चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री ने 8वीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM प्लस) को संबोधित किया।
ADMM-Plus आसियान और उसके आठ संवाद भागीदारों का एक मंच है।
आसियान रक्षा मंत्रियों की पहली बैठक
10वें आसियान शिखर सम्मेलन में आसियान द्वारा कलेक्टिव सिक्योरिटी (collective security) की रणनीति अपनाई गई, जिसके तहत वार्षिक ADMM के गठन की योजना बनाई गई। ADMM की पहली बैठक 9 मई, 2006 को कुआलालंपुर में आयोजित की गई थी। ASEAN के सभी सदस्य देश ADMM के सदस्य हैं। इसका उद्देश्य ASEAN देशों में रक्षा के क्षेत्र में बातचीत और सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना है।
ADMM प्लस
ADMM प्लस की स्थापना 2007 में सिंगापुर में आयोजित दूसरी आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में ADMM Plus की स्थापना हेतु संकल्पना पत्र अपनाया गया था। यह आसियान और इसके वार्ता साझेदार देशों के लिए क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास हेतु सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूती प्रदान करने वाला एक मंच है। ADMM Plus के साझेदार देशों में आसियान के अलावा ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूज़ीलैंड, दक्षिणी कोरिया , रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। आसियान के अलावा अन्य को सामूहिक रूप से “प्लस देशों” के रूप में संदर्भित किया गया है। वहीं ब्रुनेई वर्ष 2021 के लिये ADMM प्लस फोरम का अध्यक्ष है।
ADMM प्लस के सहयोग के क्षेत्र
ADMM प्लस के तहत रक्षा के क्षेत्र में सहयोग के निम्नलिखित पाँच क्षेत्रों पर सहमति व्यक्त की गई है – समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी, मानवीय सहायता और आपदा राहत, शांति व्यवस्था और सैन्य चिकित्सा।
भारत तथा सहयोग क्षेत्र:-
सुरक्षा और विवाद समाधान
भारत ने राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के आधार पर इंडो-पैसिफिक में एक खुली और समावेशी व्यवस्था का आह्वान किया। यह दक्षिण चीन सागर सहित अंतर्राष्ट्रीय जलमार्गों में नेविगेशन, ओवरफ्लाइट और अबाध वाणिज्य की स्वतंत्रता का समर्थन करता है, भारत को उम्मीद है कि इस आचार संहिता वार्ता (दक्षिण चीन सागर के लिये) से ऐसे परिणाम निकलेंगे जो ‘समुद्र कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’ (UNCLOS) सहित अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप होंगे। वहीं हाल ही में आसियान और चीन ने इस कोड पर वार्ता को फिर से शुरू करने में तेज़ी लाने पर सहमति व्यक्त की, जो महामारी के कारण रुकी हुई थी। चीन और आसियान ने कथित रूप से बाध्यकारी आचार संहिता पर वर्ष 2013 में बातचीत शुरू की थी।
बातचीत और अंतर्राष्ट्रीय नियमों एवं कानूनों के पालन के माध्यम से विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर ज़ोर दिया गया।
‘एक्ट ईस्ट’ पॉलिसी
एक्ट ईस्ट पॉलिसी का प्रमुख उद्देश्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर निरंतर जुड़ाव के माध्यम से आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित करना है।
आतंकवाद से लड़ने के लिये
आतंकी संगठनों और उनके नेटवर्क को पूरी तरह से बाधित करने के लिये सामूहिक सहयोग का आह्वान किया गया। अपराधियों की पहचान करने और उन्हें जवाबदेह ठहराने तथा यह अपेक्षा की गई कि आतंकवाद का समर्थन करने, उसे वित्तपोषित करने एवं आतंकवादियों को शरण देने वालों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएँ। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के सदस्य के रूप में भारत आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने के लिये प्रतिबद्ध है।
FATF ग्लोबल मनी लॉन्ड्रिंग और टेररिस्ट फाइनेंसिंग वॉचडॉग के रूप में काम करता है।
साइबर सुरक्षा पर
एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण का आह्वान किया गया, जो लोकतांत्रिक मूल्यों द्वारा निर्देशित हो तथा एक खुली और समावेशी शासन संरचना हो एवं यह देशों की संप्रभुता के लिये एक सुरक्षित और स्थिर इंटरनेट व्यवस्था से संबंधित हो, जो साइबरस्पेस के भविष्य को तय करेगा।
कोविड-19 से लड़ने के लिए
विश्व स्तर पर उपलब्ध पेटेंट मुक्त टीके, निर्बाध आपूर्ति शृंखला और अधिक वैश्विक चिकित्सा क्षमता कुछ ऐसे प्रयास हैं, जिनका सुझाव भारत ने संयुक्त प्रयास के माध्यम से दिया है। वहीं दक्षिण अफ्रीका और भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) से कोविड -19 से संबंधित बौद्धिक संपदा (IP) अधिकारों को निलंबित करने का आह्वान किया है ताकि महामारी को नियंत्रित करने के लिये टीकों और नई तकनीक का समान साझाकरण सुनिश्चित किया जा सके।
मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) संचालन के लिये
भारत विस्तारित पड़ोस में संकट के समय में तत्काल प्रतिक्रिया देने वाले पहले देशों में से एक है। एशियाई तटरक्षक एजेंसियों के प्रमुखों की बैठक (HACGAM) के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत समुद्री खोज और बचाव के क्षेत्रों में सहयोग के माध्यम से क्षमता निर्माण को बढ़ाना चाहता है। वहीं HACGAM एक शीर्ष स्तर का मंच है जो एशियाई क्षेत्र की सभी प्रमुख तटरक्षक एजेंसियों के एकीकरण की सुविधा प्रदान करता है, इसकी स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी।
भारत और आसियान की केंद्रीयता
भारत आसियान के साथ एक गहरा संबंध साझा करता है और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता में योगदान देने वाले कई क्षेत्रों में अपनी सक्रिय भागीदारी जारी रखता है, विशेष रूप से आसियान के नेतृत्व वाले तंत्र के माध्यम से, जैसे: ईस्ट एशिया समिट,आसियान रीजनल फोरम,
ADMM प्लस, वहीं भारत-आसियान रणनीतिक साझेदारी उनके बीच समृद्ध सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों और लोगों-से-लोगों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देने के कारण मज़बूत हुई है।
आसियान(ASEAN)
आसियान 10 दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का अंतर-सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना 6 अगस्त 1967 को हुई थी। इसका मुख्यालय जकार्ता, इंडोनेशिया में है। इसके सदस्य देश इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम हैं।
दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संघ (आसियान) एक क्षेत्रीय संगठन है जिसे एशिया-प्रशांत के उत्तर-औपनिवेशिक राज्यों के मध्य बढ़ते तनाव के बीच राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य अधिक संवाद और पारदर्शिता के माध्यम से रक्षा प्रतिष्ठानों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देना है।