राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने उपराष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, मंत्रियों, सांसदों और अन्य गणमान्य हस्तियों के साथ संसद भवन के केंद्रीय कक्षमें संविधान दिवस, 2021 के समारोह का नेतृत्व किया।
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संसद भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सर्वोच्च स्थान रखता है। सभी सांसद यहां कानून बनाने के साथ-साथ जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। वस्तुतः ग्राम सभा,विधान सभा और संसद के निर्वाचित प्रतिनिधियों की एक ही प्राथमिकता होनी चाहिए। वह एकमात्र प्राथमिकता अपने निर्वाचन क्षेत्रों के सभी लोगों के कल्याण और राष्ट्र हित के लिए काम करने में निहित है। उन्होंने कहा कि विचारों में मतभेद हो सकते हैं,लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह लोक सेवा के वास्तविक उद्देश्य में बाधक बने। सत्ता पक्ष के सदस्यों और विपक्ष के लिए प्रतिस्पर्धा करना स्वाभाविक है – लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर जन प्रतिनिधि होने और जनता की भलाई के लिए बेहतर काम करने की होनी चाहिए। तभी इसे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा माना जाएगा। संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। हम सभी मानते हैं कि हमारी संसद ‘लोकतंत्र का मंदिर’है। इसलिए प्रत्येक सांसद का यह दायित्व बनता है कि वे लोकतंत्र के इस मंदिर में उसी श्रद्धा भाव से अपना आचरण करें, जैसा कि वे अपने पूजा स्थलों में करते हैं।
संविधान दिवस समारोह के हिस्से के रूप में राष्ट्रपति जब संविधान की प्रस्तावना को पढ़ रहे थे तब देश भर की जनता उनके साथ इसमें शामिल हुई। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने आज “संवैधानिक लोकतंत्र पर ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी” पर संसदीय कार्य मंत्रालय के पोर्टल का भी शुभारंभ किया। इसका लिंक:- https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1775278 है।
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि भारत के संविधान के अनुसार, देश को लोकतांत्रिक गणराज्य बनाए रखने के लिए देश की विधायिकाओं को ‘संवाद और चर्चा’ के जरिए निर्देशित होना चाहिए और लगातार व्यवधानों से निष्क्रिय नहीं होना चाहिए। उन्होंने राज्यसभा के कामकाज में लगातार गिरावट पर चिंता व्यक्त की। श्री नायडू ने संविधान की भावना तथा प्रावधानों और वास्तविक क्रिया कलाप के बीच के अंतर पर विस्तार से बताया। लिंक:- https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1775291
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन मेंकहा कि हमारा संविधान केवल कई लेखों का संग्रह नहीं है, हमारा संविधान सहस्राब्दियों की एक महान परंपरा है। यह उस अखंड धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है। प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान दिवस भी मनाया जाना चाहिए क्योंकि हमारे मार्ग का लगातार मूल्यांकन होना चाहिए कि यह सही है या नहीं।
‘संविधान दिवस’मनाने के पीछे की भावना के बारे में बताते हुएप्रधानमंत्री ने कहा कि बात बाबासाहेब अम्बेडकर की 125 वीं जयंती के दौरान की है,”हम सभी ने महसूस किया कि बाबासाहेब अम्बेडकर ने इस देश को जो उपहार दिया था,उससे बड़ा शुभ अवसर और क्या हो सकता है। हमें स्मृति ग्रंथ के रूप में उनके योगदान को सदैव याद रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परंपरा की स्थापना के साथ-साथ उसी समय 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ मनाने की परंपरा भी शुरू कर दी जाती।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि परिवार आधारित पार्टियों के रूप में भारत एक तरह के संकट की ओर बढ़ रहा है,जो संविधान के प्रति समर्पित लोगों के लिए चिंता का विषय है,लोकतंत्र में आस्था रखने वालों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि एक परिवार के एक से अधिक व्यक्ति के योग्यता के आधार पर पार्टी में शामिल होने से पार्टी वंशवादी नहीं बनती हैं। समस्याएं तब पैदा होती हैं जब कोई पार्टी एक ही परिवार द्वारा , पीढ़ी दर पीढ़ी चलाई जाती है।प्रधानमंत्री ने अफसोस जताया कि संविधान की भावना भी आहत हुई है,संविधान का हर खंड भी आहत हुआ है,जब राजनीतिक दल अपना लोकतांत्रिक चरित्र खुद ही खो देते हैं। उन्होंने सवाल किया कि जो दल अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो चुके हैं, वे लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं?” लिंक:- https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1775257
लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने कहा कि भारत का संविधान हमारे लिए पवित्र ‘गीता’ महाग्रंथ के आधुनिक संस्करण की तरह है जो हमें राष्ट्र के लिए काम करने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि अगर हम में से प्रत्येक देश के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएं तो हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’का निर्माण कर सकते हैं।
इस इस अवसर पर बोलते हुए संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने वहां मौजूद गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और संविधान दिवस के शुभ अवसर पर इस महान देश की जनता को बधाई दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में 2015 में 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि आजपूराराष्ट्र और दुनिया भर में रह रहे भारतीय लोग राष्ट्रपति के भाषण के समापन के बाद संविधान की प्रस्तावना को पढ़ने में उनके साथ शामिल होंगे।
आज़ादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत के 75 साल और इसके लोगों, संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाने के लिए भारत सरकार की एक पहल है। इस महोत्सव के एक हिस्से के रूप में आज का मुख्य कार्यक्रम संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया।
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