केंद्र सरकार जनजातीय क्षेत्रों के विकास एवं उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है – श्री गिरिराज सिंह

दैनिक समाचार

आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में, प्रगतिशील भारत के 75वें वर्ष और पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम 1996 (पीईएसए) के लागू होने के 25वें वर्ष के अवसर पर, जनजातीय कार्य मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के सहयोग से पंचायती राज मंत्रालय ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में ‘पंचायती राज मंत्रालय ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम, 1996 (पीईएसए) पर एक-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन’ आयोजित किया। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह, जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा, पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने संयुक्त रूप से इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी भी वर्चुअल तौर पर राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए और भागीदारों को संबोधित किया।

राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि छह राज्यों – आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और तेलंगाना ने पीईएसए नियमावली को अधिसूचित किया है। शेष चार राज्यों – छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा को भी पीईएसए नियमावली तैयार करके जल्द ही उन्हें लागू करना चाहिए। श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि खुद वे और जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा भी आवश्यकतानुसार इन चार राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों से विचार-विमर्श करेंगे। उन्होंने इन राज्यों के राज्यपालों से मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और विभागीय सचिवों के साथ बैठक करके पीईएसए नियमावली तैयार करने की पहल करने का अनुरोध किया। श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि पीईएसए नियमावली लागू करने वाले छह राज्यों के अनुभवों को अन्य राज्यों के साथ साझा किया जाना चाहिए।

श्री सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायत विकास योजना को तैयार करते समय, पंचायती राज मंत्रालय और जनजातीय कार्य मंत्रालय को कन्वर्जेंश के माध्यम से जनजातीय समुदाय के लिए विकास का एक नया मॉडल तैयार करते समय जनजातीय समुदाय की परंपराओं को ध्यान में रखते हुए उनके के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए।

श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जनजातीय क्षेत्रों के विकास के बारे में काफी गंभीर हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालय का बजट 2013-14 के दौरान 4,000 करोड़ रुपए था, जिसे 2021-22 के दौरान बढ़ाकर 7,500 करोड़ रुपए से अधिक कर दिया गया। उन्होंने कहा कि 2013-14 के दौरान आदिवासी छात्रों को छात्रवृत्ति के तौर पर 978 करोड़ रुपए दिए जाते थे, जो अब बढ़कर 2,546 करोड़ रुपए हो गया है। इन तथ्यों से पता चलता है कि भारत सरकार जनजातीय समुदाय के दैनिक जीवन में सुधार लाने के प्रति गंभीर है। राज्य सरकारों को भी इस विषय में प्रतिबद्धता एवं गंभीरता दर्शानी चाहिए।

राष्ट्रीय सम्मेलन के भागीदारों को संबोधित करते हुए, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी समुदाय अनंतकाल से प्राकृतिक तौर पर उलब्ध संसाधनों का इस्तेमाल करते रहे हैं। आज संविधान के अनुसार अनुसूचित जनजातीयों के हितों और अधिकारों की रक्षा करते हुए उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि वे अपने जीवन में शिष्टतापूर्वक आगे बढ़ सकें। जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की गुणवत्ता बढ़ाने के क्रम में जनजातीय संस्कृतियों, परंपराओं तथा विरासत को संरक्षित करना और बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

श्री मुंडा ने राज्यों का आह्वान करते हुए कहा कि वे स्थानीय सरोकारों एवं मुद्दों के साथ-साथ संविधान की मूल भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय दृष्टि से जनजातीय कल्याण की ओर ध्यान दें। उन्होंने पंचायती राज मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की योजनाओं के कन्वर्जेंस द्वारा जनजातियों के कल्याण पर जोर दिया। श्री मुंडा ने जनजातीय लोगों के कल्याण में सामाजिक एवं स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग लेने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जनजातीय विकास से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु उत्तरदायी अधिकारियों को सांकेतिक शब्दों से ऊपर उठकर संविधान की मूल भावना को समझना चाहिए और ऐसा काम करना चाहिए, जो धरातल पर सकारात्मक बदलाव लाए।

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि जनजातियों के पास अद्भुत प्रतिभा और कौशल हैं, जनजातीय लोग अच्छे कारीगर, शिल्पकार हैं और वे हस्तशिल्प बनाने में माहिर हैं, जनजातीय समुदाय के पास संभावनाएं तथा बहुविध प्रतिभाएं हैं और वे बड़े-बड़े कार्य कर रहे हैं, उनकी पहचान करके उन्हें समुचित प्रशिक्षण देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए पीईएसए एक महत्वपूर्ण अधिनियम है, राज्यों को उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों और जन-प्रतिनिधियों को जनजातीय क्षेत्रों में जाकर उनकी मूलभूत समस्याओं को समझना चाहिए। श्री कोश्यारी ने कहा कि आदिवासी समुदाय की संस्कृति को संरक्षित करते समय उन्हें तेजी से बदलते परिदृश्य में विकास की किरण भी दर्शाने की जरूरत है। कई राज्य़ों में इस दिशा में प्रयास किए गए हैं, किंतु भविष्य में भी ऐसे प्रयासों की आवश्यकता है।

श्री कोश्यारी ने कहा कि महाराष्ट्र में पीईएसए के तहत कई कार्य किए गए हैं। महाराष्ट्र में आदिवासियों के आर्थिक सशक्तिकरण का कार्य भी किया गया है। वन संपदा के समुचित दोहन से भी जनजातीय समुदाय का सशक्तिकरण किया जा सकता है।

राष्ट्रीय सम्मेलन में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना सहित अनुसूचित क्षेत्रों के साथ-साथ सभी राज्यों ने सक्रिय भागीदारी की। इसके अलावा अनुसूचित जनजातियों के सशक्तिकरण हेतु कार्यरत कई गैर-सरकारी संगठनों ने भी सम्मेलन में भागीदारी की। जनजातीय कार्य मंत्रालय एवं राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान ने भी काफी सकारात्मक रूप से सम्मेलन में भागीदारी की। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए), नई दिल्ली के महानिदेशक ने पीईएसए के तहत विधायी एवं प्रशासनिक ढांचे पर आधारित सत्र की अध्यक्षता की।

सम्मेलन के दौरान तीन मूल विषयों – ‘पीईएसए के तहत वैधानिक एवं प्रशासनिक ढांचा’, ‘पीईएसए राज्यों में संसाधन संरचना’ और ‘पीईएसए की योजना एवं कार्यान्वयन – भविष्य के मार्ग’ पर आधारित तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए, जिसमें राज्यों ने संबंधित मूल विषयों पर संक्षिप्त प्रस्तुति दी।

पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री सुनील कुमार, जनजातीय कार्य मंत्रालय के सचिव श्री अनिल कुमार झा, पंचायती राज मंत्रालय के अपर सचिव श्री (डॉ.) चंद्रशेखर कुमार, पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री खुशवंत सिंह सेठी के साथ-साथ दोनों मंत्रालयों और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों ने सम्मेलन में भाग लिया। वेब कास्टिंग के माध्यम से पूरे दिन चलने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन का लाइव वेब-स्ट्रीमिंग किया गया।

कॉन्सेप्ट पेपर के लिए यहां क्लिक करें।

***

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *