वाल्मिकी, वाल्मिकी रामायण, सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, परसुराम, राम और कृष्ण की सच्चाई जानिये

दैनिक समाचार

बाल्मीकी रामायण के उत्तर कांड के 111 सर्ग में श्लोक 11 देखें.
बाल्मिकी प्रचेता के पुत्र थे.
मनुस्मृति अध्याय प्रथम श्लोक 34, 35 व 36 देखें.

श्लोक 35 के मुताबिक प्रचेता और नारद ब्रम्हा के पुत्र थे. अर्थात बाल्मिकी ब्रम्हा के पौत्र थे.
स्पष्ट है कि बाल्मिकी ब्राह्मण थे.

किंतु, बहुल जनमानस को वाल्मिकी भंगी (अछुत) थे ऐसा बताकर गुमराह किया जाता रहा है.

इतना तो सभी लोग मानते हैं कि “वाल्मिकी रामायण” की रचना वाल्मिकी ने अपने जीवनकाल में हीं की थी और उनकी मुलाकात राम से लव-कुश युद्ध के दरम्यान हुई थी.

इसी ‘वाल्मिकी रामायण’ के मुताबिक राम और लक्ष्मण की मुलाकात परसुराम से जनकपुर में शिवधनुष खंडित होने के पश्चात हुई थी. इससे समझा जा सकता है कि परसुराम, राम और वाल्मिकी समकालीन थे.

गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “वाल्मीकि रामायण” के पेज नंबर 528 अयोध्या कांड के सर्ग नंबर 109 के श्लोक नंबर 34 में, देव विरोधी बुद्ध और बौद्ध मतावमंबियों एवं चार्वाक के अनुयायियों को चोरों की तरह दंडित करने का विधान लिखा है.

इससे समझा जा सकता है कि महाकवि वाल्मिकी फलते-फुलते बौद्ध संस्कृति और चार्वाक दर्शन से बहुत क्षुब्ध थे और बौद्ध मताबलंवियों से चिढ़ की वजह से उसे चोरों की तरह दंडित करना चाहते थे.

ब्रम्हवैवर्त पुराण में परशुराम और गणेश के बीच (सतयुग में) घमासान युद्ध का वर्णन है. परशुराम के फरसे के वार से गणेश का एक दांत खंडित हो गया और गणेश को एकदंत कहा जाने लगा.

वेद व्यास रचित “महाभारत” के मुताबिक द्वापर युग में परशुराम ने कर्ण को धनुर्विद्या सिखाया. यह कृष्ण के मौजूदगी का समयकाल है.

ब्राह्मणी साहित्य में लिखित इन सब बातों पर गौर करने से वैदिक धर्म ग्रंथों में चर्चित सतयुग, त्रेता और द्वापर युग के अलावा ब्राह्मणों के अवतार परशुराम, राम और कृष्ण का पर्दाफ़ाश हो जाता है.

बाल्मिकी रामायण सिद्ध करती है कि बुद्ध और चार्वाक के निर्वाण के बाद वाले कालखंड को हीं सतयुग, त्रेता और द्वापर युग बताकर, भारत के अशिक्षित और अल्पशिक्षित भोले भाले जनमानस को बेवकूफ बनाया जा रहा है.

बुद्ध और चार्वाक के बाद हीं परशुराम, राम और कृष्ण के चरित्र की कल्पना करके उसे काव्यों में वर्णित किया गया है.

आज से 583+2022 = 2605 वर्ष पहले सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) का जन्म हुआ था. मतलब सतयुग, त्रेता और द्वापर 2605 वर्ष से भी कम समय की बात है.

और परशुराम, राम और कृष्ण भी अगर हुए तो बुद्ध और चार्वाक के बाद हीं हुए होंगे.

बुद्ध और चार्वाक के तो ऐतिहासिक साक्ष्य मिलते हैं; फिर उनके बाद वाले परशुराम, राम और कृष्ण के ऐतिहासिक साक्ष्य क्यों नहीं मिलते हैं ?

सोंचने वाली बात यह है कि बुद्ध के बाद जिसकी संकल्पना रची गई उस (सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, परशुराम, राम और कृष्ण) को बुद्ध से पहले की बातें, किस षडयंत्र के तहत बताया जाता है ?

दिमाग की बत्ती जलाओ!
मिथ्या ज्ञान से छुटकारा पाओ!

—हीरालाल राउत

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