कबीरदास ने उस समय आन्दोलन किया जब धार्मिक जातिवाद कट्टरता चर्म सीमा पर थी, कबीरदास ने पाखण्डवाद, कर्मकाण्ड और चमत्कार के विरोध में आन्दोलन किया, लेकिन वर्तमान में कबीरदास को मानने वालों व्यक्तियों ने कबीर को ही चमत्कार में विलीन कर दिया, कबीर ने कभी किसी (जीव) पशु पक्षी व्यक्ति धर्म जाति रंग भाषा से भेद नहीं किया, उन्होंने हमेशा सभी को समान दृष्टि से देखा, सभी के कल्याण की बात की, उन्होंने अपने विचारों को अपनी वाणी में दोहों के माध्यम से बताया है।
एक राम दशरथ घर खेले, एक राम घट घट में बोले, एक राम का जगत पसारा, एक राम है सबसे न्यारा, जो तू सच्चा बनिए, सबसे एक सा बोल, ऊंच नीच को छोड़कर एक बराबर बोल।
ऊंचे पद के कारण तू मानवता भूल रहा, जब तन मिट्टी हो जायेगा, तो तेरे पद का होगा क्या,
आदि अनेक दोहे का उल्लेख किया।
कबीर का विचार मानव कल्याण के लिए ही नहीं बल्कि, सभी (जीव) पशु पक्षी मानव कल्याण के लिए है।
उन्होंने कभी किसी से धर्म जाति रंग भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं किया, यदि हम कबीर को अपना आदर्श मानते है तो हम किसी से धर्म जाति रंग भाषा ऊंच नीच अमीर गरीब के नाम पर किसी से भेद भाव नहीं कर सकते है।
कबीर जन्म उत्सव 14जून2022को पूरे संसार में घर घर मनाया जा रहा है।
Reeta Bhuiyar
जिला बिजनौर उप्र भारत