मज़दूरों-मेहनतकशों ने क्रांतिकारी नारों के साथ मई दिवस के शहीदों को श्रद्धांजलि दी
आज जमालपुर कॉलोनी लुधियाना में टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन व कारखाना मज़दूर यूनियन द्वारा नौजवान भारत सभा और पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल) के सहयोग से “मज़दूर दिवस सम्मेलन” का आयोजन किया गया। इसकी शुरुआत मज़दूर वर्ग के संघर्षों और बलिदानों का प्रतीक लाल झंडा झुला कर गगन भेदी क्रांतिकारी नारों से की गई। कार्यक्रम के दौरान क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच दस्तक द्वारा क्रांतिकारी गीतों और नाटकों का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर विभिन्न वक्ताओं ने मई दिवस के ऐतिहासिक महत्व, देश दुनिया की स्थिति और मज़दूर वर्ग को दरपेश चुनौतियों पर चर्चा की। सम्मेलन के बाद इलाके में पैदल मार्च किया गया।
वक्ताओं ने कहा कि मई दिवस मज़दूरों के संघर्षों का प्रतीक है। “आठ घंटे के काम”, “आठ घंटे के आराम” और “आठ घंटे के मनोरंजन” के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले मज़दूर शहीदों की याद में हर साल पहली मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। मई दिवस के शहीदों के विचार व उनकी शहादत शोशित जनता के लिए प्रेरणा स्रोत है, वे ऐसा सूरज बनकर उभरे, जिसे कोई पश्चिम अस्त न कर सका, न सकेगा। उन्होंने कहा कि यह दिन मज़दूर-मेहनतकशों के लिए सबक है कि सरकार व पूँजीपतियों ने कभी भी मज़दूरों को कोई हक-अधिकार थाली में परोस कर नहीं दिया, वल्कि हमारे पुरवजों की लासानी शहादतों की बदौलत हमें सभी अधिकार हासल हुए थे। जब भी सरकारें व पूँजीपति मज़दूरों की एकता को कमज़ोर देखते हैं तो उन्के अधिकारों पर हमला कर देते हैं। केंद्र की बीजेपी सरकार ने पुराने श्रम कानूनों की जगह चार संहिता बनाकर मज़दूरों के अधिकारों पर बड़ा हमला किया है। आठ घंटे काम दिहाड़ी का कानून, जो मज़दूर वर्ग ने संघर्षों की बदौलत हासिल किया था, ख़त्म कर दिया गया है और बारह घंटे का कानून बना दिया गया है। महँगाई, बेरोज़गारी तेज़ी से बढ़ रही है जबकि वर्तमान केंद्र और राज्य सरकारें निजीकरण, वैश्वीकरण और उदारीकरण की पूँजीवादी पक्ष नीतियों को लागू करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं। लोगों को धर्म, जाति आदि में बांटकर उनका ध्यान वास्तविक मुद्दों से हटाने की कोशिश की जा रही है। पंजाब में नई जीती आम आदमी पार्टी की सरकार के अब तक के कार्यकाल से मज़दूर-मेहनतकश विरोधी चेहरा स्पष्ट हो गया है। ऐसे कठिन समय में मज़दूरों मेहनतकशों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष के मैदान में उतरना पड़ेगा।
सम्मेलन को टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविंदर, कारखाना मज़दूर यूनियन की ओर से कल्पना, नौजवान भारत सभा की ओर से तरुण पेंड़ू मज़दूर यूनियन की ओर से जगसीर सिंह व मुक्ति संगराम मंच की ओर से जगदीश ने संबोधित किया। इस अवसर पर नईं सवेर पाठशाला के छात्रों द्वारा भी क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किए गए।प्रोगराम में जनचेतना की ओर से पुस्तक प्रदर्शनी लगाई गई। मंच का संचालन लखविंदर ने किया।