भारत की सबसे ज़्यादा लाभ कमाने वाली कंपनियों में सा एक LIC के सार्वजनिक शेयर पहले ही दिन लुढ़के- निवेशकों के 50,000 करोड़ रुपए डूबे!
इस सरकार के पहले तक यही LIC डूब रही कंपनियों को बचाती थी. बाक़ी ये हाल सभी कंपनियों का है- पेटीएम से लेकर LIC तक!
भारत का विदेशी मुद्रा रिज़र्व लगातार आठवें हफ़्ते लुढ़क के 600 अरब डॉलर से भी नीचे गया- कुल 596 अरब डॉलर पर. यह सितंबर 2021 के $642.5 अरब डॉलर से क़रीब 8 प्रतिशत की गिरावट है.
सितंबर 22 में भारत को 256 अरब डॉलर का क़र्ज़ चुकाना है; माने सीधे आधा हो जाएगा!
ऐसी स्तिथि में किसी भी आकस्मिक खर्च को भूल ही जाइए- कच्चे तेल जैसी सामान्य ख़रीद फ़रोख़्त पर भी संकट आ जाएगा! और तेल के दाम निकट भविष्य में घटने वाले नहीं हैं- माने हुआ पंगा!
श्रीलंका इसी स्तिथि में पहुँचा हुआ है!
यहाँ यह भी जोड़िए कि दिसंबर 2014 में भारत पर कुल विदेशी क़र्ज़ 461 अरब डॉलर था.
दिसंबर 2021 तक यही क़र्ज़ बढ़ के 615 अरब डॉलर हो चुका था और इसका 45% हिस्सा 2022 के अंदर चुकाना है.
रुपया डॉलर के सामने आज तक के सबसे निचले स्तर 77.69 रुपये पर लुढ़क गया है!
सुषमा स्वराज जी रुपये के गिरने को प्रधानमंत्री की इज़्ज़त से जोड़ती थीं, मोदी जी ICU से.
आप बुलडोजर जेसीबी से लेकर खुरपी तक की खुदाई खेलते रहिए; यहाँ अर्थव्यवस्था ICU में नहीं, कोमा में जाने को तैयार बैठी है.
और वो गयी तो कुछ नहीं बचेगा!
बात न समझ आई हो तो क्रैश ऑफ़ टाइगर इकॉनमीज़ पर कुछ पढ़ लीजिएगा.