हर दिशा में गूंजे अपनी तान साथियो
लाएँगे हम नया विहान साथियो …..!
लाएँगे …..हम ही नया विहान साथियो !!
वो विहान जिसमें ज़िंदगी के सुर चहक उठें
वो विहान जिसमें हर दिशा-दिशा धनक*उठे
वो विहान जिससे ऐसे दिन की शुरुआत हो
ना शोषणों की बात हो , ना लूट – वारदात हो
ज़ुल्म का मिटाएँगे निशान साथियो !
लाएँगे …..हम नया विहान साथियो !!
हम जो कौंध की तरह उठे पेरिस कम्यून से
हम तो बार – बार उठेंगे उसी जुनून से
हम ही उठे रूस से ,
हम ही उठे चीन से
हम उठेंगे बारहा नई-नई ज़मीन से
हम भरेंगे फिर नई उड़ान साथियो !
लाएँगे …..हम नया विहान साथियो !!
सर्वहारा , सर्वहारा , सर्वहारा हम हैं
उस सुबह के गीत हम हैं
उस सुबह के राग , मुक्तिधारा हम हैं
उस सुबह के हम हैं तान-बान साथियो !
लाएँगे …..हम नया विहान साथियो !!
लाएँगे …..हम ही नया विहान साथियो !!
--- आदित्य कमल
- धनक – इंद्रधनुष