नीति आयोग ने संघीय आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय (बीएमजेड) के साथ आशय वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए, “विकास सहयोग पर नीति-बीएमजेड वार्ता” शुरू की

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आपसी हित के विभिन्न क्षेत्रों में भारत और जर्मनी के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए, नीति आयोग तथा संघीय आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय (बीएमजेड) ने 23 नवंबर, 2021 को एक आशय वक्तव्य (एसओआई) पर हस्ताक्षर किए। भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व नीति आयोग, भारत सरकार के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने किया, जबकि जर्मन प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जर्मनी सरकार के बीएमजेड की महानिदेशक, प्रोफेसर डॉ. क्लाउडिया वार्निंग ने किया।

यह एसओआई “विकास सहयोग पर नीति-बीएमजेड वार्ता” के रूप में एक व्यापक व्यवस्था स्थापित करना चाहता है, ताकि समय-समय पर द्विपक्षीय चर्चा, विकास संबंधी नीति के अनुभवों को साझा करने और अन्य द्विपक्षीय कार्यक्रमों का आकलन करने के लिए एक साझे मंच की सुविधा प्रदान की जा सके।

इस एसओआई के अंतर्गत, नीति आयोग और बीएमजेड; बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए दृष्टिकोण के विकास और नीतियों के निर्माण हेतु संयुक्त अनुसंधान करेंगे। प्रासंगिक मुद्दों का विश्लेषण करने और विचार-विमर्श संबंधी इनपुट देने के लिए; दोनों पक्षों की सरकारी एजेंसियों, प्रमुख थिंक टैंक, उद्योग और शिक्षाविदों को शामिल किया जाएगा।

नीति आयोग और बीएमजेड जलवायु एवं सतत विकास लक्ष्यों, ऊर्जा, उभरती प्रौद्योगिकियों और कृषि परिस्थितिकी के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के महत्व को अच्छी तरह समझते हैं। हाल ही में, दोनों पक्षों ने इन क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए कई संवाद किये हैं। दोनों पक्षों द्वारा एसओआई पर हस्ताक्षर करने से द्विपक्षीय सहयोग मजबूत होगा।

“विकास सहयोग पर नीति-बीएमजेड वार्ता” के अंतर्गत दोनों पक्षों के बीच एक द्वि-वार्षिक वार्ता (दो साल में एक बार) होगी, जिसके तहत नीति आयोग और बीएमजेड द्वारा विचार-विमर्श किए जा रहे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा और अंतर्दृष्टि साझा की जायेगी। वार्ता का नेतृत्व नीति आयोग के उपाध्यक्ष और बीएमजेड के दक्षिण एशिया सहयोग के महानिदेशक करेंगे। पहली वार्ता 2022 के फरवरी महीने में होने की उम्मीद है।

इस अवसर पर डॉ. कुमार और प्रो. डॉ. वार्निंग ने एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड (2021-22) का उद्घाटन भी किया। एसडीजी शहरी सूचकांक और डैशबोर्ड 77 एसडीजी संकेतकों पर 56 शहरी क्षेत्रों की श्रेणी बनाता है। इन संकेतकों पर डेटा एनएफएचएस, एनसीआरबी, यू-डीआईएसई, विभिन्न मंत्रालयों के डेटा पोर्टल और अन्य सरकारी डेटा स्रोत जैसे आधिकारिक डेटा स्रोतों से प्राप्त किए गए हैं। सूचकांक और डैशबोर्ड से एसडीजी को स्थानीय बनाने में और सहायता मिलेगी तथा नगर-स्तर पर एसडीजी की सक्रिय निगरानी स्थापित होगी। यह यूएलबी-स्तरीय डेटा, निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली की ताकत और कमियों को रेखांकित करता है। सूचकांक और डैशबोर्ड जैसे उपकरण एक इकोसिस्टम के निर्माण में योगदान देंगे, जिसमें सभी हितधारक डेटा के आधार पर निर्णय लेने की प्रक्रिया को अपनाएंगे और इसे लागू करेंगे। भारत में विकास के भविष्य की रूपरेखा तैयार करने में हमारे शहरों और शहरी क्षेत्रों की बढ़ती प्रमुखता को देखते हुए यह परिवर्तन बहुत आवश्यक है।

सीमांत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के विषय पर, डॉ. कुमार ने बताया कि नीति आयोग; जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों को हल करने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित समाधान विकसित करने के लिए जर्मन पक्ष के साथ काम करने की संभावना की तलाश करेगा। नीति आयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सन्दर्भ में पारदर्शिता, पूर्वाग्रह, निष्पक्षता, जवाबदेही और गोपनीयता के मुद्दों को हल करने के लिए जर्मन पक्ष के साथ संवाद करना चाहता है।

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