उत्तर प्रदेश के विपक्ष चुनाव में आसन्न हार स्वीकार करें
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में विपक्षी दलों की हार होने वाली है। इसके लिए जनता को दोष न देकर उन्हें आत्मसमीक्षा करनी चाहिए।
यह हार इसलिए नहीं हुई कि हिंदी क्षेत्र में सांप्रदायिकता की पैठ आम लोकमानस तक हो चुकी है। इसलिए भी नहीं हुई कि हिंदुत्ववाद ने जाति- बिरादरी की तीव्र चेतना को अपने जाति- समावेशी रुख के कारण निगल लिया या उत्तर प्रदेश में बड़े लोकहितकारी काम हुए या शांति और सुव्यवस्था है। . या रोजगार बढे या महंगाई रुकी ।
आम लोग तो कृषकों पर अत्याचार, कोरोना काल की लापरवाहियों, बेरोजगारी, मंहगाई , उन्नाव आगरा हाथरस- लखीमपुर जैसी घटनाओं और नग्न धार्मिक तांडवों से बेहद असंतुष्ट थे दुखी थे और हैं। यह हार वस्तुतः विरोधी दलों में एका के अभाव, आपस में ही टकराने और निजी अहंकार की वजह से हुई।
दरअसल विपक्षी नेताओं की पुरानी धारणाएं, उनकी विगत बुराइयां और उनके ‘पाप’ उनका पीछा नहीं छोड़ रहे है ! इनके लिए उनका अफसोस लोगों को नहीं दिखता, उल्टे अहंकार और बड़बोलापन दिखता है। उत्तर प्रदेश की दो शक्तिशाली पार्टी सपा और बसपा अपने उदेश्य से भटक गई . सपा को अहिरो की और बसपा को चमारो की पार्टी लोगबाग कहने लगे . कांग्रेस तो खैर उत्तर प्रदेश मे ना तीन मे ना तेरह मे . बाकि पार्टी भी ना के बराबर है ।
जाहिर है कि उत्तर प्रदेश की इन विपक्षी पार्टीया को लोकतांत्रिक ताकतों को अपने अहंकार, आपसी कलह और आत्मकेन्द्रीयता से उबरना होगा। उन्हें जाति समीकरण की शॉर्टकट रणनीति और देखादेखी किए गए धार्मिक नाटक जैसी चीजों से मुक्त होकर सच्चे दिल से जनता के बीच आना होगा। इसके अलावा, उन्हें निर्भयतापूर्वक एक ठोस वैकल्पिक नीति और कार्यक्रम तैयार करना चाहिए।
विपक्षी दलों को और सभी लोकतांत्रिक मिजाज के लोगों को सभी मानवतावादी विचार वालों और वंचितों दलितो पिछडो के लिए लड़ने वालों से संवाद करना चाहिए, अपने कुएं में रहने, घिसीपिटी धारणाओं पर जोर देने या ऊटपटाँग बयानबाजी की जगह। दूसरों के मन में जगह बनाने के लिए ड्रामेबाजी की जगह खुद थोड़ा और सुधरना और तपना होगा !
जाहिर है, 2024 में विजय के लिए जरूरी हैं– आत्मसमीक्षा, संवाद और पुनर्गठन ! 2024 में अगर विपक्ष आत्ममंथन करेगा तो उदारवादी भारत की विजय बिलकुल संभव है !!
पत्रिका की टीम द्वारा किये गये सर्वे और मेहनत से अब हम आपको उत्तर प्रदेश का चुनावी आंकलन बताने जा रहे है किस पार्टी को किस क्षेत्र मे कितना वोट% और कितनी सीट मिलने की सम्भावना है .
भारतीय जनता पार्टी + अन्य
इस पार्टी का मुख्य आधार सवर्ण वोट है जो अधिकांश एक मुक्त होकर भाजपा के साथ गया .
पिछडो मे एक बडी आबादी अतिपिछडे दबके की है जिस पर भाजपा का दबदबा रहा . अधिकांश अतिपिछडी जातियों ने पश्चिम उत्तर प्रदेश मध्य उत्तर प्रदेश मे भाजपा के पक्ष मे वोट किया . पश्चिम मे जाटो का बडा हिस्सा भाजपा के पक्ष मे था .
पूरब मे कुछ पिछड़ी जाति की अगडी जातिया भी भाजपा के साथ रही जैसे कुर्मी इत्यादि . निषादो का पटेल अधिकांश और राजभर का कुछ वोट भी भाजपा को मिला . अहिरो का बहुत कम हिस्सा ही भाजपा को मिला .
दलित उत्तर प्रदेश मे बडा फैक्ट है . गैर जाटव दलितो का बहुत बडा हिस्सा भाजपा ने अपने पाले मे कर लिया .
पूरे उत्तर प्रदेश मे शायद मुस्लमान ऐसे थे जिन्होंने भाजपा को वोट नही दिया या बहुत कम मुस्लमानो ने भाजपा को वोट दिया .
पत्रिका के सर्वे के आधार पर उत्तर प्रदेश मे सवर्ण 16% है . पिछड़े 44% दलित 21% मुस्लमान 18% अन्य 1% है . इसके से सवर्णों का 12% पिछडो का 23% दलितो का 8% अन्य 1% यानी कुल मतदान का 44% भाजपा को जा रहा है . यानी पिछले चुनाव से 5% कम अगर इसे सीटो मे तब्दील करे तो यह संख्या 226 से लेकर 256 तक बैठती है .
समाजवादी पार्टी + अन्य
समाजवादी पार्टी का मुख्य आधार मुस्लमान है जो उत्तर प्रदेश की . कुल आबादी का 18% है . इस वोट से 15% सपा को जा रहा है . पिछड़ी जातियो मे अहीर / यादव 8 से 9% है जो अधिकांश सपा के साथ है . बाकि दूसरी पिछडी जातियो से 8% और दलितो 1% सवर्णो का 2% यानी 35% के आसपास सपा को वोट मिलने की सम्भावना है . यानी पिछली बार से 13 अधिक .
इसको सीट मे तब्दील करे तो 94 से 126 के आसपास .
बहुजन समाज पार्टी
आज की डेट मे इस पार्टी का मुख्य आधार दलित जाति है . दलितो का एक बडा हिस्सा भाजपा निगल चुकी है फिर भी बसपा को दलितो 9% के आसपास मिलेगा . पिछड़ो का 4% मुस्लमानो 3% और अन्य 1% यानी 16 से 17% वोट मिलने की सम्भावना है . यानी 6 % की कमी .अगर सीट की बात करे तो 16 से 29
कांग्रेस
यह पार्टी तमाम प्रयासो के बाद भी उत्तर प्रदेश मे जिन्दा नही हो पा रही . प्रियन्का ने अक्सिजन दिया . सांस तो चलने लगी परन्तु होश मे नही आ रही .
कुल वोट को 3 से 4% मिलने की आशा है .सीट अधिक से अधिक 3
अन्य
अन्यो मे किसी का भी कोई आधार नही ASP , AAP और AIMIM और दूसरी पार्टी . इनका एक आध वोट % तो जरूर उपर जा रहा है मगर सीट मिलने की सम्भावना सिर्फ AIMIM की है जिसे मुबारक पुर की सीट मिल सकती है .
नोट – ये पत्रिका का आंकलन है एक्जिट पोल नही .
आर रवि विद्रोही
सम्पादक
सम्यक भारत पत्रिका
दिल्ली .