मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था, उन्होंने 49 किग्रा वर्ग में यह मेडल जीता. यह भारतीय वेटलिफ्टिंग इतिहास में ओलंपिक में भारत का दूसरा पदक है. भारत ने इससे पहले सिडनी ओलंपिक (2000) में वेटलिफ्टिंग में पदक जीता था. यह पदक कर्णम मल्लेश्वरी ने दिलाया था. मीराबाई चानू पहली भारतीय वेटलिफ्टर हैं, जिन्होंने ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने का कारनामा किया है.
मीराबाई ने स्नैच में अपने पहले प्रयास में ही 84 किलो और दूसरे में 87 किलो वजन उठाया था. हालांकि, तीसरे प्रयास में वो 89 किलो वजन उठाने में नाकाम रहीं. वो स्नैच राउंड में दूसरे स्थान पर रहीं. इसके बाद क्लीन एंड जर्क के अपने दूसरे प्रयास में मीराबाई चानू ने 115 किग्रा वजन उठाकर नया ओलंपिक रिकॉर्ड कायम किया लेकिन चीन की होऊ झीहुई ने अगले ही प्रयास में 116 किलो वजन उठाकर ये रिकॉर्ड भी अपने नाम किया. चानू ने इसके बाद चीन की वेटलिफ्टर को पछाड़ने के लिए 117 किलो वजन उठाने की कोशिश की लेकिन वो इसमें नाकाम रही.
मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने का वादा किया था. मीराबाई चानू ने कहा था कि रियो ओलंपिक में उनका खराब प्रदर्शन वो भूल चुकी हैं. मीराबाई ने बताया कि वो स्टेडियम से अपने कमरे तक रोते हुए गई थीं. लेकिन टोक्यो ओलंपिक के लिए मीराबाई ने जमकर मेहनत की और इसका नतीजा सबके सामने है.
वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में सिल्वर मेडल जीतकर देश को मुस्कुराने और गर्व करने का मौका दिया. इस ऐतिहासिक सफलता के बाद उन्होंने पिज्जा खाने की ख्वाहिश जताई थी. उन्होंने कहा था कि ओलंपिक के लिए मैंने बहुत त्याग किया और पिज्जा को हाथ तक नहीं लगाया. मैं सिर्फ सादा खाना खा रही थी. लेकिन अब मेरा सपना पूरा हो गया तो मैं पिज्जा खाना चाहती हूं. देश की बेटी की यह ख्वाहिश अब जिंदगी भर पूरी होती रहेगी. क्योंकि डोमिनोज ने उन्हें लाइफटाइम तक पिज्जा देने की घोषणा की है. अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए डॉमिनोज ने लिखा कि उन्होंने कहा और हमने इसे सुन लिया. हम कभी नहीं चाहते कि मीराबाई चानू को पिज्जा खाने के लिए इंतजार करना पड़े. इसलिए हम उन्हें जीवन भर के लिए मुफ़्त पिज्जा दे रहे हैं.