इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईसीईए के साथ मिलकर आज इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए 5 साल का रोडमैप और विजन दस्तावेज जारी किया, जिसका शीर्षक है “2026 तक 300 बिलियन अमरीकी डॉलर का सतत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और निर्यात।”यह रोडमैप दो-भाग वाले विजन दस्तावेज़ का दूसरा खंड है – जिसका पहला खंड “भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात और जीवीसी में हिस्सेदारी बढ़ाना”शीर्षक के रूप में नवंबर 2021 में जारी किया गया था।
यह रिपोर्ट विभिन्न उत्पादों के लिए वर्ष-वार विवरण और उत्पादन के बारे में अनुमान प्रस्तुत करती है, जो भारत के वर्तमान 75 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 300 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पावरहाउस के रूप में बदलाव का मार्ग प्रशस्त करेगी। मोबाइल फोन, आईटी हार्डवेयर (लैपटॉप, टैबलेट), कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स (टीवी और ऑडियो), औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक पुर्जा, एलईडी लाइटिंग, स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स, पीसीबीए, पहनने योग्य और सुनने योग्यतथा दूरसंचार उपकरण उन प्रमुख उत्पादों में शामिल हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र में भारत की प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं (चार्ट देखें)। मोबाइल क्षेत्र का विनिर्माण मौजूदा 30 बिलियन अमरीकी डालर से बढ़कर 100 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य के वार्षिक उत्पादन से अधिक होने की संभावना है और इस महत्वाकांक्षी प्रगति में इसकी हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत होने की उम्मीद है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने उल्लेखनीय गति से दस्तावेजों और नीति से संबंधित सामग्रियों कोतैयार करने के प्रयासों के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पूरी टीम को बधाई दी और सराहना की। कार्यक्रम के दौरान, श्री वैष्णव ने हाल ही में उनके साथ बातचीत के दौरान उद्योग जगत के नेताओं द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों का भी समाधान किया। मोबाइल निर्माण में दोहरे नियमों के मुद्दे पर उद्योग की आशंकाओं का समाधान करते हुएश्री वैष्णव ने कहा कि दूरसंचार विभाग मोबाइल निर्माण में प्रवेश नहीं करने जा रहा है और मोबाइल निर्माण नियामक व्यवस्था समान रहेगी।
इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि मंत्रालय विश्व आर्थिक मंच में प्रधानमंत्री के हाल के वक्तव्य के अनुरूप भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को व्यापक और सघन करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जहां उन्होंने कहा कि भारत मूल्य श्रृंखलाओं में एक विश्वसनीय और भरोसेमंद भागीदार के रूप में उभर रहा है।
आज जारी किए गए विजन डॉक्यूमेंट के खंड-2 के उद्देश्य के बारे में श्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “नए बाज़ार, नए ग्राहक और ग्लोबल वैल्यू चेन (जीवीसी) में एक भागीदार के रूप में स्थापित होना दूसरे चरण का लक्ष्य और मिशन है। इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पर पहले खंड के साथ-साथ यह वॉल्यूम, सरकार और उद्योग के बीच गहन जुड़ाव के बाद लक्ष्य निर्धारण, विस्तृत रणनीति तैयार करने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने कहा कि विजन डॉक्यूमेंट के दूसरे खंड में किए गए उल्लेख से इस बात की पुष्टि होती है कि 2 कारकों – डिजिटल खपत में वृद्धि और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का विकास तथा विविधीकरण द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में एक वास्तविक अवसर है।
अगले 5 वर्षों में घरेलू बाजार के 65 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 180 अरब अमरीकी डॉलर होने की संभावना है। इससे 2026 तक भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को 2-3 शीर्ष रैंकिंग निर्यातों में स्थान मिल जाएगा। 300 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य के निर्यात में, 2021-22 के अनुमानित 15 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2026 तक इसकी हिस्सेदारी 120 बिलियन अमरीकी डॉलर हो जाएगी।
“ऑल ऑफ द गवर्नमेंट”के दृष्टिकोण के आधार पर, 300 बिलियन अमरीकी डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पांच हिस्सों की रणनीति, भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण को व्यापक औरसघन करने पर केंद्रित है। इससे भारत में वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता/ब्रांड आकर्षित होंगे तथा प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उत्पादन में वृद्धि होगी, सब-असेंबली तथा कंपोनेंट इको-सिस्टम के रूप में विकास और बदलाव होगा, एक डिजाइन इको-सिस्टम का निर्माण होगा, भारतीय चैंपियन का पोषण होगा और देश के सामने लागत को पूरा करने की समस्या निरंतर दूर होगी।
300 बिलियन अमरीकी डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इको-सिस्टम पर जोर देने के लिए सरकार द्वारा घोषित 10 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य की पीएलआई योजना से जुड़ा है। सरकार ने अगले 6 वर्षों में चार पीएलआई योजनाओं – सेमीकंडक्टर और डिजाइन, स्मार्टफोन, आईटी हार्डवेयर और कल-पुर्जों में लगभग 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रावधान किया है। विजन दस्तावेज़ इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में कुल घरेलू मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर देता है, क्योंकि भारत अपनी मौजूदा स्थिति में बदलाव के बाद चीन और वियतनाम से प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है। यह वैश्विक कंपनियों के अलावा भारतीय चैंपियन की महत्वपूर्ण भूमिका के महत्व का भी संकेत देता है। दोनों पहले से ही पीएलआई योजनाओं का हिस्सा हैं।
रिपोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर एक प्रतिस्पर्धी टैरिफ संरचना और भारत को 300 बिलियन अमरीकी डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के मार्ग पर लाने के लिए सभी नियामक संबंधी अनिश्चितताओं को दूर करने की मांग की गई है। रिपोर्ट में अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने, कुछ क्षेत्रों के लिए नई और संशोधित प्रोत्साहन योजनाओं के साथ-साथ टिकाऊपन और व्यापार संबंधी सुगमता के मुद्दों के समाधान की आवश्यकता पर जोर देने की रणनीति “विनर टेक्स ऑल” की सिफारिश की गई है।
चार्ट: 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के विनिर्माण का रोडमैप
उत्पाद श्रेणी | 2020-21(बिलियन अमरीकी डॉलर) | 2025-26(बिलियन अमरीकी डॉलर) |
मोबाइल फोन | 30 | 126.9 |
आईटी हार्डवेयर (लैपटॉप, टेबलेट) | 3 | 25.4 |
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स (टीवी एवं ऑडियो) | 9.5 | 23.1 |
स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स | 4 | 11.5 |
औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स | 10.5 | 25.4 |
पहनने योग्य और सुनने योग्य | – | 8.1 |
पीसीबीए | 0.5 | 11.5 |
ऑटो इलेक्ट्रॉनिक्स | 6 | 23.1 |
एलइडी लाइटिंग | 2.2 | 16.2 |
टेलीकॉम उपकरण | – | 11.5 |
इलेक्ट्रॉनिक पुर्जा | 9 | 17.3 |
कुल | 74.7 | 300.0 |
विजन डॉक्यूमेंट – खंड 2 “2026 तक 300 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और निर्यात”
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