- परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कुशक नाला डिपो में डिम्ट्स की ओर से सीएसआर के तहत फंडेड हाइड्रोपोनिक्स बागवानी एवं प्रशिक्षण सुविधा केंद्र का किया निरीक्षण
- कम होते भूमि क्षेत्र और प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए दिल्ली सरकार की यह एक महत्वपूर्ण और अनूठी पहल है, इससे मौजूदा संसाधनों का सही उपयोग संभव हो पाएगा – कैलाश गहलोत
- हम पर्यावरण को कम से कम नुकसान सुनिश्चित करने और स्मार्ट खेती के तरीकों को अपनाने सहित अपने संसाधनों को संरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं- कैलाश गहलोत
- इसके जरिए हम विशेष रूप से महिलाओं और विकलांगों को न केवल प्रौद्योगिकी के बारे में प्रशिक्षित कर रहे हैं, बल्कि सॉफ्ट स्किल और मार्केटिंग कौशल की भी ट्रेनिंग दे रहे हैं – कैलाश गहलोत
- यह फसलें महिलाओं को आजीविका प्रदान करेंगी और वे अपने घरों के आसपास भी छोटे स्तर पर इस तकनीक को अपना सकती हैं- कैलाश गहलोत
नई दिल्ली, 04 फरवरी, 2022
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने आज परिवहन विभाग द्वारा कुशक नाला क्लस्टर बस डिपो में विकसित हाइड्रोपोनिक्स बागवानी और प्रशिक्षण सुविधा का दौरा किया। इस दौरान, मंत्री ने इस सुविधा केंद्र में प्रशिक्षित महिलाओं के पहले बैच को प्रमाण पत्र भी वितरित किए। इस सुविधा केंद्र में प्रशिक्षण, उत्पादन और कटाई केंद्र शामिल है। यहाँ ट्रेनिंग मिलने के बाद इस तरह की फसलों के व्यावसायिक उपयोग से महिलाएं आजीविका कमा सकती हैं। यह महिलाओं और विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के लिए रोजगार विकसित करने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।
हाइड्रोपोनिक्स एक प्रकार की बागवानी/खेती है, जिसमें खनिज या पोषक तत्वों के घोल का उपयोग करके बिना मिट्टी के पौधे उगाना शामिल है। हाइड्रोपोनिक्स के कई फायदे हैं । इस प्रकार की कृषि में पानी का न्यूनतम प्रयोग होता है। साथ ही न्यूनतम स्थान की आवश्यकता होती है। उक्त सुविधा को वित्तीय वर्ष 2020-2021 के दौरान कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के रूप में स्वीकृत किया गया था, जिसे सीएसआर योजना के तहत डिम्ट्स द्वारा फंडेड किया गया है।
कुशक नाला डिपो में हाइड्रोपोनिक्स बागवानी और प्रशिक्षण सुविधा की विशेषताएं:
महिला उद्यमियों को संपूर्ण रोजगार प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण सुविधा
प्रशिक्षण 8 सप्ताह (नवंबर 2021- दिसंबर 2021) की अवधि के लिए था, जहां 20 लड़कियों/महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया था। इस बैच में 18 साल से 50 साल तक की लड़कियां शामिल थी। प्रशिक्षण के दौरान सॉफ्ट स्किल्स और मार्केटिंग स्किल्स के साथ-साथ महिला प्रशिक्षुओं को हाइड्रोपोनिक तकनीक की विभिन्न तकनीकों और वर्टिकल को पढ़ाया गया।
उत्पादन और कटाई
साईं स्वयं सोसाइटी जो कि एक पंजीकृत एनजीओ है। उसने यहाँ सभी पत्तेदार सब्जियों जैसे आइसबर्ग लेट्यूस, बोकचोय, अजमोद, रॉकेट लीफ आदि की खेती शुरू कर दी है और इससे कुल 200 किलोग्राम की फसल मिलने की उम्मीद है।
रोजगार सृजन
एनजीओ उस परियोजना पर भी काम कर रही है, जिसके अंतर्गत दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा एक अनूठी पहल के तहत फरवरी में आयोजित किए जाने वाले आवश्यक प्रशिक्षण के बाद 60 फीसद प्रशिक्षुओं को हाइड्रोपोनिक प्रशिक्षकों के रूप में नियोजित किया जाएगा। एनजीओ ने एफएसएसएआई प्रमाणीकरण के लिए आवेदन किया है, जो अभी प्रक्रिया में है। जिसके बाद इन फसलों को व्यावसायिक रूप से भी बेचा जा सकेगा। भारतीय कृषि कौशल परिषद (एएससीआई) के साथ संबद्धता की प्रक्रिया भी अभी चल रही है, जिसके बाद प्रशिक्षुओं को एएससीआई सर्टिफिकेशन भी प्रदान किया जा सकेगा जो पूरे दिल्ली एनसीआर में अद्वितीय होगा।
नीतिक्षण के दौरान मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि कम होते भूमि क्षेत्र और प्राकृतिक संसाधनों को देखते हुए दिल्ली सरकार की यह एक महत्वपूर्ण और अनूठी पहल है। इसके द्वारा मौजूदा संसाधनों का सही उपयोग संभव हो पायेगा। हम पर्यावरण को कम से कम नुकसान सुनिश्चित करने और स्मार्ट खेती के तरीकों को अपनाने सहित अपने संसाधनों को संरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसके ज़रिए हम विशेष रूप से महिलाओं और विकलांगों को न केवल प्रौद्योगिकी के बारे में प्रशिक्षित कर रहे हैं, बल्कि सॉफ्ट स्किल और मार्केटिंग कौशल की भी ट्रेनिंग दे रहे हैं। ये फसलें महिलाओं को आजीविका प्रदान करेंगी, जो अपने घरों के आस-पास भी छोटे पैमाने पर इस तकनीक को अपना सकती हैं।