- इस वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के शुरू होने से उत्तरी दिल्ली और उसके आसपास रहने वाले करीब 23 लाख लोग लाभांवित होंगे- सत्येंद्र जैन
- यह ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह से ऑटोमैटिक होगा और मानव हस्तक्षेप की कम से कम जरूरत होगी – सत्येंद्र जैन
- शक्ति नगर, कमला नगर, रूप नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर, नेहरू विहार और विश्वविद्यालय समेत कई क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाले करीब 70 एमजीडी सीवर को इस नए सयंत्र के जरिए ट्रीट किया जाएगा
- संगम विहार और देवली विधानसभा क्षेत्र के सभी घरों को सीवेज नेटवर्क से जोड़ने के लिए 71.51 किमी लंबी सीवर लाइन बिछाने के काम का भी हुआ शुभारंभ नई दिल्ली, 05 मार्च, 2022
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कुशल नेतृत्व में दिल्ली सरकार यमुना की सफाई की दिशा में निरंतर अथक प्रयास कर रही है। इसी परिप्रेक्ष्य में दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने आज कोरोनेशन पिलर के पास स्थित एक विशाल अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र का उद्घाटन किया। इस संयंत्र की प्रतिदिन 31.80 करोड़ लीटर अपशिष्ट जल का उपचार करने की क्षमता है। जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस संयंत्र का उद्घाटन, यमुना नदी की सफाई की दिशा में एक बड़ा प्रभावशाली कदम है। इसके अलावा मंत्री सत्येन्द्र जैन ने संगम विहार और देवली विधानसभा क्षेत्र के सभी घरों को सीवर नेटवर्क से जोड़ने के लिए 71.51 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन बिछाने के कार्य की आधारशिला भी रखी।
नवनिर्मित कोरोनेशन पिलर वेस्ट-वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, कोरोनेशन पिलर ड्रेनेज जोन के लिए सीवेज ट्रीटमेंट की जरूरतों को पूरा करेगा। शक्ति नगर, कमला नगर, रूप नगर, दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर, नेहरू विहार और विश्वविद्यालय के क्षेत्रों से उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट जल का उपचार इस संयंत्र में किया जाएगा। इसके अलावा, स्वरूप नगर, भलस्वा, संत नगर और वजीराबाद ग्रुप ऑफ कॉलोनियों जैसी अनधिकृत कॉलोनियों से उत्पन्न सीवेज का भी अब यहां उपचार किया जा सकेगा। जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इन कॉलोनियों से निकलने वाले सीवर को कोरोनेशन पिलर वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में उपचारित किया जाएगा, जिससे अंततः यमुना नदी की सफाई होगी और इस क्षेत्र के लाखों लोगों को लाभ होगा। वर्तमान में, सीवेज जो सीधे नाले में गिरता है, अब बुराड़ी में उपलब्ध पंपिंग स्टेशन के माध्यम से कोरोनेशन पिलर वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में जाएगा और यहां उपचारित किया जाएगा। उपचारित अपशिष्ट जल पूरक नाले के माध्यम से यमुना नदी में जाएगा।
कोरोनेशन अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र की मुख्य विशेषताएं:
1) संयंत्र का निर्माण जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग और टी.एस.एस <10 मिलीग्राम प्रति लीटर के अपशिष्ट प्रवाह मानकों के साथ नवीनतम तकनीक के साथ किया गया है, जिसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस को हटाने के साथ-साथ कीटनाशन भी करता है, जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) के नए मानकों के अनुरूप निर्धारित किया गया है। बिजली उत्पादन के प्रावधान के साथ, इस संयंत्र को काफी चिरस्थायी बनाया गया है।
2) संयंत्र स्काडा प्रणाली के आधार पर पूरी तरह से स्वचालित है। जिसमें अपशिष्ट प्रवाह की मापदंडों के अनुरूप ऑनलाइन चरणवार निगरानी होती है। स्काडा प्रणाली पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा को एकत्रित करता है, जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर तत्वों की एक प्रणाली है। यह उद्योगों को वास्तविक समय के डेटा की निगरानी, इसे इकट्ठा करने और संसाधित करने में मदद करता है। साथ ही डाउनटाइम को कम करने और सिस्टम को आत्म-निर्भर बनाता है।
3) इसमे गाद एवं सिवेज़ के डी-वाटरिंग का प्रावधान है, जिससे इसे सुखाने वाले क्यारियों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। इसलिए, यह नया संयंत्र दूसरों से अधिक बेहतर काम करता है।
4) उत्पादित सामग्री को कुशलता से संभालने के लिए मेम्ब्रेन वाली गैस स्टोरेज टंक का प्रावधान किया गया है। यह गैस धारक सबसे लचीली, किफायती है और साथ ही विश्वसनीय व कुशल बायोगैस भंडारण का समाधान हैं।
5) इस संयंत्र से क्षेत्र की लगभग 23 लाख आबादी को लाभ होगा।
संयंत्र को अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है, जो बड़े पैमाने पर राजधानी दिल्ली में मौजूदा अपशिष्ट जल उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्नत तकनीक के उपयोग के कारण यह संयंत्र दक्षता बनाए रखने में मदद करेगा।
इसके अलावा, मौजूदा सीवरेज प्रणाली को मजबूत करने के लिए, दिल्ली सरकार ने संगम विहार और देवली विधानसभा क्षेत्र की 20 अनधिकृत कॉलोनियों में 71.51 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन बिछाने का काम शुरू किया है। क्षेत्र में सीवरेज सिस्टम उपलब्ध नहीं होने के कारण इस क्षेत्र से उत्पन्न सीवरेज को वर्तमान में स्थानीय तालाब, सेप्टिक टैंक या बरसाती नालों में छोड़ा जा रहा था। इस समस्या पर जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि यहाँ मौजूद नाले नजफगढ़ ड्रेन के माध्यम से यमुना नदी में जाता है, जिससे नदी के प्रदूषण स्तर में वृद्धि होती है। इस जल-प्रदूषणकारी तत्वों को कम करने के लिए सीवेज को नजदीकी ट्रीटमंट प्लांट में उपचार के लिए इन सीवर लाइनों के माध्यम से भेजा जाएगा।
71.51 किमी लंबी सीवर लाइन 300 मिमी से 500 मिमी व्यास की आंतरिक और परिधीय सीवर लाइनें, मैनहोल के निर्माण और हाउस सीवर कनेक्शन के साथ बिछाई जाएंगी। 42.36 करोड़ की लागत से यह कार्य 15 महीने में पूरा होगा और 20 अनधिकृत कॉलोनियों के इन क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 90 हजार लोगों को लाभ होगा।
जिसमें संगम विहार (05 कॉलोनियां)- ई-ब्लॉक संगम विहार, एफ-2 ब्लॉक हमदर्द, बत्रा अस्पताल के पास एम.बी रोड संगम विहार, एफ-1 ब्लॉक संगम विहार, डी-ब्लॉक संगम विहार, संगम विहार कॉलोनी संगम विहार, देवली (15 कॉलोनियां), ए-ब्लॉक संगम विहार (रजि. 06), ए-ब्लॉक संगम विहार (रजि. 921), बी-ब्लॉक संगम विहार (रेग. 694), बी-ब्लॉक संगम विहार (रजि. 1566) , बी-1-ब्लॉक संगम विहार (रजि. 706), एल-ब्लॉक संगम विहार, एल-1 ए-ब्लॉक संगम विहार, ब्लॉक सी पार्ट-1 संगम विहार, एल-प्रथम ब्लॉक संगम विहार, सी-ब्लॉक संगम विहार, एल ब्लॉक संगम विहार, एफ-3 ब्लॉक संगम विहार, जी-ब्लॉक एनडी-62 संगम विहार, ब्लॉक-सी पार्ट-II संगम विहार, दुर्गा विहार देवली एक्सटेंशन शामिल है।
यमुना नदी की सफाई की दिशा में यह एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है। केजरीवाल सरकार के नेतृत्व में दिल्ली सरकार इस मुकाम को हासिल करने के लिए दिन-रात लगातार काम कर रही है।