1.राज्यों को 2021 के एवियन इन्फ्लुएंजा के निवारण, नियन्त्रण और रोकथाम की कार्य योजना लागू करने का परामर्श दिया गया I 2. कार्यवाही शुरू करने के लिए पीपीई किटों और अन्य आवश्यक उपकरणों का प्रयाप्त भंडारण करने का परामर्श दिया गया I 3. राज्य में नियंत्रण एवं रोकथाम कार्यों में सहायता देने के लिए पशुपालन विभाग ने दो-सदस्यीय एक केन्द्रीय दल रवाना किया 4. विभाग राज्य सरकार के सम्बन्धित अधिकारियों से निरंतर सम्पर्क में है और स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है I |
17 फरवरी 2023 को बोकारो, झारखंड में राजकीय कुक्कुट फार्म से प्राप्त नमूनों से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल द्वारा एवियन इन्फ्लुएंजा (एच5एन1) का पता लगाया गया था और विभाग ने 20 फरवरी 2023 को अधिसूचना जारी की है। एवियन इन्फ्लुएंजा रोग के बारे में अंतिम जानकारी जनवरी 2019 के दौरान झारखंड के गोड्डा जिले से प्राप्त हुई थी ।
राज्य को एवियन इन्फ्लुएंजा के निवारण, नियंत्रण और रोकथाम के लिए 2021 की कार्य योजना के अनुसार नियंत्रण और नियंत्रण कार्यों संचालन करने का परामर्श दिया गया है। विभाग ने नियंत्रण और रोकथाम कार्यों में राज्य की सहायता के लिए दो सदस्यीय केंद्रीय दल भेजा है। साथ ही आवासीय क्षेत्र में निगरानी के अवलोकन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अपनी केंद्रीय टीम की तैनाती की है। भारत सरकार के पशु पालन विभाग के सचिव ने उचित निवारक उपायों के संबंध में झारखंड सरकार पशुपालन सचिव के साथ टेलीफोन पर चर्चा की और केंद्र सरकार की ओर सभी प्रकार की सहायता का आश्वासन दिया। पशुपालन आयुक्त ने झारखंड और पश्चिम बंगाल के राज्य पशुपालन विभागों के साथ चर्चा की और प्रभावी नियंत्रण उपायों की सलाह दी ताकि यह रोग अन्य भागों में न फैले । इसके अलावा, पशुपालन आयुक्त ने झारखंड के राज्य पशुपालन विभाग के संबंधित अधिकारियों के साथ कार्य योजना के अनुसार नियंत्रण और रोकथाम उपायों को शुरू करने से पहले सभी को जागरूक करने के लिए एक वर्चुअल बैठक की ।
ऐसे सभी किसानों को क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाता है, जिनके कुक्कुट पक्षियों, अण्डों और मुर्गी दाने को कार्य योजना के अनुसार राज्य द्वारा चुनकर उसे नष्ट जाता है। पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), भारत सरकार अपनी पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (एलएच एंड डीसीपी) योजना के राज्यों को पशु रोगों की रोकथाम के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी) घटक के अंतर्गत 50:50 की भागीदारी के आधार पर राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को धन उपलब्ध कराता है।
अतः राज्यों को परामर्श दिया जाता है कि वे पीपीई किट और अन्य उपकरणों/सामानों का पर्याप्त भण्डार बनाए रखें जो कि कुक्कुटों के उपचार के लिए आवश्यक हों। राज्य से अनुरोध है कि वे स्वास्थ्य और वन विभागों के साथ समन्वय स्थापित करें और उन्हें एवियन इन्फ्लुएंजा के बारे में जागरूक करें। राज्य से यह भी अनुरोध किया जाता है कि वे अपने द्वारा किए गए नियंत्रण उपायों पर इस विभाग को दैनिक आधार पर रिपोर्ट करें ।
विभाग राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है और स्थिति की लगातार निगरानी भी कर रख रहा है।
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