- दिल्ली जल बोर्ड, बारापुला नाले के मुहाने पर इंटरसेप्टर सीवर का निर्माण करेगा और सीवेज को ट्रीट करने के लिए ओखला एसटीपी की ओर भेजेगा
- दिल्ली जल बोर्ड, दक्षिणी दिल्ली की सीवेज समस्याओं के समाधान के लिए किलोकरी क्षेत्र में 60 मिलियन गैलन प्रतिदिन की क्षमता का एक नया सीवेज पम्पिंग स्टेशन बनाएगा
- डीजेबी यमुना विहार में मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की 10 एमजीडी क्षमता को एक वर्ष में नई तकनीक का इस्तेमाल करके 15 एमजीडी तक अपग्रेड करेगा नई दिल्ली, 05 मार्च, 2022
जल मंत्री एवं दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने आज दिल्ली जल बोर्ड के सदस्यों के साथ बोर्ड की उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक में चार बड़े फैसले लिए गए, जिनसे यमुना नदी की सफाई का मार्ग प्रशस्त हुआ। बैठक में पहला निर्णय लिया गया कि दिल्ली की अनधिकृत कालोनियों में 575 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन बिछाई जाएगी। इस परियोजना का उद्देश्य दिल्ली की विभिन्न कॉलोनियों से उत्पन्न होने वाले सभी सीवेज को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रीट करने के लिए जोड़ना है। यह दिल्ली सरकार द्वारा इतने बड़े पैमाने पर शुरू की गई अब तक की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक होगी। इस परियोजना से सीवेज का समय पर उपचार हो सकेगा और यमुना की सफाई में बहुत ही मददगार साबित होगी। दूसरा निर्णय यह लिया गया कि दिल्ली जल बोर्ड ने बारापुला नाले के मुहाने पर एक पंपिंग स्टेशन के निर्माण कार्य को भी मंजूरी दी है, जो यमुना नदी में गिरने वाले चार प्रमुख नालों में से एक है। नाले के सीवेज को ट्रीट करने के लिए ओखला सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की तरफ भेज दिया जाएगा। ओखला एस.टी.पी में पहले से ही वेस्ट वाटर (अपशिष्ट जल) को साफ करने की अतिरिक्त क्षमता है। इस बैठक में तीसरा महत्वपूर्ण निर्णय किलोकरी क्षेत्र से निकने वाले सिवेज़ को लेकर किया गया। इसके तहत किलोकरी में बनने वाले 60 एम.जी.डी सीवेज पंपिंग स्टेशन के निर्माण कार्य को मंजूरी दी गई। इससे दिल्ली के कई हिस्सों में सीवेज ओवरफ्लो होने की समस्या का समाधान हो जाएगा। चौथा, दिल्ली जल बोर्ड ने 78 करोड़ रुपये की लागत से नई तकनीक का उपयोग करते हुए यमुना विहार में 10 एम.जी.डी क्षमता के पुराने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को 15 एम.जी.डी क्षमता में अपग्रेड करने के लिए भी मंजूरी दे दी गई है। यह परियोजना एक वर्ष में पूरी हो जाएगी और नाले में बहने वाले अतिरिक्त अपशिष्ट जल को संभालने में सक्षम होगी।
जल मंत्री एवं दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने कहा कि पिछले 50 वर्षों में कई सरकारें सत्ता में आईं, लेकिन यमुना की सफाई के लिए जमीनी स्तर पर किसी ने भी काम नहीं किया, लेकिन हम ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसलिए इस दिशा में दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं और हम दिन-ब-दिन दिल्ली के सीवेज नेटवर्क में सुधार कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार सीवेज के पानी को सीधे नालियों में गिरने से रोकने के लिए सभी कॉलोनियों को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने का लक्ष्य बना रही है, जिससे आने वाले वर्षों में यमुना को साफ करने में मदद मिलेगी।
दिल्ली सरकार शाहबाद कॉलोनी समूह में 575 किमी सीवर लाइन बिछाने के लिए तैयार
दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में शाहबाद कालोनी समूह, संगम विहार ग्रुप ऑफ कॉलोनी, जाफरपुर ग्रुप ऑफ कॉलोनी, गालिबपुर ग्रुप ऑफ कॉलोनी, सारंगपुर ग्रुप ऑफ कॉलोनी, गोयल विहार ग्रुप ऑफ कॉलोनी, किलोकरी कॉलोनियों का समूह, कांगनहेडी समूह और दिचौउ कॉलोनी के समूह में कुल 575 किमी लंबी सीवर लाइन बिछाई जा रही है । इस परियोजना का उद्देश्य दिल्ली की इन सभी कॉलोनियों से उत्पन्न सभी सीवेज को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स में ट्रीट करने के लिए जोड़ना है। यह दिल्ली सरकार द्वारा इतने बड़े पैमाने पर की जा रही सीवर लाइनों को स्थापित करने की अब तक की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक होगी। पहले जो सीवेज उत्पन्न होता था, वह सीधे नाले में जाता है, लेकिन सीवर लाइनों की स्थापना के बाद सभी सीवेज एस.टी.पी में जाएंगे, जहाँ उपचारित हो जाएंगे और सभी नालों को उपचारित पानी प्राप्त होगा, जो यमुना नदी की सफाई में मदद करेगा।
बारापुला में बन रहा नया ड्रेन इंटरसेप्टर सीवर
सीवेज के संग्रह और उपचार में सुधार के लिए दिल्ली जल बोर्ड बारापुल्ला नाले से बाटला हाउस फेज- 2 तक एक इंटरसेप्टर सीवर का निर्माण करेगा। बोर्ड ने 177.04 करोड़ रुपये की लागत से बारापुल्ला नाले से बाटला हाउस फेज- 2 तक इस इंटरसेप्टर सीवर के निर्माण को मंजूरी दे दी है, जिसमें ओखला ‘वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट’ तक इसका राइजिंग मेन भी शामिल है।
वर्तमान में, लगभग 35 एम.जी.डी का अनुपचारित अपशिष्ट जल बारापुला नाले, महारानी बाग नाले में गिर रहा है और तैमूर नगर, खिजराबाद और बाटला हाउस फेज-2 का सीवेज यमुना नदी में बह रहा है। इस समस्या को दूर करने के लिए यमुना के बाढ़ नियंत्रित क्षेत्र के साथ धोबी घाट, बाटला हाउस, ओखला तक 35 एम.जी.डी
सीवेज पम्पिंग स्टेशन तक एक इंटरसेप्टर सीवर बिछाया जाएगा, जिसके माध्यम से सीवर को ओखला सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में पंप किया जाएगा।
इस इंटरसेप्टर सीवर का उपयोग महारानी बाग नाले के बचे हुए प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाएगा। इससे सी.वी रमन ट्रंक सीवर पर कम दबाब होगा और राहत मिलेगी। इसके अतिरिक्त, तैमूर नगर, खिजराबाद बाटला हाउस, फेज 2, ओखला से 8 एमजीडी डिस्चार्ज भी इस इंटरसेप्टर सीवर में बहेगा।
किलोकरी में 60 एमजीडी सीवेज पंपिंग स्टेशन को मंजूरी
बोर्ड ने किलोकरी में 27.2 करोड़ लीटर क्षमता के सीवेज पंपिंग स्टेशन के निर्माण, डिजाइन और संचालन संबंधित कार्यों को मंजूरी दी है। मौजूदा 80 वर्षीय किलोकरी एस.पी.एस के डिजाइन की उपयोगिता समाप्त हो गई है और इस प्रकार पुराने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को पास के खाली पड़े भूमि पर नए सिरे से अपग्रेड कर बनाया जाएगा। यह सीवेज पम्पिंग स्टेशन मध्य और दक्षिणी दिल्ली के जल ग्रहण क्षेत्र यानी डिप्लोमैटिक एन्क्लेव, सरोजनी नगर, आर.के पुरम, शाहजहाँ रोड, लोधी रोड, जोरबाग, जंगपुरा एक्सटेंशन के गंदे पानी की निकासी के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। आगे यह एस.पी.एस सीवेज को ग्रेविटी डक्ट्स में पंप करते हैं, जो अंततः ओखला एस.टी.पी में गिरता है, जहां इस सीवेज को उपचारित किया जाएगा। इस परियोजना से दक्षिणी दिल्ली से आने वाले सीवेज के पानी को साफ करने में मदद मिलेगी, जो यमुना नदी की सफाई के लिए लाभकारी होगा। परियोजना की कुल लागत लगभग 173 करोड़ रुपये है, जिसमें 10 साल के लिए रखरखाव व संचालन सम्मलित है।
डीजेबी यमुना विहार में मौजूदा 10 एमजीडी क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को 15 एमजीडी में करेगा अपग्रेड
डीजेबी ने यमुना विहार, दिल्ली में मौजूदा 10 एमजीडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट फेज-2 के पुनर्वास और उन्नयन को मंजूरी दी है। मौजूदा संयंत्र का निर्माण 2003 में 30/50 मिलीग्राम प्रति लीटर की जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग पर किया गया था और अब यह पुरानी उपचार तकनीक के कारण निष्क्रिय पड़ा हुआ है। इसलिए सीवर को नए 25 एमजीडी एस.टी.पी की ओर मोड़ दिया गया।
इस मौजूदा चरण-2 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को उन्नयन के बाद, नवीनतम अपशिष्ट मानकों के अनुरूप जो जैव रासायनिक ऑक्सीजन की मांग और टीएसएस 10/10 मिलीग्राम प्रति लीटर हैं, को बनाया जाएगा । इसे आपस में समाहित स्थिर/फिल्म सक्रिय गाद प्रौद्योगिकी की तकनीक पर विकसित किया जाएगा। क्योंकि इसमें कम क्षेत्र, कम बिजली की खपत और उन्नयन के लिए कम समय की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, प्रौद्योगिकी अपशिष्ट जल उपचार सुविधा के भीतर अतिरिक्त बायोमास प्रदान करती है, ताकि अतिरिक्त क्षमता की प्रत्यक्ष आवश्यकता के लिए कड़े प्रवाह मानकों के अनुरूप पूरा कर सके।
इस परियोजना के पूरा होने पर, मौजूदा अपशिष्ट जल प्रबंधन बुनियादी ढांचे को और मजबूत करने में मदद मिलेगी और यमुना नदी के प्रदूषण में काफी मात्रा में कमी आएगी।