हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे।
यां पर्वत-पर्वत हीरे हैं, यां सागर-सागर मोती हैं।
ये सारा माल हमारा है, हम सारा खजाना मांगेंगे।
वो सेठ व्यापारी रजवारे, दस लाख तो हम हैं दस करोड।
ये कब तक अमरीका से, जीने का सहारा मांगेंगे।
जो खून बहे जो बाग उजडे जो गीत दिलों में कत्ल हुए।
हर कतरे का हर गुंचे का, हर गीत का बदला मांगेंगे।
जब सब सीधा हो जाएगा, जब सब झगडे मिट जायेंगे।
हम मेहनत से उपजायेंगे, बस बांट बराबर खायेंगे।
हम मेहनतकश जग वालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे,
इक खेत नहीं, इक देश नहीं, हम सारी दुनिया मांगेंगे।