ब्लू डॉट नेटवर्क क्या है? क्या भारत को इसके साथ जुड़ना चाहिये?

प्रौद्योगिकी

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संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व वाले ब्लू डॉट नेटवर्क (Blue Dot Network- BDN) की औपचारिक घोषणा 4 नवंबर, 2019 को थाईलैंड के बैंकॉक में इंडो-पैसिफिक बिज़नेस फोरम (Indo-Pacific Business Forum) में की गई थी। इसमें अमेरिका के साथ- साथ आस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल है।

ब्लू डॉट नेटवर्क

BDN वैश्विक अवसंरचना विकास हेतु उच्च-गुणवत्ता एवं विश्वसनीय मानकों को बढ़ावा देने के लिये सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज को एक साथ लाने की एक बहु-हितधारक पहल है। यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर ध्यान देने के साथ-साथ विश्व स्तर पर सड़क, बंदरगाह एवं पुलों के लिये मान्यता प्राप्त मूल्यांकन और प्रमाणन प्रणाली के रूप में काम करेगा। इसके तहत अवसंरचनात्मक परियोजनाओं को ऋण, पर्यावरण मानकों, श्रम मानकों आदि के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा। विश्व स्तर पर BDN प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये मान्यता प्राप्त स्वीकृति के तौर पर काम करेगा जिसका उद्देश्य लोगों को यह बताना कि परियोजनाएँ टिकाऊ हैं न कि शोषणकारी। इसे चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative- BRI) को काउंटर करने के रूप में देखा जा रहा है। हालाँकि BRI के विपरीत BDN किसी परियोजना के लिये सार्वजनिक ऋण की पेशकश नहीं करेगा।

BDN के लाभ

BDN पूरे क्षेत्र के खासकर गरीब देशों में वित्त और अधिक पारदर्शिता प्रदान करेगा। यह बुनियादी ढांचे में ‘सिद्धांत’ आधारित और ‘टिकाऊ’ निवेश सुनिश्चित करेगा। साथ ही भारत-प्रशांत क्षेत्र में गुणवत्ता के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने और निवेश को सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा। ब्लू डॉट नेटवर्क क्षेत्रीय शक्ति को नियंत्रित करने की संभावना भी रखता है, क्योंकि यह इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती शक्ति को देखते हुए यह एक साझा भारत-प्रशांत रणनीति को भी दर्शाता है। इसके अलावा ब्लू डॉट परियोजना विदेशी कंपनियों को मौका भी देगी जो अक्सर भ्रष्टाचार या जलवायु परिवर्तन जैसी चिंताओं की वजह से विकासशील देशों में निवेश करने के लिए अनिच्छुक होते हैं।

BRI के साथ प्रतिस्पर्धा के रूप में BDN

ब्लू डॉट नेटवर्क को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखा जा रहा है। चीन अपने BRI प्रोजेक्ट के तहत अमेरिकी ताकत को कम कर पूरी दुनिया में अपनी शक्तियों का विस्तार करते हुए एक ग्लोबल लीडर के रूप में बनने की सपना देख रहा है BRI प्रोजेक्ट के तहत उन्ही देशों में निवेश कर रहा है, जिन देशों की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे की स्थिति कमजोर है। उदाहरण के लिये चीन ने श्रीलंका, ईरान, म्यांमार जैसे कमजोर अर्थव्यवस्था वाले अन्य कई देशों में प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। कहीं न कहीं चीन का BRI प्रोजेक्ट ऋण-जाल कूटनीति (Debt-Trap Diplomacy) को दर्शाता है। जबकि ब्लू डॉट नेटवर्क गरीब देश की परियोजनाओं की व्यवहार्यता को एक रेटिंग देगा, जिसमें उन्हें परियोजना के लाभों के बारे में समझाया जाएगा और ये सभी सार्वजनिक क्षेत्र में होंगे।

BRI पहल चीन द्वारा प्रस्तावित एक महत्त्वाकांक्षी आधारभूत ढाँचा विकास एवं संपर्क परियोजना है जिसका लक्ष्य चीन को सड़क, रेल एवं जलमार्गों के माध्यम से यूरोप, अफ्रीका और एशिया से जोड़ना है। जिसकी परिकल्पना 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा की गई थी। BRI को ‘सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट’ और 21वीं सदी की ‘सामुद्रिक सिल्क रोड’ के रूप में भी जाना जाता है।

क्या भारत को जुड़ना चाहिए?

भारत पहले से ही BRI से जुड़ने के लिए इनकार कर चुका है, ऐसे में चीन की कूटनीति के खिलाफ खड़ा होने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाले BDN में शामिल हो सकता है। ब्लू डॉट नेटवर्क पहल के तहत भारत जितनी भूमिका चाहता है, उतनी मिलने की पूरी संभावना है। क्योंकि यह प्रणाली किसी भी लोकतांत्रिक देश की उन परियोजनाओं पर लागू होगी जहाँ नागरिक ऐसी परियोजनाओं का मूल्यांकन करना चाहते हैं। BDN के साथ जुड़ने से क्षेत्रीय हितो के साथ-साथ हिंदमहासागर को भी सुरक्षित किया जा सकता है साथ ही यह भारत के आर्थिक विकास को भी गति प्रदान कर सकता है।

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