-दिल्ली में पहली बार बच्चों को उनकी माता के प्रमाण पत्र के आधार पर अनूसूचित जाति/जनजाति के प्रमाण पत्र दिए गए, करोल बाग से आम आदमी पार्टी के विधायक विशेष रवि के प्रयासों के बाद सम्भव हुआ है
-लम्बे संघर्ष के बाद अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चे को उसकी माता के प्रमाण पत्र के आधार पर उसका एससी प्रमाण पत्र मिला है
- एससी/एसटी वर्ग के प्रमाण पत्र दिए जाने की प्रक्रिया में विशेष रवि के प्रयासों से संशोधन किया गया है
- दिल्ली में अब एससी/एसटी वर्ग की सिंगल मदर्स के बच्चों को जाति प्रमाण पत्र मिल सकेगा
नई दिल्ली, 04 दिसंबर, 2021
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सिंगल मदर के एससी/एसटी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर बनाया गया पहला जाति प्रमाण पत्र दिया। दिल्ली में पहली बार बच्चों को उनकी माता के प्रमाण पत्र के आधार पर अनूसूचित जाति/जनजाति के प्रमाण पत्र दिए गए। करोल बाग से आम आदमी पार्टी के विधायक विशेष रवि के प्रयासों के बाद यह सम्भव हुआ है। लम्बे संघर्ष के बाद अनुसूचित जाति वर्ग के बच्चे को उसकी माता के प्रमाण पत्र के आधार पर उसका एससी प्रमाण पत्र मिला है। एससी/एसटी वर्ग के प्रमाण पत्र दिए जाने की प्रक्रिया में विशेष रवि के प्रयासों से संशोधन किया गया है। दिल्ली में अब एससी/एसटी वर्ग की सिंगल मदर्स के बच्चों को जाति प्रमाण पत्र मिल सकेगा।
तक़रीबन 8 वर्ष के लम्बे संघर्ष के बाद एससी वर्ग की ‘सिंगल मदर’ के पुत्र को उसकी माता के एससी वर्ग प्रमाण पत्र के आधार पर एससी वर्ग का प्रमाण पत्र मिला है। ऐसा आम आदमी पार्टी के विधायक विशेष रवि के अथक प्रयासों से सम्भव हो पाया है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज विधायक विशेष रवि की मौजूदगी में गीता देवी को उनके बेटे का जाति प्रमाण पत्र दिया है।
‘सिंगल मदर’ वो महिलायें होती है, जिन्हें उनके पति द्वारा निष्काषित कर दिया जाता है या फिर जिन्हें पति ने तलाक़ दे दिया हो या फिर उनके पति ने किसी दूसरी महिला से शादी कर ली हो। ऐसी महिलाओं के बच्चों को अब अपनी माता के एससी/एसटी वर्ग प्रमाण पत्र के आधार पर एससी/एसटी वर्ग का प्रमाण पत्र मिल सकेगा ।
अभी तक एससी/एसटी वर्ग का प्रमाण पत्र केवल पिता के एससी/एसटी वर्ग के प्रमाण पत्र के आधार पर ही मिला करता था। जिसकी वजह से ‘सिंगल मदर्स ‘ अपने बच्चों को यह अधिकार नहीं दिलवा पाती थी। अगर वह ऐसा करने की पहल भी करती थीं तो उनको अपने ससुराल वालों के द्वारा उत्पीड़ना सहनी पड़ती थी। इस सब की वजह ऐसे बच्चे अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित रह जाते थे।
इससे पहले कोर्ट ने भी माना की अगर बच्चे ने समाज का दुर्व्यवहार सहा है तो वह अपनी माता की जाति पर जाति प्रमाण पत्र बनवा सकता है।
गीता देवी एससी वर्ग की एक ऐसी महिला है जो की सिंगल मदर है। जिन्होंने अपने बच्चे को एससी वर्ग का प्रमाण पत्र दिलवाने के लिए 8 वर्षों तक संघर्ष किया है। उनकी ऐप्लिकेशन को कई बार यह कहते हुए रिजेक्ट कर दिया जाता था कि बच्चे के पिता का एससी वर्ग का प्रमाण पत्र संलग्र नहीं है। लगभग एक साल पहले गीता देवी अपनी इस समस्या का निवारण पाने हेतु विधायक विशेष रवि के दफ़्तर आयी। उनसे इस समस्या को सुलझाने की गुहार लगायी।
तब से विधायक विशेष रवि ने कई चिट्ठियां लिख कर इस मामले को दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग, समाज कल्याण विभाग और एससी/एसटी वेलफेयर विभाग के सामने रखा। फॉलोअप के तौर पर उन्होंने इन विभागों के अधिकारियों के साथ इस मसले पर कई बार मुलाक़ात भी की
उन्होंने 2020 में यह मुद्दा दिल्ली विधानसभा में भी उठाया था। उनके निरंतर प्रयास की वजह से ही आज गीता देवी के पुत्र को उसका एससी वर्ग का प्रमाण पत्र मिल पाया है। इस महत्वपूर्ण मसले में उनके हस्तक्षेप की वजह से ही आज हज़ारों एससी वर्ग की सिंगल मदर्स को उनके बच्चों को एससी वर्ग का प्रमाण पत्र दिलवाने में आसानी होगी।
गीता देवी का पुत्र दिल्ली में ऐसा पहला बच्चा है, जिसे एससी वर्ग का प्रमाण पत्र उसकी माता के एससी वर्ग के प्रमाण पत्र के आधार पर मिला है। एससी/एसटी वर्ग का प्रमाण पत्र देने के क़ानून की प्रक्रिया को संशोधित करने का सर्कुलर 20.07.2020 को दिल्ली के राजस्व मंत्री द्वारा नोटिफ़ाई कर दिया गया था।