जोधपुर में ईद के दिन हिंसा : कुछ ज़रूरी सवाल

दैनिक समाचार

(यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण ब्लॉग है, इसे संजीदगी के साथ पूरा पढ़ियेगा और अच्छा लगे तो ज्यों का त्यों शेयर कीजियेगा।)

  1. पहले भी कई बार दो धर्मों के त्यौहार एक ही दिन में आए हैं और सद्भाव के साथ मनाए गये हैं। अब ऐसा क्यों नहीं होता?
    (संदर्भ, हिंदू नववर्ष, रामनवमी, हनुमान जयंती और ईदुल फ़ित्र पर अलग-अलग शहरों में हुई हिंसक घटनाएं)
  2. कौन है वो जो हिंसक घटनाओं की स्क्रिप्ट तैयार करता है?

अब बात जोधपुर में हुई हिंसा की।

  1. ईद की रात 2 मई को, किसने यह अफ़वाह फैलाई कि ईदगाह के पास पाकिस्तान का झण्डा लगाया गया है?
  2. ईद की रात 2 मई को, चाँद-तारे वाले ईद के झंडे और ईद की नमाज़ के लिये प्रशासन की रज़ामंदी से लगाये गये लाउडस्पीकर को तोड़ने-उखाड़ने वाली भीड़ को किसने उकसाया?
  3. इसकी प्रतिक्रिया में ईद के दिन, नमाज़ के बाद, पथराव करने वाली मुस्लिम युवाओं की भीड़ को किसने उकसाया?
  4. जब समझाइश के बाद एकबारगी मामला शांत हो गया तो फिर दोपहर के वक़्त किसके उकसावे में आकर चंद बदमाश मुस्लिम वेशधारी गुंडों की भीड़ ने एक मोटरसाइकिल जलाई और एक हिंदू युवक पर चाकू से हमला किया?
  5. एक बहुत छोटी-सी हिंसक घटना को “साम्प्रदायिक दंगा” कहकर पूरे देश में नफ़रत भड़काने वाला मीडिया आख़िर क्या चाहता है?

अब आमना (अरमान, उलाहना) जोधपुर के साँसद, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत जी से। नोट : यहाँ आमना एक मारवाड़ी शब्द है।

  1. केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पूरे जोधपुर लोकसभा क्षेत्र के साँसद हैं। वे केंद्र की सरकार में जोधपुर के हिंदुओं के जनप्रतिनिधि भी हैं और जोधपुर के मुसलमानों के भी जनप्रतिनिधि हैं।

जिन्होंने उन्हें वोट दिया वे उनके भी सांसद हैं और जिन्होंने उनको वोट नहीं दिया, वे उनके भी साँसद हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को हराकर वे जोधपुर के साँसद चुने गये। गजेंद्र सिंह शेखावत, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके बेटे वैभव गहलोत के भी साँसद हैं।

हिंसक घटना की ख़बर पाकर वे तुरंत जोधपुर आए, अच्छी बात है लेकिन उनको दोनों धर्म के समझदार लोगों के साथ बैठकर हिंसा को रोकने की कोशिश करनी चाहिये थी। वे सिर्फ़ हिंदू समाज के प्रतिनिधि बनकर धरने पर क्यों बैठे?

क्या भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के उनके मुस्लिम साथियों ने उनका चुनाव प्रचार नहीं किया था? क्या उनके कहने पर बहुत-से मुसलमानों ने शेखावत को वोट नहीं दिया था? अगर कुछ मुस्लिम वेशधारी गुंडों ने हिंसा की तो “गज्जू बन्ना” आपको पूरा हक़ था कि आप उनका गिरेबान पकड़कर रोकते। (नोट : जोधपुर के लोग अपने साँसद गजेंद्र सिंह शेखावत को प्यार से गज्जू बन्ना कहते हैं। मारवाड़ में बन्ना राजकुमार को कहा जाता है।)

कुछ दिन पहले जोधपुर के मुसलमानों ने रामनवमी के जुलूस का स्वागत किया था। हिंदू समाज के लोगों ने 2 मई को ही अपने मुस्लिम दोस्तों को ईद मुबारक संदेश भेजने शुरू कर दिये थे। जोधपुर में सभी धर्म के लोग प्यार-मुहब्बत से रहते हैं तो फिर हिंदू-मुस्लिम सद्भावना के दुश्मन कौन हैं?

जोधपुर की जनता इन सवालों के जवाब चाहती है। हम जोधपुर के लोग चाहते हैं कि जो भी दोषी हों, उनको कड़ी सजा मिले।

हमारे यहाँ कहावत है, पाणी में लाठी मारया दो नई व्हे (लाठी मारने से पानी दो हिस्सों में नहीं बंटता)। इसके साथ ही हम जोधपुर के लोग, अन्य राज्यों और अन्य शहरों के हिंदू और मुस्लिम सहित सभी नेताओं से निवेदन करते हैं कि बराए मेहरबानी भड़काऊ बयानबाज़ी न करें। हम लोग बहते पानी की तरह एक थे और एक रहेंगे, इं-शा-अल्लाह!

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