लेखक : अब्दुल रहमान
मतलब यह है कि इस्लाम हर स्थान और हर युग में पूरी तरह फिट हो जाने वाला धर्म है। आज दुनिया जिन समस्याओं से जूझ रही है, इस्लाम उनका बेहतरीन समाधान पेश करता है। आधुनिक युग की सबसे गंभीर समस्या निर्धनता है। कितने ऐसे देश हैं, जहां लोग भूख से मर रहे हैं, धनी अधिक धनवान होता जा रहा है और गरीब गरीबतर होता जा रहा है। इस्लाम में ज़कात हर मुसलमान पर अनिवार्य की गई है, इसमें गरीबी का सबसे अच्छा इलाज मौजूद है। इससे मालदारों और गरीबों के बीच प्रेम पैदा होता है। समाज में शांति का वातावरण बनता है, समाज में चोरी, डकैती और लूट-घसोट की घटनाएँ नहीं होतीं। अगर दुनिया का हर मालदार सही तरीके से अपने माल की ज़कात अदा करने लग जाएँ तो दुनिया से पूरी तरह निर्धनता समाप्त हो जाएगी और भुखमरी का नामोनिशान नहीं रहेगा।
उसी तरह आज समाज में महिलाओं के साथ छेड़खानी, बलात्कार और यौनशोषण की घटनाएँ प्रति-दिन अख़बारों में छपती रहती हैं। इस्लाम में इसका बेहतर समाधान मौजूद है, प्राकृतिक रूप से पुरुष और स्त्री दोनों के अंदर एक-दूसरे के प्रति आकर्षण पाया जाता है। इसीलिए इस्लाम ने पुरुषों को नज़र नीची रखने तथा महिलाओं को पर्दा करने का आदेश दिया है। जाहिर है कि घर का दरवाजा खुला रखेंगे या सोना को खुले स्थान पर रखेंगे तो चोरी होगी ही, मिठाई को खुला रखेंगे तो मक्खियाँ लगेंगी ही। अगर पर्दे का एहतमाम किया जाए, सादा कपड़े पहने जाएं तो निश्चित रूप में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और उनका यौन-शौषण समाप्त हो जाएगा।
आज ग्लोबल वार्मिंग के कारण सारी दुनिया परेशान है, कहीं गर्मी से लोग मर रहे हैं तो कहीं ठंडी से। इस्लाम पर्यावरण को ठीक रखने पर बल देता है, किसी भी नेमत का अत्यधिक उपयोग करने से रोकता है और पोधे लगाने पर जोर देता है।
मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहा, “अगर महा-प्रलय होने होने को हो और तुम में से किसी के हाथ में खजूर का पोधा हो और महा-प्रलय से पहले वह उसे लगा सकता हो तो उसे ज़रूर लगा देना चाहिए।”
(मुस्नद अहमदः 12902)
आज भ्रूण हत्या आम है, उसके कारण जो हानि हो रही है, इसे भी दुनिया झेल रही है। इस्लाम के पास इसका उत्तम समाधान मौजूद है, इस्लाम महिलाओं को हर स्थिति में सम्मान देता है। जब ये बच्ची होती है तो कहता है कि बेटियाँ तुम्हारे लिए रहमत हैं, उनकी परवरिश और प्रशिक्षण करके स्वर्ग के अधिकारी बन सकते हो। जब यह नेक पत्नी बनती है तो कहता है कि यह दुनिया की सबसे बेहतरीन संपत्ति है और जब माँ बनती है तो कहता है कि स्वर्ग माँ के पैरों के नीचे है। इस तरह एक सच्चा मुसलमान बच्चियों को गर्भ में मारने का साहस नहीं कर सकता।
तात्पर्य यह है कि यह कुछ समस्यायें हैं, जिनसे आज दुनिया कराह रही है। इस्लाम के पास इनका बेहतरीन समाधान मौजूद है। इससे ज्ञात यह हुआ कि इस्लाम हर युग में एक मॉडर्न और अप-टू-डेट धर्म है। मॉडर्न इतना कि दुनिया की सारी मॉडर्निटी इस्लाम की मॉडर्निटी के सामने फेल है और अप-टू-डेट इतना कि उसके किसी भी कानून में इक्सपायरी डेट नहीं। समय और जगह के अंतर से उसकी शिक्षाओं में कभी परिवर्तन नहीं आ सकता। आस्था हों, उपासनाएँ हों, मानव जाति के परस्पर संबंध हों, नैतिकता हो, हलाल और हराम हो, अधिकार और कर्तव्य हों, सब अपनी जगह पर ठोस हैं। इनमें कोई लोच नहीं।
सवाल यह है कि आखिर इस्लामी शिक्षाएं अप-टू-डेट क्यों हैं? और मनुष्य के बनाए हुए कानून आउट आफ डेट क्यों हो जाते हैं? तो इसका जवाब यह है कि मानव निर्मित नियम समय और परिस्थितियों के परिवर्तन से बदलते हैं, क्योंकि वे बदलती हुई स्थिति, रिसोर्सेज और कारणों को सामने में रखकर बनाए जाते हैं,इसलिए वे समय और परिस्थितियों के प्रभाव से बेकार और आउट आफ डेट हो जाते हैं।
मानो बदलाव जीवन शैली में आता है, मूल्य में नहीं आता, जबकि इस्लामी शिक्षाएं मूल्य पर आधारित हैं; जीवन शैली पर नहीं। पहले लोग गधे की सवारी करते थे, आज फ़्लाइट की सवारी करते हैं। इससे इस्लाम पर कोई फर्क़ नहीं पड़ता। इस्लाम में आदमी और उसकी प्रकृति को सामने रखा गया है। यह एकेश्वरवाद, रिसालत और महा-प्रलय के दिन का प्रमाण पेश करता है। शिर्क, कुफ्र और मूर्ति-पूजा से मना करता है, अच्छे कार्यों का आदेश देता और बुरे कार्यों से रोकता है। अच्छे आचरण पर प्रेरित करता और बुरे आचरण की निन्दा करता है। जाहिर है कि इन शिक्षाओं की जरूरत पहले थी, अभी भी है और महा-प्रलय के दिन तक रहेगी।
इस प्रकार परिस्थिति और समय के परिवर्तन का इस्लामी शरीयत पर कोई असर नहीं होता। हाँ, सांस्कृतिक और औद्योगिक क्रांति के प्रभाव से ऐसी समस्यायें पैदा होती हैं, जिनका स्पष्ट आदेश शरीअत में नहीं होता। ऐसी स्थिति में इस्लामी कानून में ऐसी लचीलेपन है कि किताब और सुन्नत के अनुसार उसका हुक्म निकल जाता है।
यहाँ एक बात और समझने की है कि क्या हर पुरानी चीज आउट आफ डेट हो जाती है? तो याद रखें कि मात्र किसी चीज़ का पुराना होना, उसके आउट आफ डेट होने की पहचान नहीं होती। दुनिया की विभिन्न चीजें हैं, जिनके पुराना होने से उनके लाभ में कमी नहीं आती। सूर्य की रोशनी, हवा और पानी के लाभ, पेड़-पौधे और साग- सब्जी की आवश्यकता एक समय बीतने के बावजूद कम नहीं हुई है और न हो सकती है।
जबकि इस्लामी शिक्षाएं तो ब्रह्माण्ड के सृष्टा की ओर से अवतरित हुई हैं, जो हर उस चीज़ को जानता है। जो हो चुका, जो हो रहा है और जो होने वाला है। वह अपनी सृष्टि के हित को सबसे अधिक जानता हैः (सूरः मुल्क आयत न. 14)
أَلَا يَعْلَمُ مَنْ خَلَقَ وَهُوَ اللَّطِيفُ الْخَبِيرُ – سورة الملك: 14
“क्या वह नहीं जानेगा, जिसने पैदा किया? वह सूक्ष्मदर्शी, ख़बर रखने वाला है।”
सारांश यह कि आज दुनिया जिन समस्याओं में उलझी हुई है, उनका समाधान मात्र इस्लाम के पास है। आपके मन में अगर कोई इस्लाम को लेकर गलतफहमी है, मन में कोई प्रश्न है तो पवित्र क़ुरआन अथवा इस्लामिक पुस्तकें हमसे (लेखक : अब्दुल रहमान, मोबाईल नंबर- 7982070113) प्राप्त कर सकते हैं।
Note : इस लेख को प्रकाशित करने का हमारा उद्देश्य “सर्वधर्म समभाव” को बढ़ावा देना है, ताकि समाज में रह रहे विभिन्न मतावलंबियों में आपसी प्रेम और भाईचारे में बढ़ोतरी हो। लेखक अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन ध्यान रखें कि किसी दूसरे धर्म के मानने वालों की आस्था पर चोट न पहुंचे।
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