पंजाब में AAP रेस में सभी दलों के मुकाबले आज बहुत आगे है और साथ ही उत्तराखंड में भी जबरदस्त बराबरी की टक्कर दे रही है। जिस प्रकार कांग्रेस या भाजपा में रोज ही आंतरिक सरफुटौवल की जानकारियां छन छनकर बाहर आ रही है, अगर ऐसा ही कुछ समय और चलता रहा, तो इन दोनों ही राज्यों के नतीजे दिल्ली के पिछले दो नतीजों के ही सामान भी हो सकते हैं, क्योकि हर सर्वे, हर आंकलन, हर समीक्षा, ओपिनियन पोल या कोई भी महापोल, सतह के ऊपर दिखने वाले उलटफेर या संवाद तक पर ही निर्भर (बेस्ड) और सीमित होता है और किसी भी अंडरकरेंट को नही नापता, न जनमन में चल रहे बदलाव की लहर या “परिवर्तन” की बयार को ही समझता है। ये बात दिल्ली के पिछले दो चुनावी नतीजे और हाल के बंगाल चुनाव नतीजे साबित भी करते हैं।
बाकी पंजाब के नतीजों में एक बात तो साफ है कि जिस प्रकार AAP ने दिल्ली में कांग्रेस को 00 पर पहुंचाया, उसी प्रकार पंजाब में इस बार BJP का 00 तक का सफर तय है। अगर एक नम्बर जीत कर आ भी गया तो बंगाल की तरह उनका भी शीघ्र ही अकाली दल में विलय तय है, क्योंंकि इस पर अकाली दल की अभी से ही पैनी नजर लगी हुई है।
मतदान के दिन मतदाता प्रत्याशियों को तय करेंगे, लेकिन उनके मन टटोलने पर पता चलता है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी सभी पर अपनी बढ़त बना ली है।
उत्तराखंड में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सीधी टक्कर दिखाई दे रही है, जनता भी बदलाव चाहती है। इसलिए यह माना जा सकता है कि इस राज्य में भाजपा तीसरे स्थान पर खिसक चुकी है।
कमोबेश यही हाल गोआ में भी देखने को मिल रहा है। यहां पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में कांटे की लड़ाई चल रही है।
-अनुराग बक्षी