मई दिवस पर विशेष

दैनिक समाचार

मई दिवस (1 मई) पर मेहनतकशों को सादर सलाम….

इस देश जिस व्यक्ति ने साफ-साफ शब्दों में मेहनतकशों के दुश्मनों की आज से करीब 91 वर्ष पहले ही पहचान कर ली थी, उस व्यक्ति का नाम डॉ. आंबेडकर है!

डॉ. आंबेडकर ने जी. आर. पी. दलित वर्ग कामगार सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि “मेरी मान्यतानुसार इस देश में कामगारों को दो शत्रुओं का मुकाबला करना होगा. वे दो शत्रु हैं- ‘ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद!’

उन्होंने सबसे पहली पार्टी इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी (1936) बनाई.

भारत को आधुनिक लोकतंत्र बनाने की चाहत रखने वाले उदारवादियों ने सारत: ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद दोनों को गले लगाकर, इस देश को आधुनिक लोकतांत्रिक देश बनाने की कोशिश की, परिणाम सामने हैं. भारत मध्यकालीन बर्बर मूल्यों से भी बाहर नहीं निकल पाया!

ऐसे उदारवादी आज भी भरे पड़े हैं, ये सब कभी-कभी तो प्रगतिशीलता का भी चोंगा पहन लेते हैं.

वामपंथियों को ब्राह्मणवाद शब्द से एलर्जी थी, बहुतों को आज भी है.

वे भारत की मध्यकालीन उत्पादन प्रणाली और समाज व्यवस्था को यूरोप से उधार लिए अमूर्त शब्द सामंतवाद से संबोधित और परिभाषित करना चाहते हैं.

असल इस शब्द के माध्यम से वे भारत की मध्यकालीन उत्पादन प्रणाली और समाज व्यवस्था के विशिष्ट चरित्र (वर्ण-जाति आधारित, ब्राह्मणवाद) से अनजाने या जान-बूझकर आंख मूद लेना चाहते थे और हैं.

यदि इस देश के वामपंथी पूंजीवाद-साम्राज्यवाद को सिर्फ निशाना बनाते रहेंगे और ब्राह्मणवाद से आंख मूंदे रहेंगे, तो जाने या अनजाने पूंजीवाद के पक्ष में भी खड़े हो जाएंगें, क्योंकि इस देश में ब्राह्मणवाद, पूंजीवाद की सलामती का एक सबसे बड़ा रक्षा कवच है.

यह ऐतिहासिक गलती लंबे समय से दुहराई जा रही है.

इसी तरह यदि दलित-बहुजन आंदोलन सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मणवाद को ही निशान बनाता रहेगा और पूंजीवाद को वाकओवर दे देगा, तो वह भी जाने-अनजाने ब्राह्मणवाद की रक्षा करेगा, क्योंकि पूंजीवाद ब्राह्मणवाद के लिए रक्षा कवच का काम कर रहा है!

इस समय भारत में ब्राह्मणवाद की सबसे प्रतिक्रियावादी और क्रूर धारा का, पूंजीवाद के सबसे प्रतिक्रियावादी और निर्मम रूप कार्पोरेटीकरण के साथ गठजोड़ हो गया है.

एक का प्रतिनिधि आरएसएस है, दूसरे के प्रतिनिधि अंबानी-अड़ानी हैं.

नरेंद्र मोदी इस गठजोड़ के प्रातिनिधिक मुखौटा हैं!

मजदूर दिवस (1 मई) का आज सबसे बड़ा संकल्प- ब्राह्मणवाद और कॉर्पोरेटीकरण के गठजोड़ के खिलाफ निर्णायक हमला होना चाहिए!

नोट- ब्राह्मणवाद का मतलब उत्पादन प्रणाली और सामाजिक व्यवस्था का वर्ण-जातिवादी ढ़ांचा.

—आर रवि विद्रोही
01 मई , 2022

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *