना शाक्य
अनेकों लोगों की पोस्ट पढ़ चुकी हूं ।
“खाए पीए हैं, उन्हें एसी में बैठ कर यह मुद्दे दिखते हैं और भी मुद्दे हैं हालात बहुत खराब हैं देश के, लेकिन बस एक सवाल क्रांतिकारियों, बुद्धिजीवियों, दक्षिणपंथियों की तो बात ही छोड़ दीजिए इन्हीं ख़राब हालातों आप अपना चर्म सुख त्याग पाए ??? नहीं न, लेकिन वो आज बोल भी रहीं हैं तो चुभ रही हैं, चुभ रही हैं आखिर क्यों ? तो वो इसलिए कि आपने भी अपने पार्टनर के चेहरे पर असंतुष्टि के भाव देखे होंगे, लेकिन आपको उस समय क्रांति करने की जल्दी थी शायद, यह भी जीने वाले क्षण में अपनी संतुष्टि पूरी होने तक निबटा दिया। इसलिए खिसियानी बिल्ली खंभा ही नोच सकती है।
जरा सोचिए जानवर भी अपनी फीमेल पार्टनर की इच्छाओं के अनुरूप सेक्स होता है। आप तो इंसान हैं, इतना मुंह काहे बना रहे हैं। अनेकों बार सुना होगा, महिलाओं ने अपने पार्टनर से थकान कम हो जाएगी, स्ट्रेस कम होगा, नींद आ जाएगी यार… थकान, स्ट्रेस कम करना, अच्छी नींद यह सब सुख भी आपके लिए ही बने हैं क्या ?
आखिर यह भी तो चोट है मर्दवाद पर, लेकिन साहब, जब बात बराबरी की निकलेगी तो बहुत दूर तलक जाएगी…।