- 50-60 करोड़ की सरकारी ज़मीन पति के नाम कर दी, यह कोई छोटी बात नहीं है- दुर्गेश पाठक
- एमसीडी में शासित भाजपा दिल्ली की सभी जमीनें अपने ही नेताओं को दे रही है, इससे अनैतिक कुछ नहीं- दुर्गेश पाठक
- प्रस्ताव को पास हुए 45 दिन हो गए, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता बताएं अबतक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई- दुर्गेश पाठक
- अगले 24 घंटों में आदेश गुप्ता ने कोई कार्रवाई नहीं की तो साबित हो जाएगा कि भाजपा का पूरा कुनबा इस भ्रष्टाचार में शामिल है- दुर्गेश पाठक
नई दिल्ली: 31 जनवरी 2022
आम आदमी पार्टी ने कल भाजपा शासित एमसीडी की पार्षदा मंजू खंडेलवाल पर सरकारी ज़मीन पति के एनजीओ के नाम करने का आरोप लगाया था। जिसपर पार्षदा ने जवाब दिया कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। ‘आप’ एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि 50-60 करोड़ की ज़मीन अपने पति के नाम कर देना कोई छोटी बात नहीं है। ऊपर से यह कहना कि इसमें कुछ गलत नहीं है, यह तो और बेशर्मी की बात हो गई। एमसीडी में शासित भाजपा दिल्ली की सभी जमीनें अपने ही नेताओं को दे रही है, इससे अनैतिक कुछ नहीं है। दुर्गेश पाठक ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से पूछा कि प्रस्ताव को पास हुए 45 दिन हो गए, अबतक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? साथ ही उन्होंने कहा कि यदि अगले 24 घंटों में कोई कार्रवाई नहीं की तो साबित हो जाएगा कि भाजपा का पूरा कुनबा इस भ्रष्टाचार में शामिल है।
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने सोमवार को एक डिजिटल प्रेस वार्ता को संबोधित किया। दुर्गेश पाठक ने कहा कि कल हमने आपको कुछ सबूतों के माध्यम से दिखाया था कि किस तरह से बीजेपी दिल्ली की ज़मीनों पर कब्जा कर रही है, दिल्ली की ज़मीनों को बेच रही है और दिल्ली वालों की ज़मीनों को अपनी ही पार्टी के नेताओं को बेच रही है। हमने कल आपको कुछ दस्तावेज दिखाए, जिसमें केशवपुरम जोन से बीजेपी की पार्षदा मंजू खंडेलवाल ने पूरी ज़मीन अपने ही पति को दे दी। खास बात यह है कि उसमें पता भी उन्हीं के घर का है। पहले अपने पति के नाम से एक एनजीओ बनवाया फिर वह ज़मीन उस एनजीओ के नाम कर दी। अपने पति को कह दिया कि अबसे इस ज़मीन पर जो भी करना है, करें। जो भी पैसा कमाना है, कमाएं।
इस ज़मीन की मार्केट वैल्यू 50-60 करोड़ रुपए है। मतलब दिल्ली वालों के 50-60 करोड़ रुपए पार्षदा महोदया ने अपने पति को दे दी। मुझे लगता था कि राजनीति में थोड़ी तो नैतिकता होती थी, मुझे लगता है इन्होंने वह भी बेच खाई है। हैरानी की बात यह है कि आज के अखबार में मंजू खंडेलवाल का जवाब आया है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। मैंने अपने पति को ज़मीन दे दिया तो क्या हुआ, बहुत सारे पार्षद अपने परिवार जनों को दे देते हैं। तो भाजपा के शासन में एक प्रकार से नक्सलवाद चल रहा है।
मैंने कल बताया कि पिछले 5-6 महीनों में भाजपा शासित एमसीडी ने बहुत सारी ज़मीनें बेच दीं। इसमें चांदनी चौक की गांधी मैदान पार्किंग, पीतमपुरा की शिवा मार्केट पार्किंग, सदर बाज़ार की कुतुब रोड पार्किंग, नॉवल्टी सिनेमा, आज़ादपुर स्थित नानीवाला बाग, मोती नगर शॉपिंग कॉमप्लेक्स, डिलाइट सिनेमा के पास 22 दुकानें, संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर के 132 प्लॉट्स, करोल बाग में 5 पार्किंग और शॉपिंग कॉमप्लेक्स, शालीमार बाग का स्कूल, करोलबाग का स्कूल, एक कोचिंग सेंटर, एक हाउनहॉल, एक हेल्थ सेंटर, अस्पतलों की पार्किंग, आरबीटीबी अस्पताल आदि शामिल हैं। इस प्रकार से भाजपा लगभग 100 ज़मीनें, जिनकी मार्केट वैल्यू करोड़ों में होगी, उनको बेचने का प्रस्ताव लेकर लाए। लेकिन बेचने की जो प्रक्रिया है, वह बड़ी दिलचस्प है। वह कहते हैं कि यह ज़मीनें हम किसी एनजीओ को दे रहे हैं। असल में वह एनजीओ प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से उनके ही किसी नेता का होता है। इस माध्यम से ज़मीनों पर कब्जा करने का काम किया जा रहा है।
कुछ दस्तावेज पेश करते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि यह पत्र 16 दिसंबर 2021 को लिखा गया है। मतलब इस प्रस्ताव को पास हुए लगभग 45 दिन हो चुके हैं। एमसीडी के असिस्टेंट कमिश्नर ने इस प्रस्ताव का फैसला सुनाया था। मैं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता से पूछना चाहूंगा कि 45 दिन हो गए, आपकी पार्षदा अपने ही पति को ज़मीन दे रही है, आपको नहीं लगता कि आपको शर्म आनी चाहिए? आपको नहीं लगता है कि नैतिकता के आधार पर इससे घटिया कुछ नहीं हो सकता है कि पार्षदा अपने ही पति को ज़मीन दे रही है। आपको नहीं लगता है कि यह गलत है? मैं भाजपा के अन्य नेताओं से पूछना चाहूंगा जो हाल ही में रामलला के नाम पर पैसा चोरी कर रहे थे तो उनके लिए क्या नैतिक और क्या अनैतिक! लेकिन फिर भी मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या आपको नहीं लगता कि यह नैतिकता के खिलाफ काम हो रहा है? आपको लोगों के शासन में हो रही है, दिल्ली एमसीडी में आप काबिज हैं और आप लोगों की देखरेख में यह सारी चीजें हो रही हैं।
मुझे तो यह लगता है कि यह एक प्रकार से नक्सलवाद है, जो दिल्ली की ज़मीनों को बेचकर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा के नेताओं को देने का कार्यक्रम चल रहा है। मैं पूरी जिम्मेदारी से कह सकता हूं कि ऐसा हो ही नहीं सकता है कि असिस्टेंट कमिश्नर से बिना आप लोगों की राय लिए ही फैसला ले लिया हो। जाहिर है कि यह भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की जानकारी में है। आदेश गुप्ता जी बताएं कि दिल्ली को बेचने की यह जो कार्यवाही चल रही है, क्या यह सबकुछ आपकी देखरेख में हो रहा है? क्योंकि 45 दिन हो गए हैं लेकिन आपने अबतक कोई कार्रवाई की नहीं है।
दिल्ली की ज़मीनें बेची जा रही हैं लेकिन आपका कोई प्रेस स्टेटमेंट नहीं आता है। दिल्ली की ज़मीनों को औने-पौने दामों पर बेचा जा रहा है, आपकी तरफ से कोई कदम नहीं उठाया जाता है। नॉवल्टी सिनेमा बेच दिया गया, आप कोई जवाब नहीं देते हैं। अगर इसकी जांच हो तो हर प्रॉजेक्ट में भाजपा के नेता प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। यह तो ज्यादा लालच हो गया कि अपने ही लोगों को ज़मीनें बांट देते हैं। पार्षदा ने सोचा होगा कि अगली बार टिकल मिले न मिले, हार-जीत का भी कुछ पता नहीं तो अपने ही पति को यह ज़मीन दे देती हूं। कम से कम ज़मीन अपने नाम रहेगी तो उसके जरिए बाद में पैसा खाया जा सकता है।
मैं आदेश गुप्ता से बहुत ही विनम्रता से पूछना चाहता हूं कि पिछले 45 दिनों में इसपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या आप इसपर कोई कार्रवाई करेंगें कि नहीं? हमने कल भी प्रेसवार्ता की थी और 24 घंटों बाद भी आपने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अगर आप फिर से अगले 24 घंटों में कोई कार्रवाई नहीं करते हैं तो दिल्ली की जनता यह मानेन को विवश हो जाएगी कि आप और आपकी भाजपा का पूरा का पूरा जो कुनबा है, सभी लोग मिलकर इस भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।