द्वारा : जसविंदर सिंह
भोपाल, 5 मार्च। सरकारी खरीद केन्द्रों पर अगले महीने से गेहूं की खरीदी शुरू हो रही है और प्रदेश सरकार ने इस बार खरीदी में किसानों के 256 करोड़ रुपए एक निजी कंपनी की तिजोरी में डालने की व्यवस्था कर दी है। यह गेहूं की ग्रेडिँग और गुणवत्ता के बहाने किसानों को लूटने की साजिश का हिस्सा है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि मंडी व्यवस्था और उसके बाद गोदामों में होने वाले सारे भ्रष्टाचार का दोष भी किसानों के मत्थे मड़ कर किसानों की इस लूट के लिए सरकार ने खरीदी केंद्रों पर ग्रेडिंग और गुणवत्ता मापने के लिए निजी कंपनियों से टेंडर आमंत्रित किए हैं। इसके तहत एक क्विंटल गेहूं की ग्रेंडिंग के लिए किसानों को 20 रुपए देना होगा। अनुमान है कि इस वर्ष किसानों से 128 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जाएगा। इस तरह 256 करोड़ किसानों से लूट कर संबंधित कंपनी की तिजोरी को भरा जाएगा।
माकपा नेता ने कहा है कि इससे सिर्फ किसानों की लूट ही नहीं बढ़ेगी, बल्कि सरकार की ओर से एक और बिचोलिया तैयार कर दिया है, जो उक्त फीस के अलावा भी किसानों से वसूली करेगा। ग्रेंडिंग और क्वालिटी निर्धाीिरत करते समय वह कंपनी किसानों से सौदेबाजी करेगी। अच्छी क्वालिटी और जल्दी तुलाई का झांसा देकर किसानों से और भी वसूली की जाएगी।
जसविंदर सिंह ने कहा है कि यह मंडियों के निजीकरण करने की साजिश का भी हिस्सा है, जिसके खिलाफ किसानों ने सवा साल तक ऐतिहासिक संघर्ष कर मोदी सरकार को पीछे हटने के लिए बाध्य किया है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने किसानों की लूट को बढ़ावा देने वाली इस व्यवस्था को लागू नहीं करने की मांग की है।