केजरीवाल सरकार स्कूल वैक्सीनेशन में अव्वल, तीन हफ्ते से भी कम समय में 15 से 18 वर्ष के 85 फीसद स्टूडेंट्स का हुआ वैक्सीनेशन

दैनिक समाचार
  • कोरोना से बचाव का सबसे कारगर उपाय है वैक्सीनेशन, स्टूडेंट्स के वैक्सीनेशन के बाद पढ़ाई को ऑनलाइन से ऑफलाइन शिफ्ट करने में मिलेगी मदद- मनीष सिसोदिया
  • केजरीवाल सरकार के 300 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ने वाले 15-18 आयुवर्ग के 90 फीसद से अधिक स्टूडेंट्स को लग चुकी है वैक्सीन, 30 जनवरी तक 100 फीसद वैक्सीनेशन का लक्ष्य
  • प्राइवेट स्कूलों में कछुए की चाल से हो रहा वैक्सीनेशन, अभी तक केवल 42 फीसद पात्र स्टूडेंट्स को ही लगी है वैक्सीन

नई दिल्ली, 22 जनवरी, 2022

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और कोरोना से बचाव के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन अभियान चलाया गया है, जिसका नतीजा यह है कि 3 हफ्ते से भी कम समय में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 15-18 आयु वर्ग के लगभग 85 फीसद बच्चों को 21 जनवरी तक वैक्सीन लगाई जा चुकी है। शिक्षा निदेशालय ने 30 जनवरी तक 100 फीसदी वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा है जो पूरा होता दिख रहा है। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि वैक्सीनेशन कोरोना से बचाव का सबसे कारगर उपाय है। इसलिए यह बेहद जरुरी है कि जो भी स्टूडेंट्स वैक्सीनेशन के लिए एलिजिबल है, वे टीकाकरण अवश्य करवाएं। उन्होंने साझा किया दिल्ली के 15 में से 12 एजुकेशन डिस्ट्रिक्ट के सरकारी स्कूलों में 85 फीसद बच्चों को टीके लग चुके हैं और लगभग 300 स्कूल ऐसे हैं, जहां 90 फीसद एलिजिबल बच्चों को टीका लग चुका है।

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि वैक्सीनेशन को लेकर सरकारी स्कूलों में जिस गति से काम हो रहा है, वो वाकई में काबिले तारीफ़ है।कोरोना के इस मुश्किल हालात में हमारे शिक्षक बच्चों की पढ़ाई से लेकर उनके वैक्सीनेशन तक और बाकी अन्य कार्यों में भी मोर्चा संभाले नज़र आए हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन हमें पढ़ाई को ऑनलाइन से ऑफ लाइन शिफ्ट करने में मदद करेगा। अब जहां कोरोना के मामले कम हो रहे हैं और बड़ी क्लासों के ज्यादातर बच्चों को वैक्सीन लग चुकी है, तो इस स्थिति में डीडीएमए के समक्ष स्कूलों को दोबारा खोलने का प्रस्ताव रखा जा सकता है।

एक ओर जहां सरकारी स्कूल वैक्सीनेशन के अपने लक्ष्य को पूरा करने की तरफ बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्कूलों में कछुए की चाल से टीकाकरण हो रहा है। प्राइवेट स्कूलों में 21 जनवरी तक मात्र 42 फीसद एलिजिबल स्टूडेंट्स का टीकाकरण हुआ है। पूर्वी जिले को छोड़ दें, तो बाकी सभी जिलों में प्राइवेट स्कूलों के टीकाकरण का कुल आंकड़ा 50 फीसद तक भी नहीं पहुँच पाया है। प्राइवेट स्कूलों में टीकाकरण के लिए लगभग 3.5 लाख एलिजिबल स्टूडेंट्स हैं, लेकिन अभी लगभग 2 लाख स्टूडेंट्स को टीका नहीं लगा है। टीकाकरण के मामलें में एडेड स्कूलों के आंकड़े भी कुछ खास नहीं हैं। यहां भी अबतक कुल एलिजिबल स्टूडेंट्स में केवल 57 फीसद को ही वैक्सीन लगी है।

उल्लेखनीय है कि 15-18 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन 3 जनवरी से शुरू हो गई थी। केजरीवाल सरकार ने इन बच्चों की वैक्सीनेशन के लिए युद्ध स्तर तैयारियां शुरू कर दी थी। दिल्ली सरकार के हर स्कूल में वैक्सीनेशन के लिए नोडल इंचार्ज नियुक्त किया गया था।| साथ-साथ सभी कक्षाध्यापकों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी थी कि वे बच्चों व उनके पेरेंट्स को वैक्सीनेशन साईट की जानकारी दें। सरकार द्वारा इन बच्चों के टीकाकरण के लिए 150 से अधिक वैक्सीनेशन साइट्स निर्धारित किए गए थे। साथ ही सरकारी स्कूलों में शुरू किए गए 20 स्कूल हेल्थ क्लीनिकों को भी टीकाकरण केंद्र बनाया गया था।

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