बीना रिफाइनरी (मध्य प्रदेश) से पनकी, कानपुर (उत्तर प्रदेश) स्थित पीओएल टर्मिनल तक बहु-उत्पाद पाइपलाइन को आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया। 356 किलोमीटर लंबी परियोजना की क्षमता लगभग 3.45 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष है। इस परियोजना में टैंकेज क्षमता में वृद्धि करना और पनकी पीओएल टर्मिनल पर रेल लोडिंग गैन्ट्री का निर्माण करना भी शामिल है। इस परियोजना की कुल लागत 1524 करोड़ रुपये (उत्तर प्रदेश में 1227 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश में 297 करोड़ रुपये) है। यह परियोजना उत्तर प्रदेश के इन 5 जिलों को कवर करेगी: ललितपुर, झांसी, जालौन, कानपुर देहात एवं कानपुर नगर, और मध्य प्रदेश के इन 2 जिलों को कवर करेगी: सागर और टीकमगढ़।
यह परियोजना दिसंबर 2021 (पीएनजीआरबी की अनुमति से 3 वर्ष) तक के स्वीकृत समापन कार्यक्रम से एक महीने पहले ही पूरी हो गई है और इसके साथ ही यह परियोजना कुल स्वीकृत लागत के भीतर ही चालू हो गई है। इससे बीना रिफाइनरी से उत्पादों की सुरक्षित एवं सुव्यवस्थित निकासी सुनिश्चित होगी और इसके साथ ही पूर्वी यूपी, मध्य यूपी, उत्तरी बिहार और दक्षिणी उत्तराखंड में उत्पादों की उपलब्धता बढ़ जाएगी।
इस परियोजना में एमएस, एचएसडी और एसकेओ की ढुलाई के लिए बीना (एमपी) स्थित बीना डिस्पैच टर्मिनल से पनकी, कानपुर (यूपी) स्थित पीओएल टर्मिनल तक 3.5 एमएमटीपीए की डिजाइन क्षमता वाली 18 इंच व्यास एवं 356 किमी लंबी बहु-उत्पाद पाइपलाइन (यूपी में 283 किमी और एमपी में 73 किमी) को बिछाना शामिल है। इस परियोजना में निम्नलिखित सुविधाएं या इकाइयां भी शामिल हैं;
ए. बीना में पाइपलाइन डिस्पैच टर्मिनल का निर्माण
बी. पनकी (कानपुर) में पाइपलाइन रिसीट टर्मिनल और इसके साथ ही टैंकेज क्षमता को 30400 केएल से बढ़ाकर 167200 केएल करना
सी. रेल लोडिंग गैन्ट्री
डी. पाइपलाइन मार्ग पर ही 11 एसवी स्टेशन और 1 इंटरमीडिएट पिगिंग स्टेशन
इस परियोजना के तहत निर्माण चरण के दौरान लगभग 5 लाख मानव-दिवसों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान किया गया। इस परियोजना में संचालन और रखरखाव के लिए भी लगभग 200 लोगों को रोजगार प्रदान किया जाएगा।
पाइपलाइनें दरअसल किफायती और विश्वसनीय तरीके से बड़ी मात्रा में पेट्रोलियम उत्पादों की ढुलाई करने के लिए अत्यंत सुरक्षित और पर्यावरण अनुकूल मानी जाती हैं। इसके अलावा, टैंक वैगन और टैंक लॉरी की आवाजाही की जरूरत नहीं पड़ने से कार्बन फुट प्रिंट या उत्सर्जन को कम करना भी संभव हो जाता है।
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