चर्चा में
हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के ‘बीड मॉडल’ के राज्यव्यापी कार्यान्वयन के लिये प्रयास शुरू कर दिया है।
कारण
महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थित, बीड जिला किसी भी बीमा कंपनी के लिए एक चुनौती प्रस्तुत करता है। इसकी वजह यह है कि यहां के किसान बार-बार बारिश नहीं होने या भारी बारिश के कारण अपनी फसल गंवा देते हैं। ऐसे में उच्च भुगतान को देखते हुए बीमा कंपनियों को निरंतर घाटा हुआ है। राज्य सरकार को बीड में योजना को लागू करने के लिए निविदाएं प्राप्त करने में मुश्किल हो रही थी।
समस्या का समाधान: बीड मॉडल
बीमा कंपनियों के नुकसान को देखते हुए राज्य के कृषि विभाग ने इस जिले के लिए ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ (PMFBY) के दिशानिर्देशों में संशोधन करने का फैसला किया है। इसके अनुसार, बीमा कंपनी एकत्रित प्रीमियम राशि के 110% तक की सुरक्षा प्रदान करेगी। यदि मुआवजा की राशि, बीमा कंपनी द्वारा दी गई सुरक्षा से अधिक हो जाती है, तो इस अतरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान राज्य सरकार करेगी।
यदि मुआवजा के रूप में दी गई राशि, एकत्रित प्रीमियम से कम रहती है, तो बीमा कंपनी इस राशि का 20% हैंडलिंग या प्रबंधन शुल्क के रूप में अपने पास रख लेगी और शेष राशि राज्य सरकार (प्रीमियम अधिशेष) को प्रतिपूर्ति करेगी।
बीड मॉडल का प्रभाव
बीड मॉडल में बीमा कंपनी के लाभ में कमी आने की उम्मीद है और राज्य सरकार को धन के दूसरे स्रोत तक पहुँच प्राप्त होगी। प्रतिपूर्ति की गई राशि से अगले वर्ष के लिए राज्य द्वारा फसल-नुकसान होने वाले किसी भी वर्ष की अवधि में अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान करने में मदद मिल सकती है।
चुनौतियाँ
किसानों के लिए इस मॉडल का कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं है। इस पर यह सवाल बना हुआ हैं कि राज्य सरकार अतिरिक्त राशि कैसे जुटाने जा रही है और प्रतिपूर्ति की गई राशि को कैसे प्रशासित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का अनावरण 13 जनवरी, 2016 को किया गया था। यह एक केंद्रीय योजना है तथा राज्य के कृषि विभागों द्वारा, केंद्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यान्वित की जाती है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बुआई के पहले से और फसल की कटाई के बाद तक के लिए बीमा सुरक्षा मिलती है। फसल बीमा योजना के तहत रबी, खरीफ, कारोबारी और बागबानी फसलों को भी शामिल किया जाता है। कारोबारी और बागवानी फसलों पर प्रीमियम ज्यादा देना पड़ता है। इन फसलों के लिए 5 फीसदी प्रीमियम देना होता है। खरीफ फसलों के लिए इस बीमा योजना के तहत केवल 2 प्रतिशत और रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत का प्रीमियम होता है। शेष राशि का भुगतान राज्य और केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है।