- दिल्ली गजट में डीडीसी के पुनर्गठन की योजना अधिसूचित की गई, डीडीसी में विभिन्न क्षेत्रों के नीति विशेषज्ञों के लिए 48 पद मंजूर किए गए
- डीडीसी, संस्थागत तौर पर मजबूत होने और नई भर्तियों से दिल्ली के विकास की महत्वपूर्ण चुनौतियों को दूर करने में योगदान करने में सक्षम होगा और दिल्ली को 2047 तक दुनिया का नंबर 1 बनाने के मुख्यमंत्री के सपने को साकार करने में प्रभावी योगदान देगा- जस्मिन शाह
- केजरीवाल सरकार ने पिछले सात वर्षों में कई नई योजनाएं शुरू की हैं, जिसे दिल्ली मॉडल के नाम से जाता है, डीडीसी के पुनर्गठन से एक अद्वितीय पॉलिसी रिसर्च और नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी- जस्मिन शाह
- डीडीसी के विशेषज्ञ छह प्रमुख नीति क्षेत्रों सामाजिक, पर्यावरण, परिवहन, अर्थव्यवस्था, शासन और मूल्यांकन के क्षेत्र में सलाह देंगे
- डीडीसी के पास दुनिया भर के बेहतरीन सलाहकारों और युवा प्रोफेशनल को नियुक्त करने की ताकत होगी
नई दिल्ली, 08 मार्च, 2022
केजरीवाल सरकार की थिंक टैंक डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन और मजबूत और पुनर्गठित होगी, जिसे दिल्ली सरकार के लिए उप राज्यपाल से भी मंजूरी मिल गई है। जिसके बाद दिल्ली गजट में डीडीसी के पुनर्गठन की योजना अधिसूचित भी हो गई। डीडीसी में विभिन्न क्षेत्रों के नीति विशेषज्ञों के लिए 48 पद मंजूर किए गए हैं। डीडीसी के उपाध्यक्ष जस्मिन शाह ने कहा कि डीडीसी,संस्थागत तौर पर मजबूत होने और नई भर्तियों से दिल्ली के विकास की महत्वपूर्ण चुनौतियों को दूर करने में योगदान करने में सक्षम होगा और दिल्ली को 2047 तक दुनिया का नंबर 1 शहर बनाने के मुख्यमंत्री के दृष्टिकोण को हासिल करने की दिशा में प्रभावी योगदान देगा। केजरीवाल सरकार ने पिछले सात वर्षों में कई नई पहल शुरू की हैं, जिसे दिल्ली मॉडल के नाम से जाता है। डीडीसी के पुनर्गठन से एक अद्वितीय पॉलिसी रिसर्च और नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी। डीडीसी के विशेषज्ञ छह प्रमुख नीति क्षेत्रों सामाजिक, पर्यावरण, परिवहन, अर्थव्यवस्था, शासन और मूल्यांकन के क्षेत्र में सलाह देंगे। डीडीसी के पास दुनिया भर के बेहतरीन सलाहकारों और युवा पेशेवरों को नियुक्त करने की ताकत होगी।
दिल्ली सरकार के थिंक टैंक डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन के संस्थागत ढांचे को लेकर दिल्ली सचिवालय में आज प्रेस वार्ता आयोजित हुई। डीडीसी के उपाध्यक्ष जस्मिन शाह ने कहा कि जब केजरीवाल सरकार पहली बार आई थी, तब डीडीसी का गठन फरवरी 2015 में हुआ था। पिछले 7 साल में हमने देखा है कि दिल्ली में बहुत सारे ऐतिहासिक काम हुए हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में कई काम हुए हैं जो देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में शायद पहली बार हुए हों। स्कूलों में हैप्पीनेस करिकुलम, एंटरप्रेन्योरशिप करिकुलम सहित कई सारे प्रयोग हुए हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में मोहल्ला क्लीनिक, परिवहन के क्षेत्र में महिलाओं के लिए फ्री बस, बस मार्शल की तैनाती जैसे काम किए गए। इसके अलावा पर्यावरण, बिजली, पानी क्षेत्र में भी काफी बेहतर काम हुए हैं। इस तरह के कई इनोवेशन यह सरकार पिछले सात सालों में लेकर आई है। इनमें से कई ऐसे काम और इनोवेशन हैं, जिनमें डीडीसी ने एक अहम योगदान सलाहकार, पॉलिसी फ्रेमवर्क और पॉलिसी को लागू करने में दिया है।
उन्होंने कहा कि आने वाले सालों के लिए भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों के लिए एक बहुत बड़ा सपना देखा है। पिछले साल मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था कि 2047 तक दिल्ली को एक ग्लोबल राजधानी बनाना चाहते हैं। सरकार चाहती है कि दिल्ली दुनिया का नंबर एक शहर बने जो कि एक मॉडर्न सिटी हो। जहां पर टॉप क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतरीन सर्विसेज हों, जिससे अमीर हों या गरीब, सभी को एक समान सुविधाएं मिलें। दूसरा दिल्ली एक इक्यूटेबल शहर बने, जहां पर दिल्ली की प्रति व्यक्ति आय, वह 2047 तक सिंगापुर के प्रति व्यक्ति आय के बराबर हो जाए। जिसके लिए बहुत इकोनामिक डेवलपमेंट करने की आवश्यकता है। तीसरा दिल्ली एक सस्टेनेबल शहर के रूप में विकसित हो, जहां पर वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, महामारी, जलवायु परिवर्तन जैसे तमाम मुद्दे हैं, यहां पर दिल्ली को अभी और काम करने की जरूरत है।
जस्मिन शाह ने कहा कि जब यह बात आयी की 2047 के सपने को साकार करना है और इसमें डीडीसी की क्या भूमिका रहेगी तो हमें लगा कि डीडीसी को इंस्टीट्यूशनल लेवल पर मजबूत करने की आवश्यकता है। उसकी क्षमता बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है। इसी इंटरनल एसेसमेंट के आधार पर पिछले साल एक प्रस्ताव डीडीसी में बना था जो संस्था को मजबूत करने और रीस्ट्रक्चरिंग का था। आज मुझे बताते हुए खुशी है कि यह प्रस्ताव भी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। दिल्ली की कैबिनेट से पास होने के बाद उपराज्यपाल ने भी स्वीकृति दे दी है। दिल्ली के गजट में छप चुका है। यह एक इंस्टीट्यूशनल स्टेंथनिंग की जो प्रक्रिया करीब 1 साल तक चली और अब लॉजिकल कन्क्लयूजन पर पहुंच चुकी है। डीडीसी के लिए एक इंस्टीट्यूशन के तौर पर एक बड़ा माइलस्टोन रहेगा।
उन्होंने कहा कि डीडीसी का जो मैंडेट है वह बहुत ही विस्तृत तौर पर वर्णित किया गया है। इस प्रस्ताव में कुल 6 पॉलिसी सेक्टर हैं। डीडीसी नए विचारों मऔर उनको लागू करने पर फोकस करेगी। डीडीसी के इंस्टीट्यूशनल स्टेंथनिंग की योजना में पहला है सोशल सेक्टर, इसमें हेल्थ एज्यूकेशन, वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट सहित तमाम मुद्दे आएंगे। दूसरा है पर्यावरण, जहां पर वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, यमुना को साफ करने और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का इनीशिएटिव होगा। दिल्ली में काफी कूड़ा है। लैंडफिल साइट भी बहुत बड़ी-बड़ी हैं। इसके लिए हम आने वाले 10 से 20 के लिए क्या तैयारी कर सकते हैं, इस पर हमारी पर्यावरण की टीम काम करेगी। तीसरा है ट्रांसपोर्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर। डीडीसी ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के डिजाइन और इंप्लीमेंटेशन में एक अहम भूमिका निभाई है। उसी दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं। क्लीन मोबिलिटी का एक विजन है, उसमें दिल्ली अव्वल कैसे बने। इलेक्ट्रिक व्हीकल हो या पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को मजबूत करने की बात हो या नॉन मोटराइज्ड की व्यवस्था को कैसे सुधारा जाए, उस पर ट्रांसपोर्ट की टीम काम करेगी। चौथा है अर्थव्यवस्था। हमारा एक सपना है कि 2047 तक प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर के बराबर तक लानी है। पिछले 75 सालों में दिल्ली विकास में एक अच्छे पायदान पर पहुंची है। लेकिन मुख्यमंत्री ने यह सपना देखी है कि अगले 25 साल में कमर कस लें तो यह बिल्कुल मुमकिन है कि हमारी प्रति व्यक्ति आय सिंगापुर जैसी बन सके। उसके लिए डीडीसी के अंदर एक विशेष इकोनामी की शाखा बनायी जा रही है, जिसमें तमाम विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा। एक-एक करके इस तरह के कई प्रस्ताव और विचारों पर डीडीसी काम करेगी, जिससे दिल्ली के ओवरऑल आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। पांचवा सेक्टर है गवर्नेंस। ओवरऑल गवर्नेंस रिफोर्मस की जब हम बात करते हैं तो उसमें आता है कि लोगों तक अच्छी तरह से सुविधाएं कैसे पहुंच पाएं। दिल्ली सरकार पहले ही डोर स्टेप डिलीवरी लागू कर चुकी है। फेसलेस सुविधा पर कई विभाग मूव कर रहे हैं। आईटी और एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स जैसे कई सारे तमाम मुद्दे हैं जिसपर डीडीसी में गर्वनेंस की टीम काम करेगी। छठवां सेक्टर है वह मॉनिटरिंग इवेल्यूएशन एंड लर्निंग।
जब तक गवर्नमेंट अपने आप को मजबूत नहीं करेगी और बड़ी मात्रा में प्रशासनिक डाटा जुटाने की क्षमता नहीं बनाएगी और उसे हम कैसे स्मार्ट पॉलिसी में इस्तेमाल कर पाएं, तब तक हम 2047 की जो चुनौतियां हैं उनको दूर नहीं कर पाएंगे। इस पर डीडीसी पहल करेगी। पिछले सप्ताह हमने जे-पीएएल के साथ एमओयू साइन किया है, जो इस दिशा में काफी मददगार साबित होगा। ऐसे विशेषज्ञ जो देश की यूनिवर्सिटी से ही नहीं बल्कि विश्व भर की यूनिवर्सिटी से हैं उनके साथ मिलकर काम करेंगे। उनके विचारों का सहयोग लेंगे और दिल्ली का जो विजन है उसको हम पूरा करने की कोशिश करेंगे।
डीडीसी के उपाध्यक्ष ने बताया कि यह इसका पहला हिस्सा है, जिसमें बहुत ही स्पष्ट और विस्तृत तौर पर डीडीसी का मैंडेट डिफाइन किया गया है। दूसरा डीडीसी को मंजूरी दी गई है विशिष्ट क्षेत्रों के प्रमुख लोगों को हायर करने की। जब हमने 6 सेक्टर बनाए तो हम चाहते हैं कि देश और दुनिया के बेहतरीन माइंड आएं। वह राष्ट्रीय राजधानी की समस्याओं पर विचार करें और दिल्ली सरकार का हिस्सा बनें। जिन समाधानों को ढूंढने की हम कोशिश कर रहे हैं उनमें वह अपना सहयोग करें। उसके लिए कुल 26 पद सेंशन कर दिए गए हैं जो डीडीसी विभिन्न स्तर पर हायर कर सकती है। यह सभी विशेष क्षेत्रों के एक्सपर्ट होंगे जो 5 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर हायर किए जाएंगे। प्रत्येक पॉलिसी वर्टिकल के जो हेड होंगे उन्हें डीडीसी में एडवाइजर का रैंक दिया जाएगा। इस प्रस्ताव के तहत डीडीसी में कुल मिलाकर 48 पोस्ट सेंशन की गई हैं, जिसमें से 26 टेक्निकल पोस्ट हैं और 22 रेगुलर काडर पोस्ट हैं। ऐसे में कुल मिलाकर यह डीडीसी की जर्नी के लिए एक बहुत बड़ा माइलस्टोन है। डीडीसी जब 2015 में बना था, उसके बाद डीडीसी तमाम कार्यों और पॉलिसी से जुड़ा रहा है। आज जो यह प्रस्ताव मंजूर हुआ है और जिसका नोटिफिकेशन भी आ गया है। ऐसे में डीडीसी को आने वाले 10-20 सालों में बहुत सफलता मिलेगी। डीडीसी का जो हमारा सपना है कि यह एक पॉलिसी रिसर्च और इनोवेशन का हब बने। पूरे देश में माना जाए कि अगर किसी सरकार के अंदर एक थिंक टैंक बने और विशेषज्ञ रखें जाएं तो डीडीसी की तरह रखे जाएं। हम सोच रहे हैं कि डीडीसी एक ऐसा हब बन सकता है जो देश-दुनिया में पॉलिसी रिसर्च और पॉलिसी इनोवेशन के लिए जाना जाए।