पेगासस स्पायवेयर: दुनिया का सबसे ताकतवर जासूसी सॉफ्टवेयर

प्रौद्योगिकी

      पेरिस की एक संस्था फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास करीब 50 हजार फोन नंबर्स की एक लिस्ट है। इन संस्थानों का दावा है कि ये वे नंबर हैं, जिन्हें पेगासस स्पायवेयर के जरिए हैक किया गया है। इन दोनों संस्थानों ने इस लिस्ट को दुनियाभर के 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किया है। इन्वेस्टिगेशन के बाद खुलासा हुआ है कि अलग-अलग देशों की सरकारें पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, बिजनेसमैन, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और वैज्ञानिकों समेत कई लोगों की जासूसी कर रही हैं। इस सूची में भारत का भी नाम है। न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, जिन लोगों की जासूसी की गई है, उनमें 300 भारतीय लोगों के नाम शामिल हैं। जासूसी के लिए इजराइली कंपनी द्वारा बनाए गए स्पायवेयर पेगासस का इस्तेमाल किया गया है।

क्या है पेगासस स्पाइवेयर?

      इस्रायल के NSO ग्रुप और Q साइबर टेक्नोलॉजीजी ने इस स्पाइवेयर (जासूसी वाले सॉफ्टवेयर) को तैयार किया है। पेगासस का दूसरा नाम Q Suite भी है। पेगासस दुनिया के सबसे खतरनाक जासूसी सॉफ्टवेयर्स में से एक है, जो एंड्रॉयड और आईओएस डिवाइस दोनों की जासूसी कर सकता है। इस स्पाइवेयर को अगर किसी स्मार्टफ़ोन फ़ोन में डाल दिया जाए, तो कोई हैकर उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी हासिल कर सकता है। साइबर सुरक्षा कंपनी कैस्परस्काई की एक रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस एन्क्रिप्टेड ऑडियो सुनने और एन्क्रिप्टेड संदेशों को पढ़ने लायक बना देता है। जबकि एन्क्रिप्टेड ऐसे संदेश होते हैं; जिसकी जानकारी सिर्फ मेसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले को होती है। जिस कंपनी के प्लेटफ़ॉर्म पर मेसेज भेजा जा रहा, वे भी उसे देख या सुन नहीं सकते।

पेगासस  कैसे काम करता है?

      साइबर सिक्युरिटी रिसर्च ग्रुप सिटीजन लैब के मुताबिक, किसी डिवाइस में पेगासस को इंस्टॉल करने के लिए हैकर अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। एक तरीका ये है कि टारगेट डिवाइस पर मैसेज के जरिए एक “एक्सप्लॉइट लिंक” भेजी जाती है। जैसे ही यूजर इस लिंक पर क्लिक करता है, पेगासस अपने आप फोन में इंस्टॉल हो जाता है। एक बार फोन में इंस्टॉल होने के बाद पेगासस को हैकर कमांड एंड कंट्रोल सर्वर से इंस्ट्रक्शन दे सकता है।

पहले भी चुका है चर्चा में पेगासस

      पेगासस सबसे पहले 2016 में सुर्खियों में आया था, जब UAE के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर को अनजान नंबर से कई SMS मिले थे, जिसमें कई लिंक भेजी गई थीं। अहमद को जब इन मैसेज को लेकर संदेह हुआ तो उन्होंने साइबर एक्सपर्ट्स से इन मैसेजेस की जांच करवाई। जांच में खुलासा हुआ कि अहमद अगर मैसेज में भेजी लिंक पर क्लिक करते तो उनके फोन में पेगासस डाउनलोड हो जाता।

                2 अक्टूबर, 2018 को सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या हो गई थी। इस हत्याकांड की जांच में भी पेगासस का नाम सामने आया था। जांच एजेंसियों ने शक जताया था कि जमाल खशोगी की हत्या से पहले उनकी जासूसी की गई थी। साल 2019 में भी पेगासस सुर्खियों में था। तब व्हाट्सएप ने कहा था कि पेगासस के जरिए करीब 1,400 पत्रकारों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप की जानकारी उनके फोन से हैक की गई थी। दिसंबर 2020 में अल जजीरा के कई पत्रकारों पर पेगासस के जरिये जासूसी करने की खबर सामने आई थी। इसके अलावा मैक्सिको सरकार पर भी इस स्पायवेयर को गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं।

कंपनी का क्या कहना है?

      एनसओ का कहना है कि वह सिर्फ़ सॉफ्टवेयर बेचती है, उसके इस्तेमाल पर उसका कोई नियंत्रण नहीं होता है। एनएससो का कहना है कि वह इसके इस्तेमाल पर निगरानी नहीं रखती है और न ही इससे जुड़ा डेटा उसके पास होता है। एनएसओ कंपनी हमेशा से दावा करती रही है कि ये प्रोग्राम वह केवल मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को बेचती है और जिसका उद्देश्य “आतंकवाद और अपराध के खिलाफ लड़ना” है। सार्वजनिक जानकारी के अनुसार पनामा और मैक्सिको की सरकारें इसका इस्तेमाल करती हैं। वहीं, कंपनी के मुताबिक इसे इस्तेमाल करने वालों में 51 प्रतिशत सरकारी ख़ुफ़िया एजेंसियां हैं और 38 प्रतिशत क़ानून लागू करवाने वाली एजेंसियां हैं, जबकि 11 प्रतिशत सेनाएं हैं।

भारत सरकार का क्या कहना है?

      इस पूरे मामले पर इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय ने सफाई दी है कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और अपने नागरिकों के निजता के अधिकार के लिए पूरी तरह समर्पित है। सरकार पर जो जासूसी के आरोप लग रहे हैं, वह बेबुनियाद है।

पेगासस इतना चर्चित क्यों है?      

इंस्टॉल होने के बाद पेगासस फोन में किसी तरह के फुटप्रिंट नहीं छोड़ता। यानी फोन हैक होने पर पता नहीं चलेगा। यह कम बैंडविड्थ पर भी काम करने में सक्षम है। साथ ही फोन की बैटरी, मेमोरी और डेटा का भी कम इस्तेमाल करता है, जिससे कि फोन हैक होने पर किसी तरह का शक नही होता। एंड्रॉइड के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित माने जाने वाले आईफोन के IOS को भी हैक कर सकता है। फोन लॉक होने पर भी पेगासस अपना काम करता रहता है।

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