नई नई हैडलाइन….

दैनिक समाचार

हेडलाइन बनती है कि पोलैंड लगभग 55% गैस रूस से आयात करता है, बुल्गारिया लगभग 75% आयात करता है। हमें लगता है कि अरे गजब 55%, अरे गजब 75%। ओहो-ओहो पोलैंड व बुल्गारिया तो खतम हो जाएंगे यदि रूस गैस नहीं देगा। क्या होगा इन देशों का। वह भी तब जब हम भारतीय उस देश में रहते हैं जहां आम लोगों के घरों में बिजली की आपूर्ति दिन में आधा दिन भी नहीं होती है, जबकि अधिकतर लोग केवल बल्ब व पंखा ही चलाते हैं। जबकि पोलैंड व बुल्गारिया में घरों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति होती है, लोग घरों में रात दिन हीटर इत्यादि चलाते हैं।
.
तब भी हम ऐसी कल्पना करते हैं मानो पोलैंड व बुल्गारिया बिना रूस की गैस के खतम हो जाएंगे। रूस कितना ताकतवर है, एक झटके में पोलैंड व बुल्गारिया को मटियामेट कर दिया। हमें सैडिस्टिक आनंद मिलता है इस तरह की कल्पनाओं से, हम अपने भारी-भरकम कष्टों को केवल इस नशे में इग्नोर करते हैं कि दूसरे को जिसको हम जानते भी नहीं हैं को बहुत थोड़ी सी तकलीफ होने वाली है।
.
लेकिन हम यह नहीं जानना चाहते हैं कि पोलैंड व बुल्गारिया अपने-अपने देशों में कुल ऊर्जा खपत का कितना प्रतिशत रूस की गैस से करते हैं। यदि हम जानना चाहते हैं तो हमें पता चलता है कि बुल्गारिया अपनी कुल ऊर्जा खपत का लगभग 12% और पोलैंड लगभग 9% रूस की गैस से पूरा करते हैं।
.
रूस ने रूबल पेमेंट पर दबाव देते हुए पोलैंड व बुल्गारिया में गैस की आपूर्ति बंद कर दी है। इन दोनों देशों का मिलाकर रूसी गैस का कुल आयात कुछ कम अधिक लगभग 12 अरब क्यूबिक मीटर है, जो योरप में रूसी गैस के कुल आयात का लगभग 8% है।
.
———
योरप में रूस से गैस का आयात धीरे-धीरे कम हो ही रहा है। पिछले वर्ष 2021 में योरप ने रूस से लगभग 155 अरब क्य़ूबिक मीटर गैस आयात की, जो पहले के वर्षों की तुलना में काफी कम था।
.
रूस में दम नहीं कि योरप की गैस आपूर्ति बंद कर दे, कुछ प्रतिशत आपूर्ति को बंद करने जैसी भभकी का कोई मतलब नहीं होता है। रूस को पैसे चाहिए, योरप को गैस। इसलिए रूस गैस की आपूर्ति करता रहेगा।
.
———
जर्मनी को रूसी गैस पर बहुत अधिक निर्भर माना जाता है। लेकिन जर्मनी अपने कुल गैस आयात का लगभग 65% रूस से लेता है शेष 35% दूसरे देशों से। यदि कुल ऊर्जा खपत की बात की जाए तो जर्मनी महज लगभग 18% ही रूस की गैस पर निर्भर है।
.
यदि कुल ऊर्जा खपत की बात की जाए तो केवल हंगरी ही एक मात्र ऐसा योरपियन देश है जो रूस की गैस पर सबसे अधिक निर्भर है। कुल ऊर्जा खपत का लगभग 45% रूस की गैस पर निर्भरता है। जबकि दूसरे नंबर पर निर्भर देश लातविया की रूस की गैस पर निर्भरता कुल ऊर्जा खपत का लगभग 23% है।
.
यदि कुल ऊर्जा खपत की बात की जाए तो योरप रूस की गैस पर बहुत अधिक निर्भर नहीं है।
.
———
ऐसा नहीं है कि बिना रूस की गैस के योरप खतम हो जाएगा। रूस की गैस आपूर्ति बंद होने से योरप को थोड़ी असुविधा होगी, लेकिन जल्द ही योरप विकल्पों का निर्माण कर लेगा। योरप यदि क्लाइमेट-चेंज के लिए गंभीर नहीं होता तो उसे रूसी गैस पर इतना निर्भर होने की जरूरत थी भी नहीं। रूस गैस दूसरों की तुलना में सस्ते दामों में उपलब्ध करा रहा था, चूंकि योरोपियन यूनियन है इसलिए विभिन्न देशों में गैस की पाइपलाइनों का निर्माण व आपूर्ति बहुत आसान है, इन्ही कुछ कारणों से योरप ने रूस की गैस पर अपनी निर्भरता बनाई।
.
यदि आज की तारीख में योरप के देशों में भारत के जैसे बिजली आपूर्ति हो, आम लोग बहुत कम खपत करते हों, लगभग हर व्यक्ति के पास कार नहीं हो, लगभग सभी लोग हवाई जहाज से यात्राएं नहीं कर लेते हो, आरामदेह जीवन जीने की आदत नहीं हो।
.
तो योरप में आज की तारीख में भी बिना कोयला, बिना परमाणु इत्यादि के भी ऊर्जा-केंद्रों से इतनी ऊर्जा उत्पादित होती है कि वह ऊर्जा आयात करने की बजाय, दूसरे देशों को निर्यात करे। जैसे दुनिया के कई देश अपने देश के करोड़ों लोगों को कुपोषित रखकर विदेशों को अनाज निर्यात करते हैं, और राष्ट्र-गौरव महसूस करते हैं।
.
———
हो सके तो हमें योरप की गैस की चिंता छोड़ देनी चाहिए। योरप तकनीकी रूप से आर्थिक रूप से हमारी कल्पना से भी बहुत परे ताकतवर है, वह अपना इंतजाम कर लेगा, रूस जैसे दस देश भी उसकी जड़ें नहीं हिला सकते हैं।
.
हमें अपनी व अपनी अगली पीढ़ियों की चिंता करनी चाहिए कि क्या हम अपने लिए व अपने बच्चों के लिए अच्छी, सर्वसुलभ व जवाबदेह स्वास्थ्य व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था, रोजगार व्यवस्था रखते हैं। क्या हमारे यहां आम लोगों का जीवन आरामदेह है?
.
योरप ने तो यूक्रेन से आने वाले पचास लाख से भी अधिक शरणार्थियों का स्वागत पांच-सितारा व्यवस्थाओं के साथ किया। जबकि यह वही यूक्रेन है जो जब सोवियत संघ में था तब हिटलर के साथ मिलीभगत कर योरप के कई देशों पर कब्जा किया था, कई देशों के कब्जाए हिस्सों को वापस तक नहीं किया था।
.
योरप समाज तो अपने रेस के लोगों का बाहें फैला कर स्वागत करता है। लेकिन क्या हम लोग एक समाज के रूप में अपने भाई-बंधुओं, मित्रों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों इत्यादि पर भी विश्वास व प्रेम के साथ एक दूसरे के लिए खुलेमन जी जीते हैं।
.
जैसे दूसरे विश्वयुद्ध के बाद योरप राख से फिर से उठ खड़ा हुआ और बहुत आगे निकल गया। वैसे ही एक तरफ युद्ध हो रहा है, दूसरी तरफ योरप यूक्रेन को कैसे राख से खड़ा किया जाएगा, इसकी बहुत बेहतरीन योजनाओं इत्यादि पर काम करना शुरू कर चुका है। युद्ध खतम होने के कुछ वर्षों में ही यूक्रेन में इतना विकास हो चुका होगा कि यूक्रेन पहचान में नहीं आएगा।
.
अमेरिका योरप खराब हैं, चीन व रूस महान हैं। रूबल एक यूरो बराबर सौ रूबल था, अब अस्सी हो गया है, इसलिए रूबल महान है। पुतिन महान है। हम भारतीय इसी अधकचरी मूर्खतापूर्ण चंपूगिरी में ही उत्सवित होते रहते हैं। जबकि हमारा खुद का जीवन, खुद का समाज अव्यवस्थित ही बना रहता है।

विवेक उमराव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *