सरदार साहब को भी जितना सम्मान आज़ादी के बाद मिलना चाहिए, उतना सम्मान नहीं मिला
आज हम जिस भारतीय गणराज्य को देख रहे हैं, कोई कल्पना कर सकता है कि 550 से ज़्यादा रियासतों को जोड़ने का काम अगर सरदार पटेल एक-डेढ़ साल के कम समय में ना करते तो क्या भारत का अस्तित्व होता
आज केवडिया में सरदार साहब की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा नरेन्द्र मोदी जी ने लगाई है जिसे देखने दुनियाभर से लोग आते हैं
जहां सुभाष बाबू ने ध्वज फहराया था, वहीं पर आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर मोदी जी ने एक बहुत बड़ा तिरंगा लगाकर एक बहुत बड़ा पर्यटन स्थल भी बनाया है और देशभक्ति की जागृति का एक ऊर्जा केन्द्र भी बनाया है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सुभाष बाबू के जन्मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में देशभर में मनाने की घोषणा भी की है
मणिपुर लंबे समय तक अंग्रेजों के क़ब्ज़े में रहा लेकिन मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों ने हमेशा उनके दाँत खट्टे करने वाली लड़ाई लड़ी
महाराजा कुलचंद्र ध्वज सिंह और 22 स्वतंत्रता सेनानियों को काला पानी भेज दिया गया था और उन्हें एक टापू माउंट हैरियट पर रखा गया था, उनकी स्मृति में हम माउंट हैरियट को माउंट मणिपुर नाम देकर उनके योगदान का सम्मान करना चाहते हैं
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा देश के लिए लड़ने वालों का सम्मान करने का काम किया है, 2014 में जब मोदी सरकार आयी तब सालों से हमारी तीनों सेनाएँ वन रैंक वन पेंशन की माँग करती थी लेकिन कोई इसको पूरा नहीं करता था
नरेंद्र मोदी सरकार ने एक झटके में वन रैंक वन पेंशन की माँग को पूरा करने का काम किया, इसमें रुपये पैसों का सवाल नहीं है बल्कि जो देश की चिंता करता है उसकी चिंता देश की सरकार करे इस भावना का सवाल है
जो अपने जीवन के सबसे अच्छे साल देश की सीमाओं पर माइनस 43 डिग्री से लेकर 43 डिग्री टेम्परेचर में निकालते हैं, जो दरियाओं और हवाओं में रहते हैं उनके परिवारों को पता चलना चाहिए कि हमारे परिवार का बेटा, पति या पिता देश की रक्षा करता है तो देश भी उसकी चिंता करता है, इस भाव को मूर्त रूप देने का काम श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है
अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में 299 करोड़ रूपये की 14 परियोजनाओं का उद्घाटन और 643 करोड़ रूपये की 12 परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है, मोदी सरकार अंडमान द्वीप के छोटे से क्षेत्र में लगभग 1,000 करोड़ रुपये के विकास के काम की आज शुरुआत कर रही है
आज जिस ब्रिज का लोकार्पण हुआ है मोदी सरकार ने उसे आजाद हिंद फौज ब्रिज नाम देने का निर्णय किया है, इस ब्रिज से गुजरने वाला हर व्यक्ति नेताजी के 35,000 किलोमीटर के प्रवास, उनके साहस और उनके पराक्रम को हमेशा श्रद्धांजलि देता हुआ एक छोर से दूसरे छोर पर जाएगा
एक आयुष का अस्पताल बना है और 49 वैलनेस सेंटर कम हेल्प सेंटर बनाए गये हैं, 75 सालों से इस आवश्यकता को पूरा नहीं किया गया था, मुझे बहुत आनंद है कि नरेंद्र मोदी सरकार इसकी चिंता कर आज इसे पूरा करने जा रही है
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज अंडमान निकोबार द्वीपसमूह के नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप से विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। श्री अमित शाह ने रानी लक्ष्मीबाई द्वीप, शहीद द्वीप इको टूरिज़्म प्रोजेक्ट, स्वराज द्वीप वाटर एयरोड्रम और अन्य विकास परियोजनाओं का हवाई सर्वेक्षण भी किया। इस अवसर पर अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल (सेवानिवृत्त) डी के जोशी और केन्द्रीय गृह सचिव समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
श्री अमित शाह ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि यहां आकर वे बहुत रोमांचित हैं और ये स्वाभाविक है क्योंकि सालों तक जो हमने देश को आज़ाद कराने के लिए अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, उसका पूर्ण स्वराज भले ही 1947 में मिला हो, मगर 1943 में भारत के इस हिस्से को दो साल के लिए अंग्रेज़ों के चंगुल से मुक्त कराने का काम नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने किया था। उन्होंने कहा कि देशभर के देशभक्तों, विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए, ये बहुत महत्वपूर्ण स्थान बनना चाहिए क्योंकि यहीं पहली बार नेता जी ने दो रातें गुज़ारी थीं और यहीं पहली बार नेताजी ने तिरंगा फहराया था।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हम आज़ादी का अमृत महोत्सव देशभर में मना रहे हैं और इसके माध्यम से बच्चों और युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाना चाहते हैं और इसके आधार पर ही वे नए और महान भारत के निर्माण में लगें और मोदी जी ने जो सपना देखा है कि भारत दुनिया में महान बनकर अपना उचित स्थान प्राप्त करे, उस दिशा में हमारी नई पीढ़ी आगे बढ़े।
श्री अमित शाह ने कहा कि अंडमान निकोबार अपने आप में आज़ादी के आंदोलन का तीर्थस्थान है और देश के हर युवा को कालापानी की सज़ा भोगने वालों की यातनाओं को जानना, समझना और देखना चाहिए। देश की युवा पीढ़ी इस सेल्युलर जेल को, जहां वीर सावरकर दस साल रहे, भाई परमानंद रहे, सान्याल जी रहे, एक बार देखेगी तो उन्हें पता चलेगा कि जिस आज़ाद भारत में हम सांस ले रहे हैं, उसके लिए कितनी बड़ी क़ीमत चुकाई है। उन्होंने कहा कि जब तक सेल्युलर जेल में जाकर कोई यातनाओं का चित्रण और वर्णन नहीं देखता, तब तक इसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती कि इतनी घोर यातनाएं सहने के बाद भी वे आज़ादी के लिए लड़ते रहे।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव में यहां आते ही प्रेरणा की अनुभूति होती है, यहां की हवाओं में आज भी वीर सावरकर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का संदेश घुलामिला है। उन्होंने देशभर के युवाओं से अनुरोध किया कि वे एक बार अंडमान निकोबार ज़रूर आएं और आज़ादी की लड़ाई के इस तीर्थस्थल को यहां आकर ज़रूर देखें। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने यहां तीन द्वीपों का नाम शहीद, स्वराज और सुभाष रखा है जिससे आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा ले सकें कि अब देश आज़ाद हो गया है और नेता जी, वीर सावरकर और अनेकानेक जाने-अनजाने शहीदों के सपनों का भारत बनाने की ज़िम्मेदारी युवा पीढ़ी और हमारी है। उन्होंने कहा कि हमें आज़ादी के लिए लड़ने का मौक़ा नहीं मिला, परंतु देश के लिए जीने का मौक़ा हमसे कोई नहीं छीन सकता और हमारे जीवन को हम भारत के विकास, उन्नति और गौरव के लिए समर्पित करना चाहें तो हमें कोई नहीं रोक सकता, यही आजादी के अमृत महोत्सव का हमारा लक्ष्य है।
श्री अमित शाह ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव भी चल रहा है और सुभाष जी का 125वां वर्ष भी चल रहा है। इसी पवित्र वर्ष में मैं यहां आया हूं जहां 30 दिसंबर 1943 को सुभाष बाबू ने आज़ाद भारत की मुक्त हवा में सांस लेकर तिरंगा फहराया था। उन्होंने कहा कि नेता जी और उनके जीवन को देखकर महसूस होता है कि नेताजी के साथ अन्याय हुआ है। आज़ादी के आंदोलन के इतिहास का तेजस्वी ध्रुव तारा, जितना महत्व नेताजी को मिलना चाहिए उतना महत्व उन्हें नहीं मिला। सालों तक देश में आज़ादी के कई जाने-माने नेताओं को और उनके योगदान को छोटा करने का भी प्रयास किया गया। लेकिन अब समय गया है कि सभी को इतिहास में उचित स्थान मिलना चाहिए, जिनका योगदान था, बलिदान था, जिन्होंने जीवन न्यौछावर किया, उन्हें इतिहास में गौरवपूर्ण जगह मिलनी चहिए, और इसीलिए इस द्वीप का नाम नेताजी सुभाष के नाम पर रखने का काम प्रधानमंत्री मोदी ने किया है।
केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरदार पटेल के साथ भी कुछ इसी प्रकार का अन्याय हुआ। आज हम जिस भारतीय गणराज्य को देख रहे हैं, कोई कल्पना कर सकता है कि 550 से ज़्यादा रियासतों को जोड़ने का काम अगर सरदार पटेल एक-डेढ़ साल के कम समय में ना करते तो क्या भारत का अस्तित्व होता। अंग्रेज़ों ने तो सबको मुक्त करके जो करना था वो कर दिया, लेकिन इन सब रियासतों को जोड़ने और एक मज़बूत भारत बनाने का काम सरदार पटेल ने किया। सरदार साहब को भी जितना सम्मान आज़ादी के बाद मिलना चाहिए, उतना सम्मान नहीं मिला। लेकिन इतिहास ख़ुद को जोहराता है, किसी के साथ कितना भी अन्याय करने का प्रयास किया जाए, काम कभी छिपता नहीं है और आज केवडिया में सरदार साहब की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा नरेन्द्र मोदी जी ने लगाई है जिसे देखने दुनियाभर से लोग आते हैं।
श्री अमित शाह ने कहा कि सुभाष बाबू और सरदार पटेल, आज़ादी के आंदोलन के दो ऐसे व्यक्तित्व थे। आज सुभाष बाबू को पूरे देश सम्मान के साथ याद करे, ऐसी व्यवस्था यहां हम करने वाले हैं और इसीलिए जहां सुभाष बाबू ने ध्वज फहराया था, वहीं पर आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर मोदी जी ने एक बहुत बड़ा तिरंगा लगाकर एक बहुत बड़ा पर्यटन स्थल भी बनाया है और देशभक्ति की जागृति का एक ऊर्जा केन्द्र भी बनाया है। आने वाले दिनों में इस द्वीप को भी हम विकसित करने वाले हैं और सुभाष बाबू का एक भव्य स्मारक यहां बने, ऐसी व्यवस्था करेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सुभाष बाबू के जन्मदिन 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में देशभर में मनाने की घोषणा भी की है और देशभर की सरकारें और केन्द्र सरकार आज पराक्रम दिवस मना रही हैं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सुभाष बाबू एक ओजस्वी विद्यार्थी थे, जो आईसीएस बना और उस ज़माने में आईसीएस बनने का मतलब था एशो-आराम सुनिश्चित हो जाना, लेकिन सुभाष बाबू ने एक अलग उद्देश्य से पढ़ाई की थी। उन्होंने आईसीएस की परीक्षा अंग्रेज़ों की नौकरी करने के लिए पास नहीं की थी, बल्कि किस प्रकार अंग्रेज़ों को समूल उखाड़कर फेंक दिया जाए, इसके लिए की थी। उन्होंने आईसीएस परीक्षा टॉप करने के बाद भी अंग्रेज़ों की नौकरी नहीं स्वीकारी, राजनीति में आए, कलकत्ता के मेयर बने, दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने, फिर कांग्रेस की कार्यनीति में मतभेद हुए, कांग्रेस छोड़ी और फ़ॉरवर्ड ब्लॉक बनाया और आज़ादी के आंदोलन का एक नया अध्याय शुरू हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध में जब अंग्रेज़ मुंह की खा रहे थे, तब सुभाष बाबू कलकत्ता में अपने घर में नज़रबंद थे और वहां से ग्रेट एस्केप नाम की एक यात्रा शुरू हुई। कलकत्ता से पेशावर, पेशावर से मॉस्को और वहां से बर्लिन, सुभाष बाबू 7275 किलोमीटर गाड़ी से गए। उनके मन में कितनी धधक होगी, देशप्रेम की ज्वाला कितनी प्रदीप्त होगी, और स्वराज प्राप्त करने की कितनी तीव्र इच्छा होगी, तब जाकर अंग्रेज़ों के पूरे मार्ग को भेदकर बर्लिन तक पहुंचे। सुभाष बाबू ने जर्मनी से इंडोनेशिया, वहां से जापान और फिर सिंगापुर तक की 27,000 किलोमीटर की यात्रा पनडुब्बी से की। देश को आज़ादी दिलाने के लिए आज़ाद हिंद फ़ौज का गठन किया, रेडियो स्टेशन बनाया और इसी द्वीप पर आज़ाद हिंद फ़ौज द्वारा स्थापित की हुई स्वतंत्र भारत की सरकार की घोषणा जापान में करके इसे मान्यता दी थी। जिस शासन का सूर्य दुनिया में कभी डूबता नहीं था, उन अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ इतना बड़ा संघर्ष करके उन्होंने आज़ादी दिलाने का प्रयास किया। क्या हम सुभाष बाबू के उन प्रयासों को भुला सकते हैं, क्या सुभाष बाबू की देशभक्ति को हम दोयम स्तर का दर्जा दे सकते हैं, क्या आज़ादी के इतिहास में उनका गौरवपूर्ण स्थान नहीं होना चाहिए, क्या उनके व्यक्तित्व से हज़ारों साल तक आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा लें, इस प्रकार उनकी स्मृति को संजोकर गौरवपूर्ण तरीक़े से सुभाष बाबू को देश और दुनिया के सामने नहीं रखना चाहिए? अब समय आ गया है, देश में सुभाष बाबू को उनका उचित स्थान देने का और मोदी जी ने जो फ़ैसला किया है, उनके लिए सिक्का निकालने का, उनके जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का, उसी जगह पर तिरंगा फहराकर सुभाष बाबू की स्मृति को युगों-युगों तक संजोने का, इस द्वीप को सुभाष चंद्र बोस द्वीप नाम देकर उनके कार्यों को श्रद्धांजलि देने का और आने वाली कई पीढ़ियां सुभाष बाबू को नहीं भुला सकेंगी।
श्री अमित शाह ने कहा कि आज़ादी के अमृत महोत्सव पर आज एक और महत्वपूर्ण कार्य हो रहा है। उन्होंने कहा कि मणिपुर का 1857 की क्रांति और 1891 में पूरे पूर्वोत्तर में अंग्रेजों को रोकने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मणिपुर ने कभी हार नहीं मानी और वहां के लोग निरंतर लड़ते रहे। मणिपुर एक ऐसा राज्य था जिसने अपना संविधान लागू कर दिया था। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हालाँकि मणिपुर लंबे समय तक अंग्रेजों के क़ब्ज़े में रहा लेकिन मणिपुर के स्वतंत्रता सेनानियों ने हमेशा उनके दाँत खट्टे करने वाली लड़ाई लड़ी। मणिपुर युद्ध के नायक युवराज टिकेंन्द्रजीत और जनरल थंगल को इम्फाल के फीदा में सार्वजनिक तौर पर फांसी दी गई थी। अंग्रेज़ मानते होंगे कि फाँसी देकर उन्होंने आज़ादी के आंदोलन को कुचल दिया है मगर ऐसा नहीं हुआ। उसके बाद महाराजा कुलचंद्र ध्वज सिंह और 22 स्वतंत्रता सेनानियों को काला पानी भेज दिया गया था और उन्हें यहाँ एक टापू माउंट हैरियट पर रखा गया था। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज उनकी स्मृति में हम माउंट हैरियट को माउंट मणिपुर नाम देकर उनके योगदान का सम्मान करना चाहते हैं। श्री शाह ने कहा कि मणिपुर सरकार यहाँ पर एक अच्छा स्मारक भी बनाना चाहती है, यह स्मारक देश भर के पर्यटकों, युवाओं और नई पीढ़ी को प्रेरणा देगा कि किस प्रकार सीमित संसाधनों के साथ लड़ा जा सकते है। ऐसी लड़ाई जिसमें हार सुनिश्चित थी और यह भी तय था कि या तो फाँसी होगी या काला पानी की सजा मगर फिर भी वे लड़े, मरे और जो बचे उन्होंने यहाँ आकर जेल काटी। श्री अमित शाह ने कहा कि आज़ादी का यही जज़्बा है जिसने हमें आज़ाद हिन्दुस्तान दिलाया है और हम और उन्हें कभी भूला नहीं सकते।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा देश के लिए लड़ने वालों का सम्मान करने का काम किया है। 2014 में जब मोदी सरकार आयी तब सालों से हमारी तीनों सेनाएँ वन रैंक वन पेंशन की माँग करती थी लेकिन कोई इसको पूरा नहीं करता था। नरेंद्र मोदी सरकार ने एक झटके में वन रैंक वन पेंशन की माँग को पूरा करने का काम किया। उन्होंने कहा कि इसमें रुपये पैसों का सवाल नहीं है बल्कि जो देश की चिंता करता है उसकी चिंता देश की सरकार करे इस भावना का सवाल है। जो अपने जीवन के सबसे अच्छे साल देश की सीमाओं पर माइनस 43 डिग्री से लेकर 43 डिग्री टेम्परेचर में निकालते हैं, जो दरियाओं और हवाओं में रहते हैं उनके परिवारों को पता चलना चाहिए कि हमारे परिवार का बेटा, पति या पिता देश की रक्षा करता है तो देश भी उसकी चिंता करता है। इस भाव को मूर्त रूप देने का काम श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में 299 करोड़ रूपये की 14 परियोजनाओं का उद्घाटन और 643 करोड़ रूपये की 12 परियोजनाओं का शिलान्यास हुआ है। मोदी सरकार अंडमान द्वीप के छोटे से क्षेत्र में लगभग 1,000 करोड़ रुपये के विकास के काम की आज शुरुआत कर रही है। श्री अमित शाह ने कहा कि आज जिस ब्रिज का लोकार्पण हुआ है मोदी सरकार ने उसे आजाद हिंद फौज ब्रिज नाम देने का निर्णय किया है। उन्होंने कहा कि इस ब्रिज से गुजरने वाला हर व्यक्ति नेताजी के 35,000 किलोमीटर के प्रवास, उनके साहस और उनके पराक्रम को हमेशा श्रद्धांजलि देता हुआ एक छोर से दूसरे छोर पर जाएगा। श्री शाह ने कहा कि जलापूर्ति, स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए जो काम हुए हैं ये तीनों स्वास्थ्य से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण चीजें हैं। अच्छा व शुद्ध जल, स्वच्छता और स्वास्थ्य की देखभाल तथा जांच होना बहुत जरूरी है। श्री अमित शाह ने कहा कि यहां पर हृदय रोगियों के लिए एक नई सुविधा शुरु की गई है, जिसमें एंजियोप्लास्टी भी हो पाएगी और पेसमेकर भी लगाया जा सकेगा। इसके साथ-साथ यहां पर एक आयुष का अस्पताल भी बना है और 49 वैलनेस सेंटर कम हेल्प सेंटर बनाए गये हैं। उन्होंने कहा कि 75 सालों से इस आवश्यकता को पूरा नहीं किया गया था, मुझे बहुत आनंद है कि नरेंद्र मोदी सरकार इसकी चिंता कर आज इसे पूरा करने जा रही है। श्री अमित शाह ने कहा कि मैं आज एक हवाई सर्वेक्षण करके भी आया हूँ और मन में कुछ संकल्प किए हैं, एडमिनिस्ट्रेटिव रूप समाप्त होने के बाद इसकी जरूर घोषणा की जायेगी।
श्री अमित शाह ने कहा अंडमान निकोबार दीपसमूह आजादी के दीवानों का महातीर्थ है और अब युवा पीढ़ी के लिए यह तीर्थ स्थान बन जाए, हमने इस प्रकार की सभी उत्कृष्ट सुविधाएं यहाँ उपलब्ध कराने का निर्णय और संकल्प किया है। उन्होंने कहा कि सुभाष बाबू की कीर्ति और पराक्रम को यह देश युगों युगों तक याद करे इसके लिए हम अंडमान निकोबार में उनका एक स्मारक बनाएंगे।