- साउथ एमसीडी की स्थाई समिति का प्रस्ताव, दिल्ली विधानसभा की अवमानना- सौरभ भारद्वाज
- विधानसभा में एमसीडी से पूछा गया कि क्या दिल्ली भाजपा के होर्डिंग्स का किराया लिया जाता है, निगम के कमिश्नर ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है- सौरभ भारद्वाज
- यदि भाजपा ने दिल्ली भर में होर्डिंग लगाने के करोड़ों रुपयों का किराया निगम को दिया है तो वह बताए कि कितना पैसा दिया है- सौरभ भारद्वाज
- भाजपा अपने हार्डिंग्स मुफ्त में लगवाती है, इसलिए जहां से निगम को राजस्व आ सकता है वह नहीं आता जिसके कारण एमसीडी कंगाल रहती है- सौरभ भारद्वाज
- दिल्ली में एक होर्डिंग की साइट का किराया 1-1.5 लाख रुपए महीना है, इस अनुसार प्रति वर्ष एक होर्डिंग का किराया 2680 करोड़ रुपया बनता है- सौरभ भारद्वाज
नई दिल्ली, 29 जनवरी 2022
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा पूरी दिल्ली में मुफ्त में होर्डिंग्स लगा रही है, एमसीडी को करोड़ों का किराया नहीं दिया है। इसलिए जहां से निगम को राजस्व आ सकता है वह नहीं आता जिसके कारण एमसीडी कंगाल रहती है। दिल्ली में एक होर्डिंग की साइट का किराया 1-1.5 लाख रुपए महीना है, इस अनुसार प्रति वर्ष एक होर्डिंग का किराया 2680 करोड़ रुपया बनता है, जो निगम को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा में एमसीडी से पूछा गया कि क्या दिल्ली भाजपा के होर्डिंग्स का किराया लिया जाता है, तो निगम के कमिश्नर ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। उल्टा कल साउथ एमसीडी की स्थाई समिति की बैठक में एक प्रस्ताव लगाया गया कि दिल्ली विधानसभा को किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया जाए, यानी चोर की दाढ़ी में तिनका है। यदि भाजपा ने दिल्ली भर में होर्डिंग लगाने के करोड़ों रुपयों का किराया निगम को दिया है तो वह बताए कि कितना पैसा दिया है।
आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और ग्रेटर कैलाश से विधायक सौरभ भारद्वाज ने शनिवार को एक प्रेसवार्ता को संबोधित किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आज की यह प्रेसवार्ता दोबारा से दिल्ली नगर निगम के बारे मंग है। यदि आप थोड़ी देर भी दिल्ली में घूमें तो आपको सकड़ों पर, निगम के शौचालयों पर और गलियों में भाजपा के पार्षदों, उसके मेयरों और नेताओं के राजनीतिक होर्डिंग लगे मिलते हैं। यह तो सबको ही मालूम है। 4 जनवरी 2022 को दिल्ली विधानसभा में एक विधायक ने प्रश्न लगाया कि दिल्ली में एक राजनीतिक दल द्वारा गैर-आवंटित साइट्स पर जैसे कि शौचालय, गलियां आदि पर जो अपने विज्ञापन लगा रखे हैं, क्या इसका किराया निगम को दिया जाता है? और यदि दिया जाता है तो दिल्ली नगर निगम को कितना किराया मिला? अगर किराया नहीं दिया जाता है तो क्या उस राजनीति दल पर कोई कार्रवाई की गई है?
तीनों निगमों के कमिश्नर ने यह जवाब दिया कि हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है। इसका मतलब यह है कि पूरी दिल्ली में भाजपा के होर्डिंग्स लगे हुए हैं और आज से नहीं पिछले 5 सालों से लगे हुए हैं। चाहे वह प्रधानमंत्री के होर्डिंग्स हों, दिल्ली भाजपा के मेयरों के होर्डिंग्स हों, भाजपा के पार्षदों या नेताओं के होर्डिंग्स हों, उनके होर्डिंग्स से पूरी दिल्ली पटी रहती है। दिल्ली में एक-एक होर्डिंग की साइट का किराया 1-1.5 लाख रुपए महीना है। एक साधारण सा सवाल पूछा गया कि क्या इसका किराया लिया जाता है तो कमिश्नर ने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है।
लिहाजा दिल्ली विधानसभा में सांसद की तरह अगर संसद में कोई सवाल नहीं आता है तो उसपर कार्रवाई की जाती है। उसी प्रकार से अगर किसी सवाल का जवाब गलत दिया जाता है तो यह सीधा-सीधा दिल्ली विधानसभा के विशेष अधिकार का हनन है। दिल्ली विधानसभाकी अवमानना का मामला चलता है। इसी सिलसिले में यह प्रश्न दिल्ली की विशेष अधिकार समिति को हाउस की रेजुलेशन द्वारा दिया गया। आज कई अखबारों में यह खबर छपी है कि कल दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने अपनी स्थाई समिति में यह प्रस्ताव पारित किया है कि दिल्ली विधानसभा को किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया जाए। इसका मतलब चोर की दाढ़ी में तिनका। इसका मतलब यह है कि भाजपा ने करोड़ों रुपयों की लूट की है।
होर्डिंग्स के एक साल के किराए के आंकड़े बताते हुए सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मैंने आपको बताया था कि दिल्ली में 1100 मीटर की पीडब्ल्यूडी की सड़क है। और अगर आप दोनों ओर की सड़कों को देखेंगे तो करीब 2200 मीटर का क्षेत्र है जहां पर होर्डिंग्स लगते हैं। साधारण तौर पर मान लें की 2 किलोमीटर में अगर 5 होर्डिंग्स भी लगते हैं, तो एक होर्डिंग का महीने का किराया यदि एक लाख रुपया भी आता है, तो एक साल का करीब-करीब 2680 करोड़ रुपया बनता है, जो नगर निगमों के पास आना चाहिए। क्या निगमों को हर साल 2680 करोड़ रुपए मिलते हैं? यह हज़ारों करोड़ों रुपयों की जो लूट है वह कौन कर रहा है? क्या यह भाजपा द्वारा की जा रही है? भाजपा अपने हार्डिंग्स मुफ्त में लगवाती है, भाजपा के नेता अपने हार्डिंग्स मुफ्त में लगवाते हैं। मुफ्त में लगवाने के कारण, जहां से निगम को राजस्व आ सकता है वह पैसा वहां से नहीं आता है। इसलिए एमसीडी कंगाल रहती है।
यह सवाल अगर भाजपा शासित एमसीडी से पूछा गया है तो क्या यह सवाल गलत है? मैं दिल्ली वालों से पूछना चाहूंगा कि क्या दिल्ली में हर जगह पेड होर्डिंग्स, जिसका किराया 1-1.5 लाख रुपया है, क्या वह भाजपा के नेताओं के लगे हुए हैं? क्या कमिश्नर को अभी तक यह होर्डिंग्स नहीं दिखे, जिसका जवाब उन्होंने दिया कि हमें जानकारी नहीं है। तो सीधा-सीधा वह भ्रष्टाचार को छुपाने का एक तरीका है और आज भाजपा की एमसीडी इसी कारण एक्सपोज हो गई है क्योंकि वह जानकारी दिल्ली के लोगों और दिल्ली विधानसभा से छुपा रहे हैं। चौर की दाढ़ी में तिनका है। उल्टा अफसरों से कहा जा रहा है कि आप दिल्ली विधानसभा को कोई जानकारी न दें। यह आज की प्रेसवार्ता थी, हम भाजपा से जानना चाहेंगे कि आपके मन में ऐसा कौन सा चौर है, ऐसी क्या चोरी आपने की है, जो आप जानकारी छुपा रहे हैं। अगर आपने दिल्ली भर में होर्डिंग लगाने के करोड़ों रुपयों का किराया दिया है तो आप दिखाएं। सवाल का जवाब दें। बताएं कि दिल्ली निगम को भाजपा ने होर्डिंग्स का कितना पैसा दिया है। दिल्ली भाजपा के पार्षदों ने एमसीडी को कितना पैसा दिया जिसके कारण उनके होर्डिंग्स लगे।