- केजरीवाल सरकार ने गेस्ट टीचर की सैलरी को दोगुना कर 35 हजार तक किया, पहले अधिकतम सैलरी 14 से 16 हजार तक मिलती थी- भानू प्रिया
- केजरीवाल सरकार ने गेस्ट टीचर्स को परमानेंट करने के लिए 4 अक्टूबर 2017 को बिल विधानसभा में पास किया, फाइल उप राज्यपाल के पास पेंडिंग है- भानू प्रिया
- दिल्ली के गेस्ट टीचर की तनख्वाह दूसरे राज्यों के गेस्ट टीचर के मुकाबले काफी ज्यादा है- अंजना राठी
- दिल्ली में प्रदर्शन वह लोग कर रहे हैं जो नौकरी पर भी नहीं हैं और जिनको केवल राजनीति करनी है- अंजना राठी
- पंजाब से नवजोत सिंह सिद्धू जैसे लोग दिल्ली में राजनीति करनए आ रहे हैं,उनके यहां पर गेस्ट टीचर आत्महत्या करने के कगार पर हैं- अंजना राठी
- नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा शिक्षकों को अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल करना गलत है। वह जिस राज्य से हैं वहां खुद गेस्ट अध्यापकों की स्थिति अच्छी नहीं है- पूजा झा
- दिल्ली में जो पार्टियां आज प्रदर्शन कर रही हैं, जब उनकी सरकार थी तो उन्होंने गेस्ट टीचर के लिए कुछ नहीं किया- भानु प्रिया
- पुरानी सरकारें गेस्ट टीचर्स को कम तनख्वाह देती थीं और मेटरनिटी लीव नहीं मिलती थी, हर साल फॉर्म भरना पड़ता था, वह अपने गिरेबान में झांक कर देखें- भानू प्रिया
नई दिल्ली, 22 दिसंबर, 2021
दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ की पदाधिकारी भानू प्रिया ने कहा कि दिल्ली में गेस्ट टीचर की स्थिति दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत बेहतर है। केजरीवाल सरकार ने गेस्ट टीचर की सैलरी को दोगुना कर 35 हजार तक किया। पहले अधिकतम सैलरी 14 से 16 हजार तक मिलती थी। केजरीवाल सरकार ने गेस्ट टीचर्स को परमानेंट करने के लिए 4 अक्टूबर 2017 को बिल विधानसभा में पास किया, फाइल उप राज्यपाल के पास पेंडिंग है। दिल्ली में जो पार्टियां आज प्रदर्शन कर रही हैं, जब उनकी सरकार थी तो उन्होंने गेस्ट टीचर के लिए कुछ नहीं किया। कम तनख्वाह देती थीं, गेस्ट टीचर को मेटरनिटी लीव नहीं मिलती थी, हर साल फॉर्म भरना पड़ता था। वह अपने गिरेबान में झांक कर देखें। अंजना राठी ने कहा कि दिल्ली के गेस्ट टीचर की तनख्वाह दूसरे राज्यों के गेस्ट टीचर के मुकाबले काफी ज्यादा है। दिल्ली में प्रदर्शन वह लोग कर रहे हैं जो नौकरी पर भी नहीं हैं और जिनको केवल राजनीति करनी है। पंजाब से नवजोत सिंह सिद्धू जैसे लोग दिल्ली में राजनीति करने आ रहे हैं। उनके यहां पर गेस्ट टीचर आत्महत्या करने के कगार पर हैं। पूजा झा ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा शिक्षकों को अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल करना गलत है। वह जिस राज्य से हैं वहां खुद गेस्ट अध्यापकों की स्थिति अच्छी नहीं है।
दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ की ओर से आज दिल्ली सचिवालय प्रेस वार्ता को संबोधित किया गया। दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ के प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रही भानू प्रिया ने कहा कि हम लोग बहुत खुश हैं कि हम ऐसे स्कूलों में पढ़ा रहे हैं जहां पर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में इतना सुधार हो सका है। यहां अतिथि शिक्षकों की वैल्यू है दूसरे राज्यों के मुकाबले बहुत बेहतर स्थिति में हैं। हमारे लिए सरकार ने बहुत कुछ किया है। हमारे स्कूलों में हैप्पीनेस ईएमसी और देशभक्ति पाठ्यक्रम सहित तमाम गतिविधियां चल रही हैं।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब हम लोगों को स्कूलों में रहने के लिए और नौकरी को बचाने के लिए, हर साल एक फॉर्म भरना होता था। 2010 से लेकर 2015 तक यही स्थिति थी। हम लोग हर साल फॉर्म भरते थे और मेरिट बनती थी। इस साल हमने पढ़ाया तो दूसरे साल हमारा नाम मेरिट में होगा या नहीं यह पता नहीं होता। यह प्रक्रिया इसी तरह चलती रहती थी। हमारे सर पर तलवार लटकी रहती थी कि ना जाने कब नौकरी चली जाए और अगले साल मिलेगी कि नहीं मिलेगी। किसी तरह से महिला गेस्ट टीचर फिर भी एडजस्ट कर लेती हैं। लेकिन पुरुष टीचर्स के लिए और भी ज्यादा दिक्कत भरा था। कांग्रेस के बाद में आम आदमी पार्टी की सरकार आई और फिर कहीं जाकर हम लोगों की जिंदगी में सुधार होना शुरू हुआ। आम आदमी पार्टी की सरकार से 2016 से हम मिल रहे थे। हमने कहा किसी तरह से इस समस्या को सुलझाया जाए। आखिरकार इसका एक अच्छा परिणाम निकला और हमारा रिन्यू शुरू हुआ। इसके बाद हम लगातार जाते रहे और मिलते रहे, बातचीत करते रहे। यह इसी का परिणाम था कि सिर्फ बातचीत करने भर से हमारा काम हो गया। इसके लिए हमें किसी तरह हंगामा, धरना देने की जरूरत ही नहीं पड़ी।
भानू ने कहा कि पहले सैलरी हमारी काफी कम हुआ करती थी हमारी अधिकतम सैलरी 14 से 16 हजार के आसपास आती थी। सैलरी के लिए जब हमने बात करना शुरू किया तो 3 माह के अंदर हमारी तनख्वाह बढ़ गई और यह दोगुनी कर दी गई थी। अब हमारी अधिकतम सैलरी 35 हजार तक मिल जाती है। उसके बाद लगातार सरकार से मिल रहे थे कि किसी तरह से हर बार जो हमारा रिन्यू हो जाता है इससे भी हमें छुटकारा मिल जाए। इसके बीच में भी कुछ परेशानी होती है, और नौकरी जाने का खतरा रहता है। हम चाहते हैं कि इस तरह की समस्याएं जिंदगी में ना आएं। इसके बाद जब हम सरकार गए और बातचीत की तो 3 माह के बाद यह फैसला हुआ कि गेस्ट टीचर्स को परमानेंट किया जाएगा। 4 अक्टूबर 2017 को हमारा बिल विधानसभा में पास किया गया। विधानसभा में बिठाया गया कि हम अपनी फाइल को पास होते हुए देख सकें। यह फाइल राज्यपाल के पास भेज दी गई। लेकिन फाइल को पास करना उपराज्यपाल के हाथ में होता है। यह काफी दिक्कतों का मामला है, क्योंकि सभी फाइल आसानी से पास नहीं हो सकती हैं । यह हमारी फाइल उपराज्यपाल के चली गई लेकिन वहां से पास नहीं हुई। इसके बाद भी हमारे प्रयास चलते रहे। सरकार को जब हमने दोबारा कहा कि कोई दूसरा तरीका निकालिए। हरियाणा में नियमितीकरण की 58 साल की नीति बनाई गई थी। आखिरकार फाइनली केजरीवाल सरकार ने 60 साल की पॉलिसी बनाई। यह दोनों ही फाइलें उपराज्यपाल तक पहुंची और वहीं पर अभी भी पेंडिंग है। यह खुशी वाली बात है कि हमारी सरकार अभी भी हमारे साथ है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई सारे काम सरकार ने हमारे लिए किए हैं। पहले मैटरनिटी लीव के वक्त महिला अध्यापकों को स्कूल से रिलीव कर दिया जाता था और वह घर बैठ जाती थी। उनकी नौकरी चली जाती थी। इसी सरकार के समय में हमें मेटेरनिटी लीव मिलना शुरू हुई। इसके बाद जब हमने बात की कि मेटरनिटी लीव से काम नहीं चलेगा। इसके बाद मेटरनिटी लीव का पैसा भी मिलने लगा। स्कूलों में ऐसा होता था कि हम लोगों को सम्मान नहीं मिलता था। यह सम्मान हमें सिर्फ आम आदमी पार्टी की सरकार की वजह से मिला और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की वजह से मिला। यह पहली बार था जब मनीष सिसोदिया ने खुद जमीन पर जाकर और स्कूलों में गेस्ट अध्यापकों से बात करना शुरू किया। उससे पहले विभाग ने यह इमेज बनाई हुई थी कि यह गेस्ट टीचर हैं, इन को कुछ नहीं आता। पहली बार था जब हम उनकी वजह से हम खुद को साबित कर पाए। उन्होंने समर कैंप चलाएं। पहली बार जब समर कैंप चला गया था तो सिर्फ गेस्ट अध्यापकों के दम पर चला गया था। हम लोगों को वेतन मिल सके इसके लिए समर कैंप शुरू किए गए। मनीष सिसोदिया ने इस बात को ध्यान रखा कि इससे बच्चों को और गेस्ट अध्यापकों को फायदा होगा। हम खुद को साबित कर पाए और परिणाम भी बेहतर आए। हमें पहले इंचार्ज शिप नहीं दी जाती थी। अब विश्वास का रिश्ता अध्यापक और प्रिंसिपल के बीच में बनने लगा। जब एक अध्यापक को एक जगह से हटा दिया जाता है। जब वह दूसरे स्कूल में जाता है तो टीचर और बच्चों का पढ़ाई का रिश्ता दो-तीन महीने में बन पाता है। जब बच्चों को समझ में आता है कि अध्यापक हमें सिखा सकता है, तब वह हम से पढ़ना शुरू करते हैं। यह सिर्फ मनीष सिसोदिया की वजह से हो पाया। हम उन्हीं जगहों पर काम कर पाते हैं। हमारी वजह से बच्चों को छुट्टियों में भी बुलाया जाता है। सर्दियों की छुट्टियों में भी बोर्ड कक्षाओं को बुलाते हैं। जिससे हम लोग उनको पढ़ा पाते हैं। उससे हम लोगों की सैलरी बन पाती है और हमारे घर अच्छी तरह से चल पाते हैं।
दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ की पदाधिकारी ने कहा कि इससे पहले कांग्रेस की सरकार थी और कांग्रेस सरकार के समय पर हालात ऐसे थे कि हम लोगों ने तत्कालीन शिक्षा मंत्री से मिलने की कोशिश की। तब उन्होंने कहा कि गेस्ट टीचर क्या होते हैं। उन्हें हमारे बारे में यह भी नहीं पता था कि उनके स्कूलों में हम लोग पढ़ाते भी हैं, सुधार करने की बात तो बहुत दूर है। हमारी हालत, स्थिति इतनी बदतर थी। 2013 से पहले स्कूलों में कंप्यूटर अध्यापक पढ़ाया करते थे। शिक्षा और शिक्षकों के प्रति कांग्रेस सरकार का उस समय रवैया था ऐसा था कि कंप्यूटर टीचर जब तत्कालीन शिक्षा मंत्री से मिलने के लिए गए कि हम लोगों की तनख्वाह बढ़ा दी जाए। क्योंकि तनख्वाह सिर्फ 6 हजार रुपए खाते में आती थी। उन्होंने स्पष्ट मुंह पर बोल दिया था कि तुम बहुत परेशान करते हो और हर तीसरे दिन प्रदर्शन करने चले आते हो। मुझे आप लोगों से बात नहीं करनी और इस साल पोस्ट खत्म कर दूंगा। फिल तुम हम लोगों को कैसे परेशान करोगे। उसी साल हमारी नौकरियां खत्म कर दी गई थी। हम लोग बहुत ही आभारी हैं कि हमारे पास आम आदमी पार्टी की सरकार है। जिनकी वजह से हम लोगों का रोजगार जिंदा और घर चल रहे हैं और हम लोग खुश हैं।
दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ की पदाधिकारी अंजना राठी ने कहा कि हमने यह देखा है कि पिछले कुछ समय से धरने शुरू हो गए हैं। जिन्हें ऐसे साथी कर रहे जो कि गेस्ट टीचर भी नहीं हैं। इसका मतलब यह है कि गेस्ट टीचर के नाम पर राजनीति होना शुरू हो गई है। दूसरे राज्यों से आकर राजनीति कर रहे हैं। पंजाब से नवजोत सिंह सिद्धू जैसे लोग आ रहे हैं, जिनके यहां पर गेस्ट टीचर आत्महत्या करने की कगार पर हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल जब पंजाब गए थे तो उस समय पंजाब के गेस्ट टीचरों ने प्रदर्शन किया था। गेस्ट टीचर वहां पर पानी की टंकी पर चढ़ गए थे और अपनी जान देने के लिए तैयार थे। क्योंकि जब रोजगार छीना जाता है तो इंसान कुछ ना कुछ करता है। ऐसे लोग यहां आकर दिल्ली में गेस्ट टीचर को बरगला रहे हैं। मेरा उनसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि यहां ना आएं और हमारे कार्य सरकार से बातचीत करके समय-समय पर हो रहे हैं। हमें प्रोटेस्ट करने की कोई आवश्यकता नहीं है। दिल्ली में प्रदर्शन वह लोग कर रहे हैं जो आज की डेट में नौकरी पर भी नहीं है और जिनको केवल राजनीति करनी है। इस समय भी दिल्ली के गेस्ट टीचर की तनख्वाह दूसरे राज्यों के गेस्ट टीचर के मुकाबले काफी ज्यादा है।
अमित ने कहा कि हम शिक्षा मंत्री के साथ मिलते रहे हैं और मांगों को रखते रहे हैं। गेस्ट टीचर की मांगों को लेकर आज भी हमने बातचीत की है। इस दौरान उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से काफी सकारात्मक बातचीत हुई है। सबसे प्रमुख बात यह है कि 2017 में सैलरी दुगनी की गई थी। इसके बाद में हमने कोविड-19 की मार झेली है। बैठक में हमने प्रमुख मांग रखी कि हमारी सैलरी बढ़ाई जाए। जिसके बाद में सकारात्मक संकेत मिले हैं। उन्होंने आश्वस्त किया है कि सैलरी बढ़ाने के ऊपर वह जल्द से जल्द काम करेंगे और त्वरित कार्रवाई होगी।
दिल्ली अतिथि शिक्षक संघ से जुड़ी पूजा झा ने कहा कि हम लोग आम आदमी पार्टी की सरकार, मुख्यमंत्री केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आभारी हैं कि अभी तक जितनी भी दिक्कतें हुई हैं और जब भी हम उन मुद्दों को लेकर बैठक करने आए तो उन्होंने हमारी मांगों को आराम से सुना है। हम लोगों को अपनी मांगों को मनवाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। हम लोग आते हैं और अपनी बात रखते हैं। इसके बाद जो भी संभावना होती है उसको वह तत्काल दूर कर देते हैं। जब कांग्रेस की सरकार थी तब वेतन प्रति पीरियड के हिसाब से मिलता था। गेस्ट टीचर को 120 रुपए पीरियड के हिसाब से वेतन मिलता था। इस तरह से पूरे दिन के 600 रुपए बनते थे। यदि कभी छुट्टी लेना और घर जाना होता था तो और भी कम वेतन हो जाता था। इसके अलावा 2016 से पहले हर साल फॉर्म भरने पड़ते थे और मेरिट में आना पड़ता था। लेकिन 2016 के बाद हमें दोबारा फॉर्म नहीं भरने पड़ते हैं। जब से आम आदमी पार्टी की सरकार है तब से लगातार रिन्यू किया जा रहा है। पहले अगर हम रिलीव हो जाते थे तो हमें स्कूल आलॉट बहुत मुश्किल से होता था। लेकिन अब स्कूल भी आसानी से अलॉट हो जाते हैं। हमारे स्कूलों में ईएमसी, देशभक्ति का पाठ्यक्रम और समर कैंप आदि चीजें बच्चों के लिए तो बेहतर हैं। लेकिन गेस्ट टीचर को भी खूब फायदा हुआ है। हमारी सरकार की कोशिश यही रहती है कि गेस्ट टीचर को ज्यादा से ज्यादा काम दिया जाए। बच्चों का कनेक्शन गेस्ट टीचर से पहले ठीक नहीं था। गेस्ट टीचर जब आते थे और बच्चों के साथ कनेक्शन बनाते थे। तब तक कोई दूसरा परमानेंट अध्यापक आ जाता था और वहां से रिलीव हो जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा शिक्षकों को अपनी राजनीति के लिए इस्तेमाल करना गलत है। वह जिस राज्य से हैं वहां खुद गेस्ट अध्यापकों की स्थिति अच्छी नहीं है। यह सब जानते हैं।