- केजरीवाल सरकार, ईवी बेड़े को अनिवार्य करने के लिए एग्रीगेटर पॉलिसी अधिसूचित करने वाली देश की पहली सरकार, जनता को पॉलिसी पर राय देने के लिए 60 दिनों का दिया समय
- यह पॉलिसी एग्रीगेटर उद्योग को पर्यावरण के अनुकूल बनने के लिए जरूरी प्रोत्साहन प्रदान करेगी- गोपाल राय
- एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को अगले तीन महीनों में सभी नए दोपहिया वाहनों में से 10 फीसद और सभी नए चार पहिया वाहनों में से 5 फीसद इलेक्ट्रिक वाहन शामिल करने होंगे
- एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को मार्च 2023 तक सभी नए दोपहिया वाहनों में से 50 फीसद और सभी नए चार पहिया वाहनों में से 25 फीसद इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करना होगा
- दिल्ली सरकार एनसीआर क्षेत्र के अन्य राज्यों को भी यह पॉलिसी अपनाने को लेकर निर्देश देने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को एक रिप्रजेंटेशन देगी
नई दिल्ली, 15 जनवरी 2022
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक और बड़ी पहल की है। अब राइड एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को अपने वाहनों के नए बेड़े में अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल होगा। केजरीवाल सरकार बेडे में ईवी को अनिवार्य करने के लिए एग्रीगेटर पॉलिसी को अधिसूचित करने वाली भारत की पहली सरकार बन गई है। पॉलिसी के मसौदे पर जनता को अपनी राय देने के लिए 60 दिनों का समय दिया गया है। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि यह पॉलिसी एग्रीगेटर उद्योग को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान करेगी। एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को अगले 3 महीनों में सभी नए दोपहिया वाहनों में से 10 फीसद और सभी नए चार पहिया वाहनों में से 5 फीसद इलेक्ट्रिक वाहनों के शामिल करना होंगा। इसके अलावा, इनको मार्च 2023 तक सभी नए दोपहिया वाहनों का 50 फीसद और सभी नए चार पहिया वाहनों में से 25 फीसद इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना होगा। दिल्ली सरकार, एनसीआर के अन्य राज्यों को भी इस पॉलिसी को अपनाने के लिए निर्देशित करने को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को रिप्रजेंटेशन देगी।
दिल्ली सरकार ने दिल्ली के वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और शुद्ध हवा प्राप्त करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत 14 जनवरी 2022 को एक मसौदा नीति अधिसूचित की है। इस पॉलिसी में सभी एग्रीगेटर और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को परिचालन के लिए अपने नए बेड़े में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए अनिवार्य किया गया है। दिल्ली राइड-हेलिंग उद्योग से वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एग्रीगेटर पॉलिसी अपनाने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है। राइड-हेलिंग सेवाओं के साथ-साथ डिलीवरी सेवा प्रदाताओं (जैसे, खाद्य वितरण, ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स प्रदाता, कोरियर) जैसे एग्रीगेटर्स ने दिल्ली में वाहनों के पैटर्न को बदल दिया है। इसमें कैब सबसे लोकप्रिय मॉडल रहा है। इसके बाद बसें, बाइक और ऑटो रिक्शा हैं, जिन्होंने पर्याप्त सवारियां हासिल की हैं और अपने कारोबार का विस्तार जारी रखा है।
इस पॉलिसी के अनुसार, एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवाओं को अगले 3 महीनों (अधिसूचना की तारीख से) में सभी नए ऑनबोर्ड दोपहिया वाहनों में से 10 फीसद और सभी नए ऑनबोर्ड चार पहिया वाहनों में से 5 फीसद वाहन इलेक्ट्रिक के सुनिश्चित करने होंगे। साथ ही, इन्हें मार्च 2023 तक सभी नए दोपहिया वाहनों में से 50 फीसद और सभी नए चार पहिया वाहनों में से 25 फीसद इलेक्ट्रिक दिल्ली शामिल करना होगा।
दिल्ली इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पॉलिसी 2020 द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार तैयार की गई यह एग्रीगेटर पॉलिसी समयबद्ध तरीके से राइड हेलिंग उद्योग को अपने वाहनों को ईवी में बदलना सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
दिल्ली में ही नहीं, बल्कि एनसीआर के बड़े क्षेत्र में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में यह पॉलिसी काफी प्रभावशाली साबित हो सकती है। इसलिए दिल्ली सरकार सीएक्यूएम को रिप्रजेंटेशन देगी, ताकि एनसीआर के अन्य राज्यों को भी परिचालन के बेड़े में इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल को लेकर एग्रीगेटर्स पॉलिसी को अपनाने के लिए निर्देशित किया जा सके, जो दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए उत्कृष्ट होगी।
वर्तमान में स्वीकृत मसौदा पॉलिसी को अब 60 दिनों की अवधि के भीतर आम जनता के सुझावों और आपत्तियों को आमंत्रित करते हुए सार्वजनिक डोमेन में रखा गया है, जिसके बाद इसे कार्यान्वयन के लिए अधिसूचित किया जाएगा।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण से निपटने के उपाय करने में हमेशा अग्रणी रही है। यह नई पॉलिसी अपनी तरह की पहली पॉलिसी होगी और एग्रीगेटर उद्योग को पर्यावरण के अनुकूल बनने के लिए जरूरी प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय की सलाहकार रीना गुप्ता ने नीति के मसौदे के बारे में बात करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तावित पॉलिसी का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि एग्रीगेटर्स और डिलीवरी सेवा प्रदाताओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों के पूरे स्पेक्ट्रम को बड़े पैमाने पर स्वच्छ वाहनों को अपनाने और दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर गंभीर चिंता को देखते हुए टिकाऊ, स्वच्छ और इलेक्ट्रिक गतिशीलता के रूप में लाया जाए।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार वाहनों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रभावी पहल कर रही है, जिसमें बेहतर यातायात प्रबंधन प्रणाली, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में वृद्धि, जन जागरूकता पैदा करना, मिलावट रोकने के लिए अभियान, नए और उपयोग में आने वाले वाहनों से होने वाले प्रदूषण को को रोकने के लिए कड़े मानदंडों को लागू करना, कुशल पीयूसीसी प्रणाली, वाहनों की तकनीक में सुधार, ईंधन की गुणवत्ता में सुधार और स्वच्छ वाहनों पर स्विच जैसे उपाय शामिल हैं।