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Ajay Shukla
गुफ़ा के बाहर क्या है पापा?”
“शेर! जाना मत, खा जाएगा.”
बुद्धू बच्चों ने आज्ञा मान ली
‘गंदे’ बच्चों ने बाप की न मानी
कुछ ‘गंदे’ बच्चों को शेर खा गया
कुछ ‘गंदे’ बच्चों ने झोपड़ी डाल ली
हम उन्हीं गंदे बच्चों की संतानें हैं
जिन्होंने पूछा था–”बाहर क्या है”
हम नगरों, महानगरों में रहते हैं
कल हमारे बच्चे मंगल में रहेंगे
और तुम कहते हो कि सवाल न पूछो!
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वह ‘गंदा’ अगर बच्चा चाहता तो खा लेता
सेब खाकर बाप की तरह सेहत बना लेता
मगर उसने तो पूछा सवाल:
अगर सेब नीचे टपक सकता है
तो हमारा चंदामामा क्यों नहीं?
एक मासूम का एक मासूम-सा सवाल
और, धरती पर सब कुछ बदलने लगा
और तुम कहते हो कि सवाल न पूछो?
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एक और ‘गंदे’ बच्चे का सवाल:
क्या मैं रौशनी की किरण की सवारी कर सकता हूं?
और सवाल का जब जवाब निकला
तो वह
ई इज़ ईक्वल टु एमसी स्क्वायर हो गया!
और तुम कहते हो कि सवाल न पूछो!
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एक थे वाजश्रवा
उनका भी था एक ‘गंदा’ बच्चा
उसने बाप से ही पूछ लिया था सवाल
उसी सवाल का उत्तर
कठोपनिषद हो गया!
और तुम कहते हो कि सवाल न पूछो!
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और
गीता के पीछे भी क्या है?
अर्जुन का सवाल
सवाल न होता तो जवाब कहां होता?
और तुम कहते हो कि सवाल न पूछो